दिल्ली सरकार दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने की योजना पर काम कर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को भलस्वा लैंडफिल साइट का दौरा किया। इससे पहले केजरीवाल ने 3 मार्च को ओखला लैंडफिल साइट का दौरा कर दिसंबर 2023 तक कूड़ा साफ करने के निर्देश दिए थे।
भलस्वा लैंडफिल साइट से कूड़ा हटाने की प्रक्रिया का जायजा लेने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आज कहा कि पिछले 30 सालों में भलस्वा लैंडफिल साइट एक बड़ा कूड़े का पहाड़ बन गया है।
पूरी दिल्ली का कूड़ा यहां आता है। इस कूड़े के पहाड़ को हटाने का कार्य चल रहा है। एनजीटी के आदेश के बाद 2019 में यहां से कूड़ा हटाया जाना शुरू हुआ। उस समय भलस्वा लैंडफिल साइट पर करीब 80 लाख टन कूड़ा मौजूद था।
2019 से लेकर आज तक 30 लाख टन कूड़ा हटाया जा चुका है। जबकि अभी 50 लाख टन कूडा साइट पर पड़ा है। लगभग दो-ढाई साल में 30 लाख टन कूड़ा हटाया जा सका है।
केजरीवाल ने कहा, “अब हम लोगों ने दिसंबर 2023 तक 30 लाख टन कूड़ा हटाने का लक्ष्य रखा है। हमें पूरी उम्मीद है कि अगले साल मार्च-अप्रैल तक लैंडफिल साइट पर बचा 50 लाख टन कूड़े को हटा दिया जाएगा। कूड़ा हटाने की पहले जो गति थी, अब उससे दोगुनी गति से काम चल रहा है। मैंने इसकी समीक्षा भी की है। पहले यहां से 6,500 टन कूड़ा प्रतिदिन उठाया जा रहा था। लेकिन बुधवार से 9 हजार टन कूड़ा उठ रहा है। इस महीने के अंत तक कूड़ा उठाने की गति दोगुना कर दी जाएगी और करीब 12-13 हजार टन कूड़ा प्रतिदिन उठना चालू हो जाएगा।”
केजरीवाल ने कहा, “लैंडफिल साइट पर जो नया कूड़ा आ रहा है, उसके लिए अलग से इंतजाम किया गया है। नया आने वाले कूड़े के निपटान की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है और लगातार उसको डिस्पोज किया जा रहा है। दिल्ली में प्रतिदिन करीब 11 हजार टन कूड़ा बनता है। उसमें से 8,100 टन से अधिक कूड़े के डिस्पोजल का हम लोगों के पास इंतजाम है। वहीं, करीब 2,800 टन कूड़ा रोजाना बच रहा है। इसके लिए ओखला में एक हजार टन का अतिरिक्त क्षमता बढ़ाने का काम चल रहा है। इस कूड़े को डिस्पोज करने के लिए बवाना में 2 हजार टन का वेस्ट टू एनर्जी प्लांट बन रहा है, जो 2026 तक बनकर तैयार हो जाएगा। तब तक नये कूड़े को प्रतिदिन डिस्पोज करने के लिए हमने अस्थाई व्यवस्था की है।”
उन्होंने कहा कि भलस्वा साइट से 10 हजार टन प्रति दिन लेगेसी वेस्ट उठता है और प्रति दिन आने वाला 2 हजार टन कूड़े को डिस्पोज किया जाता है। अब वेस्ट टू एनर्जी में भी काफी कूड़ा सीधे जा सकता है।