भारत

Mission Mausam: मौसम बदलने की जुगत में भारत, 2,000 करोड़ रुपये के खर्च की कैबिनेट ने दी मंजूरी

Mission Mausam: वैश्विक स्तर पर चीन जैसे देश मौसम के प्रबंधन संबंधी प्रयोग करने के लिए क्लाउड चैंबर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

Published by
संजीब मुखर्जी   
Last Updated- September 12, 2024 | 10:54 PM IST

सरकार द्वारा हाल में मंजूर ‘मिशन मौसम’ के तहत अन्य बातों के अलावा प्रयोगशालाओं में कृत्रिम बादल बनाने पर विचार किया जाएगा। इससे बारिश, ओलावृष्टि या कोहरे जैसी मौसम परि​स्थितियों में तेजी अथवा नरमी का अध्ययन और प्रयोग किया जा सकेगा। इस मिशन पर फिलहाल 2,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने संवाददाताओं को बताया कि क्लाउड सीडिंग के जरिये से किए गए अध्ययन एवं प्रयोग 2047 तक केवल पूर्वानुमान लगाने के बजाय धीरे-धीरे मौसम प्रबंधन के अगले चरण की ओर रुख करने में मदद करेंगे। ये क्लाउड चैंबर नोएडा के राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र अथवा पुणे के भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान में स्थापित किए जा सकते हैं।

वैश्विक स्तर पर चीन जैसे देश मौसम के प्रबंधन संबंधी प्रयोग करने के लिए क्लाउड चैंबर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित इस महत्त्वपूर्ण मिशन के की रूपरेखा के बारे में बताते हुए रविचंद्रन ने कहा कि यह मिशन मुख्य तौर पर चार स्तंभों पर आधारित है। इनमें अधिक रडार, विंड प्रोफाइलर और रेडियोसॉन्ड्स स्थापित करके मौसम के अवलोकन में सुधार करना, कृत्रिम दबाव अथवा मौसम में वृद्धि, गणना एवं एआई आधारित प्रणालियों के उपयोग से बेहतर मॉडलिंग और मौसम जीपीटी आदि के जरिये बेहतर पूर्वानुमान शामिल हैं।

रामचंद्रन ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य अगले 5 साल के दौरान देश भर में महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढांचा स्थापित करना है ताकि 2047 तक भारत महज मौसम पूर्वानुमान से मौसम प्रबंधन की ओर रुख कर सके।’

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा 2009 में शुरू किए गए क्लाउड एरोसोल इंटरेक्शन ऐंड रेनफॉल एन्हांसमेंट एक्सपेरीमेंट (सीएआईपीईएक्स) के चार चरणों में प्राप्त क्लाउड सीडिंग के नतीजे इन प्रयोगों के लिए बुनियाद होंगे। रविचंद्रन ने कहा कि भारत ने करीब 39 राडार का नेटवर्क तैयार किया है। उन्होंने कहा कि मार्च 2026 इसका विस्तार 100 राडारों तक हो जाएगा और उसके बाद उसमें विस्तार किया जाएगा। आंकड़ों को प्रॉसेस करने के लिए कंप्यूटरों की गति भी बढ़ाई जा रही है ताकि शीघ्र पूर्वानुमान लगाया जा सके।

अधिकारी ने कहा कि भारत और दुनिया के अन्य देशों के बीच मौसम पुर्वानुमान लगाने से जुड़े ढांचे में बड़ा अंतर है। उन्होंने कहा कि भारत में मौसम का पुर्वानुमान लगाने वाले लगभग 22 रडार हैं जबकि अमेरिका में इनकी संख्या लगभग 160 है। भारत में इस समय कोई भी विंड प्रोफाइलर या माइक्रोवेव रेडियोमीटर नहीं है जबकि चीन में 128 या 100 ऐसे उपकरण हैं। भारत अब रडार, विंड प्रोफाइलर और अन्य उपकरणों का तंत्र मजबूत करने पर ध्यान देना चाहता है।

बजट आवंटन के मुद्दे पर सचिव ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर 2,000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल सितंबर 2024 और मार्च 2026 के बीच होगा जिसके बाद जरूरत पड़ने पर और रकम मांगी जाएगी।

First Published : September 12, 2024 | 10:54 PM IST