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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कर्नाटक के बेल्लारी में लोगों से खचाखच भरी एक चुनावी रैली में एक हिंदी फिल्म का जिक्र किया था। इस फिल्म का नाम उछलने के साथ ही केरल में एक पुराना विवाद फिर सामाजिक-राजनीतिक स्तर पर सबको झकझोरने लगा है। ‘द केरला स्टोरी’ (The Kerala Story) नाम की इस फिल्म की विषय-वस्तु को लेकर केरल में राजनीतिक बवाल हो रहा है। फिल्म की पटकथा में यह दिखाया गया है कि राज्य में कथित तौर पर महिलाएं सीरिया और अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट (IS) में शामिल होने के लिए धर्मांतरण के जरिये इस्लाम धर्म अपना रही हैं।
कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने प्रधानमंत्री के बयान को राज्य सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार बताया जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कहना है कि केरल पिछले कुछ समय से लगातार बढ़ते इस खतरे से जूझ रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इसे दुनिया में राज्य को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा बताया।
इस फिल्म को लेकर विवाद इतना बढ़ गया था कि तमिलनाडु और केरल में इसके प्रदर्शन पर पाबंदी लगने की आशंका पैदा हो गई थी। मगर केरल उच्च न्यायालय ने इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
उच्च न्यायालय के पीठ ने कहा, ‘इस फिल्म में इस्लाम के खिलाफ क्या है? इस धर्म के खिलाफ इस फिल्म में कोई आरोप नहीं लगाए गए हैं। जो भी आरोप हैं वह ISIS के खिलाफ हैं। मगर उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद भी केरल और तमिलनाडु में इस फिल्म को लेकर विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
प्रधानमंत्री ने इस फिल्म के बारे में कहा था, ‘फिल्म द केरला स्टोरी एक आतंकी साजिश पर आधारित है। यह आतंकवाद के क्रूर चेहरे से नकाब उतारती है, आतंकवादियों के कार्य करने के तरीकों का पर्दाफाश करती है। कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के लिए आतंकवाद को हमेशा श्रय दिया है।’
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केरल के कांग्रेस नेताओं को फिल्म के शुरुआती विवरण पर आपत्ति है। फिल्म के शुरुआती विवरण में कहा गया है कि केरल से करीब 32,000 महिलाएं ISIS में शामिल हो चुकी हैं। फिल्म में राज्य में लव जिहाद की मौजूदगी होने की तरफ भी इशारा किया गया है। ऐसा आरोप है कि तथाकथित लव जिहाद में मुस्लिम पुरुष दूसरे धर्म की महिलाओं को झांसे में लेकर कर इस्लाम धर्म अपनाने के लिए कहते हैं।
कांग्रेस नेता और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी सी सतीशन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘यह केरल और राज्य की महिलाओं का अपमान है। 32,000 का आंकड़ा एक भारी भूल है। 2018 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उच्चतम न्यायालय में कहा था कि राज्य में लव जिहाद की मौजूदगी का कोई भी संकेत नहीं है। राज्य में विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच विवाह जरूर हो रहे हैं मगर उन्हें महिलाओं को इस्लाम धर्म में तब्दील करने और ISIS का हिस्सा बनने का जरिया बताना सरासर बेबुनियाद है।’
तमिलनाडु में भी यह फिल्म विवाद के केंद्र में आ गई है। राज्य में मुस्लिम समुदाय के लोग विरोध कर रहे हैं और पुलिस की भारी सुरक्षा में फिल्म प्रदर्शित की जा रही है। एक खबर में केंद्रीय गृह मंत्रालय का हवाला देकर दावा किया गया है कि 2014 से भारत से केवल 62 लोग ISIS का हिस्सा बने हैं। इससे यह संकेत मिल रहा है कि 32,000 का आंकड़ा तथ्यों से काफी दूर है।
ऑस्ट्रेलिया की संसद की एक रिपोर्ट के अनुसार 80 देशों के केवल 40,000 लोग ही ISIS में हैं। यह रिपोर्ट भी साफ तौर पर कह रही है कि फिल्म में दिखाए गए आंकड़े वास्तविक संख्या से काफी दूर हैं।
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केरल में भाजपा के राज्य अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘यह फिल्म मुस्लिमों के खिलाफ नहीं बल्कि ISIS के खिलाफ है। यह सच है कि भारत में लोग ISIS में शामिल हुए थे। जो लोग इस आतंकवादी संगठन का समर्थन करते हैं केवल वे ही इस फिल्म के खिलाफ हैं। अगर इसके बाद भी कोई समस्या है तो हिंदू, ईसाई और मुस्लिम समुदाय को जो लोग इस सच्चाई का समर्थन करते हैं वे इसके खिलाफ खड़ा होंगे।
जो लोग इस फिल्म का समर्थन कर रहे हैं वे चार महिलाओं- फातिमा इसा, सोनिया सेबेस्टिन उर्फ आयशा, रफीला और मेरिन जैकब उर्फ मरियम के मामलों का हवाला दे रहे हैं। इस्लामिक स्टेट में अपने पति के साथ शामिल होने के आरोप में वे अफगानिस्तान के खुरासान प्रांत की एक जेल में बंद हैं।
सतीशन ने कहा, ‘हमारा केवल इतना कहना है कि भाजपा राज्य में सद्भाव बिगाड़ना मुस्लिमों और ईसाई समुदाय में दरार डालकर अल्पसंख्यक वोट तोड़ना चाहती है। फिल्म को लेकर विवाद जितना भी हुआ हो मगर इसके निर्माताओं को जरूर फायदा हुआ है। सप्ताहांत पर सुदीप्तो सेन की इस फिल्म को अच्छी शुरुआत मिली है।