कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को तगड़ा झटका दिया है। उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री के खिलाफ भूमि आवंटन से जुड़े एक मामले में कथित अनियमितता के आरोप की जांच शुरू करने पर राज्यपाल की अनुमति को बहाल रखा है। सिद्धरमैया ने राज्यपाल के इस फैसले को चुनौती दी थी। न्यायालय के आदेश के बाद विपक्षी भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) एवं इसकी सहयोगी दल सेक्युलर ने मुख्यमंत्री पर हमले तेज कर दिए हैं और उनसे इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं। इन दलों का कहना है कि सिद्धरमैया के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उनके खिलाफ लगे आरोप की निष्पक्ष जांच नहीं हो पाएगी।
इससे पहले सिद्धरमैया ने संवाददातों से बातचीत में केंद्र सरकार पर विपक्ष शासित राज्य सरकारों के खिलाफ बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा और जेडीएस ‘साजिश’ रच रही हैं और ‘राज भवन का बेजा इस्तेमाल’ कर रही हैं। सिद्धरमैया ने कहा कि भाजपा ने पहले उनकी सरकार गिराने की कोशिश की मगर इसमें नाकाम रहने के बाद यह नया तरीका आजमाया है।
सिद्धरमैया ने इस्तीफा देने से साफ इनकार किया। सिद्धरमैया ने कहा, ‘मैंने कोई गलत काम नहीं किया है इसलिए इस्तीफा देने का सवाल नहीं है।‘ उन्होंने कहा कि मामले की जांच होनी चाहिए लेकिन केवल यह कहने का मतलब इस्तीफा देना तो नहीं है।
सिद्धरमैया ने कहा कि उप-मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार सहित पार्टी के विधायक और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सभी उनके साथ हैं। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस आलाकमान इस कानूनी लड़ाई में मेरा साथ देगा।‘ मई 2023 में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच मतभेद दूर करने के लिए हस्तक्षेप किया था और उसके बाद ही उन्होंने (सिद्धरमैया ने) मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
उच्च न्यायालय का आदेश सिद्धरमैया के लिए झटका माना जा रहा है। मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा 14 भूखंडों का आवंटन मुख्यमंत्री की पत्नी बी एम पार्वती को करने से जुड़े मामले में सिद्धरमैया पर कथित अनियमितता के आरोप हैं। राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने 16 अगस्त को मुख्यमंत्री के खिलाफ इन आरोपों की जांच की अनुमति दी है। राज्यपाल के इस आदेश की कानूनी वैधता को सिद्धरमैया ने 19 अगस्त को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।