लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Varma) को पद से हटाने के एक प्रस्ताव को मंगलवार को स्वीकार कर लिया। साथ ही उनके खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन की घोषणा भी की।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने समिति के गठन की घोषणा करते हुए कहा कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। इसलिए उन्हें जज के पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए।
बिरला ने कहा कि तीन सदस्यीय समिति में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अरविंद कुमार, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मनींद्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता बी वी आचार्य शामिल होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘समिति यथाशीघ्र अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। जांच समिति की रिपोर्ट प्राप्त होने तक प्रस्ताव (न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने का) लंबित रहेगा।’’
इससे पहले उन्होंने सदन को सूचित किया कि उन्हें गत 31 जुलाई को भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद और सदन में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित सत्ता पक्ष और विपक्ष के कुल 146 सदस्यों द्वारा साइन हुए प्रस्ताव की सूचना प्राप्त हुई है। इसमें जस्टिस यशवंत वर्मा को न्यायाधीश जांच अधिनियम 1968 की धारा 3 के साथ संविधान के अनुच्छेद 124 (4) के साथ पठित अनुच्छेदों 217 और 218 के अंतर्गत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से हटाने के लिए राष्ट्रपति को एक समावेदन प्रस्तुत करने का प्रस्ताव है।
लोकसभा अध्यक्ष ने गत 15 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली स्थित आवास से जली हुई नकदी मिलने की घटना का विवरण भी पढ़ा। उन्होंने कहा कि वर्तमान मामले से जुड़े तथ्य गंभीर भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं। बिरला ने कहा, ‘‘संसद को इस मुद्दे पर एक स्वर में बोलना चाहिए और देश की जनता को भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने का अपना संदेश भेजना चाहिए।’’