प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
देश की 16 रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (DPSUs) अब रिसर्च एंड डेवलपमेंट यानी R&D पर जोरदार खर्च करने वाली हैं। अगले पांच साल में ये कंपनियां कुल 32,766 करोड़ रुपये खर्च करेंगी। हैरानी की बात यह है कि पिछले दस साल में इनका कुल खर्च सिर्फ 30,952 करोड़ रुपये था। मतलब, अब रफ्तार दोगुनी हो जाएगी।
रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी। कंपनियों की कुल बिक्री इस साल 15.4 फीसदी बढ़कर 1.08 लाख करोड़ रुपये हो गई। मुनाफा भी 19.5 फीसदी चढ़ा और 20,021 करोड़ रुपये पहुंच गया। निर्यात में तो 51 फीसदी की छलांग लगी, जो पिछले साल के मुकाबले काफी ज्यादा है। यह सब वित्त वर्ष 2025 की बात है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कुछ समय पहले कहा था कि R&D में ज्यादा पैसा और लोग लगाओ। नई टेक्नोलॉजी बनाओ, स्वदेशी चीजें बढ़ाओ और निर्यात भी ज्यादा करो। यह ‘सुधारों का साल’ अभियान का हिस्सा है। इसके बाद सभी 16 DPSUs ने अगले पांच साल का R&D रोडमैप तैयार कर लिया।
मंत्रालय के मुताबिक, पुरानी कंपनियां जैसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनामिक्स लिमिटेड ने पिछले दस साल में ज्यादातर पैसा लगाया। अब बारी सभी की है। ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड से बनी सात नई कंपनियां 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करेंगी। रक्षा जहाज बनाने वाली कंपनियां 1,300 करोड़ रुपये से ऊपर की निवेश करेंगी।
सोमवार को नई दिल्ली में रक्षा मंत्री इन 16 कंपनियों की सालाना समीक्षा करेंगे। यहां अगले पांच साल का रोडमैप जारी होगा। पिछले दस साल के R&D प्रोजेक्ट्स की किताब भी लॉन्च होगी। HAL का नया R&D मैनुअल आएगा, जो प्रोजेक्ट्स को तेज और लचीला बनाएगा। रिस्क चेक करना और बजट बांटना आसान हो जाएगा।
कार्यक्रम में अच्छा काम करने वाली कंपनियों को सम्मान मिलेगा। कई बड़े समझौते पर साइन होंगे। कुल मिलाकर, रक्षा क्षेत्र आत्मनिर्भर बनने की राह पर तेजी से बढ़ रहा है। R&D से नई चीजें बनेंगी, जो देश की ताकत बढ़ाएंगी।