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शिक्षा व्यवस्था दमदार व विश्वस्तरीय हो: आनंद महिंद्रा

आनंद महिंद्रा और उनके परिवार ने महिंद्रा यूनिवर्सिटी और इंदिरा महिंद्रा स्कूल ऑफ एजुकेशन के लिए अगले पांच वर्षों में 550 करोड़ रुपये देने का वादा किया है।

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सोहिनी दास   
Last Updated- March 26, 2024 | 11:26 PM IST

महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा और उनके परिवार ने महिंद्रा यूनिवर्सिटी और इंदिरा महिंद्रा स्कूल ऑफ एजुकेशन के लिए अगले पांच वर्षों में 550 करोड़ रुपये देने का वादा किया है। महिंद्रा यूनिवर्सिटी की स्थापना 2020 में की गई थी। महिंद्रा ने सोहिनी दास से टेलीफोन पर बातचीत में महिंद्रा यूनिवर्सिटी के लिए अपनी दीर्घावधि योजना के बारे में खुलकर चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश:

महिंद्रा यूनिवर्सिटी के लिए लंबी अवधि की योजना क्या है?

मैं सबसे पहले इसका श्रेय विनीत नायर को देना चाहता हूं। वह टेक महिंद्रा के वाइस चेयरमैन थे और जब मैं चेयरमैन था तो उन्होंने अपनी सेवाएं दी थीं। बाद में वह सेवानिवृत्त हो गए। वह खुद एक शिक्षाविद् हैं। एक दिन वह मेरे पास आए और कहा, ‘आनंद, आपका परिवार हमेशा शिक्षा के लिए समर्पित रहा है।’ उन्होंने कहा कि एक परिवार के तौर पर हमारी प्रतिबद्धता के मद्देनजर हमें एक यूनिवर्सिटी स्थापित करनी चाहिए।

एक विश्वस्तरीय यूनिवर्सिटी स्थापित करने की लंबे समय से आकांक्षा रही है ताकि दुनिया भर से लोग यहां पढ़ने के लिए आएं और भारतीयों को विदेश न जाना पड़े। मगर एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के लिए मान्यता प्राप्त करने में लालफीताशाही को लेकर मैं चिंतित था।

जब हमने सत्यम का अधिग्रहण किया तो हमारे पास 130 एकड़ का एक परिसर मौजूद था जिसे प्रशिक्षण के लिए बनाया गया था। जाहिर तौर पर यह उसके लिए काफी बड़ा था। इसलिए विनीत ने सुझाव दिया कि हमें वहीं से शुरुआत करनी चाहिए।

इस प्रकार हमने सबसे पहले एक इंजीनियरिंग कॉलेज से शुरुआत की जिसका नाम महिंद्रा इकोल सेंट्रल रखा गया। इकोल सेंट्रल फ्रेंच में आईआईटी का समकक्ष है।
हमारे इस प्रयास को सरकार द्वारा काफी दृढ़ता से समर्थन और प्रोत्साहित किया गया है। जाहिर तौर पर हमारा दृष्टिकोण बिल्कुल सरल था कि एक उम्दा यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाए जहां कई स्कूल हों और वे अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता के प्रतीक हों।

महिंद्रा यूनिवर्सिटी में आपने किन परियोजनाओं की शुरुआत की है?

हमारी एक शुरुआती परियोजना यह थी कि मेरी माता इंदिरा महिंद्रा के नाम पर एक स्कूल ऑफ एजुकेशन की स्थापना की जाए। इस प्रकार शिक्षा के प्रति उनके लगाव के सम्मान में इंदिरा महिंद्रा स्कूल ऑफ एजुकेशन की स्थापना की गई। अपनी साधारण शुरुआत के बावजूद वह लखनऊ के इसाबेला थोबर्न कॉलेज में इतिहास की प्रोफेसर बन गईं।

वह अक्सर बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करते समय शिक्षक तैयार करने के महत्त्व पर जोर देती थीं। उनका मानना था कि हमारे देश में शिक्षकों का पर्याप्त भंडार तैयार किए बिना हम शिक्षा में उत्कृष्टता हासिल नहीं कर पाएंगे। इस उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए हमने स्कूल ऑफ एजुकेशन को 50 करोड़ रुपये देने का वादा किया है।

इसके अलावा हमने महिंद्रा यूनिवर्सिटी में कई अन्य स्कूल भी शुरू किए हैं। इनमें स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, स्कूल ऑफ लॉ, इंजीनियरिंग, मीडिया एवं अन्य स्कूल शामिल हैं। हम एक लिबरल आर्ट कॉलेज के साथ-साथ एक स्कूल ऑफ हॉस्पिटैबिलिटी खोलने की भी योजना बना रहे हैं।

विस्तार की तत्काल आवश्यकता को महसूस करते हुए मेरे परिवार- जिसमें मेरे अलावा मेरी पत्नी, मेरे बच्चे शामिल हैं- ने अगले पांच वर्षों में इस यूनिवर्सिटी को 500 करोड़ रुपये दान देने का वादा किया है।

हम इस साल 150 करोड़ रुपये के साथ इस पहल की शुरुआत कर रहे हैं। इसमें से 50 करोड़ रुपये स्कूल ऑफ एजुकेशन के लिए और 100 करोड़ रुपये यूनिवर्सिटी के लिए आवंटित किए गए हैं। अगले चार वर्षों के दौरान हम शेष 400 करोड़ रुपये जारी कर देंगे। फिलहाल हमारे पास 4,100 छात्र, 240 से अधिक शिक्षक और करीब 3,500 छात्रों के लिए छात्रावास उपलब्ध हैं।

क्या आप एक स्कूल ऑफ मेडिसन भी स्थापित करेंगे?

करीब एक साल पहले खबरें आई थीं कि मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन एवं अन्य देश जाने वाले छात्रों पर काफी ध्यान दिया गया है। इस क्षेत्र के महत्त्व को महसूस करते हुए मैंने इसकी संभावना की गहराई से पड़ताल की है। मगर मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए उसे किसी अस्पताल से संबद्ध होना आवश्यक है। इसलिए हमने इसे फिलहाल ठंडे बस्ते में डालने का फैसला किया है।

First Published : March 26, 2024 | 11:26 PM IST