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भारत के चंद्रयान-3 ने आज 21वीं सदी का शानदार इतिहास रचते हुए चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक अपनी लैंडिंग कर ली है। करीब 19 मिनट तक दुनिया की निगाहें चंद्रयान-3 पर टिकीं रहीं और ISRO ने इसे यादगार पल का नाम देते हुए बुधवार को 140 करोड़ भारतीयों के सपनों को पंख दे दिया और चांद पर भारत का झंडा लहरा दिया। लैंडिंग के साथ ही छह पहियों वाला रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह को छूते हुए रैंप के सहारे लैंडर से बाहर आ गया।
करीब 6,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धीमा होकर करीब 0 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर आकर लैंडर चांद की सतह पर सफलतापूर्वक पहुंच गया। ISRO ने इतनी सुरक्षा के साथ इसे डिजाइन किया था कि अगर यह 10 किलोमीटर की रफ्तार से भी लैंडिंग करता तो इसपर कोई नुकसान नहीं होने वाला था।
साउथ पोल पर लैंडिंग कर भारत बना पहला देश
ISRO के मून मिशन की सफलता के साथ ही एक और इतिहास भारत के नाम हो गया है। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। चंद्रयान-3 मिशन के सफल होने के बाद अमेरिका, चीन और सोवियत संघ के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन गया।
बता दें कि इसके पहले, 21 अगस्त को ही रूस के Luna-25 अंतरिक्ष यान को चांद पर उतरना था लेकिन उसका मानवरहित रोबोट लैंडर कक्षा में अनियंत्रित होने के बाद चंद्रमा से टकरा गया और मिशन फेल हो गया।
केवल 600 करोड़ के खर्च में चांद पहुंचा चंद्रयान
केवल 600 करोड़ के खर्च में भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग को देखकर केवल देश के लोग ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लोग काफी उत्साहित हैं। 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 20 मिनट से ही देश की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO मिशन मून का लाइव प्रसारण कर रहा है। इसरो के सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर चंद्रयान 3 के लैंडिंग के पूरे प्रोसेस का प्रसारण किया जा रहा है। इसके साथ ही नैशनल टीवी चैनल दूरदर्शन पर भी इसका लाइव प्रसारण किया जा रहा है।
चंद्रयान-2 की असफलता से क्या सीखा ISRO ने? इस बार रहा सावधान
ISRO का चंद्रयान-3 मिशन इस बार बड़ी सावधानी और सतर्कता के साथ सफल किया गया। करीब 4 साल पहले,साल 2019 में, चंद्रयान-2 की विफलता के बाद इस बार ISRO ने विफलता आधारित डिजाइन (failure-based appfroach) का चुनाव किया था। विफलता यानी सेंसर का फेल होना, इंजन का फेल हो जाना या एल्गोरिदम का सही काम न करना जैसी कई चीजें। इसमें इ्स बात पर फोकस किया गया था कि मिशन के दौरान क्या-क्या फेल हो सकता है और सफल लैंडिंग कराने के लिए इसे कैसे पूरी तरह से सुरक्षित बनाया जाए।
बुधवार को ISRO ने X पर ट्वीट कर बताया कि वह ऑटोमेटिक लैंडिंग सीक्वेंस को लेकर पूरी तरह से तैयार है और मिशन ऑपरेटिंग टीम कमांड को लेकर कन्फर्मेंशन देती रहेगी, और मॉक्स (MOX-mission operating complex) से ऑपरेशन का प्रसारण शाम 5 बजकर 20 मिनट से दिखाया जाएगा। बता दें कि मॉक्स की गैलरी बुधवार को चंद्रयान-3 का साक्षी बनने के लिए खचाखच भरी हैं और लोग काफी उत्सुक नजर आ रहे हैं।
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14 जुलाई को चंद्रयान-3 ने भरी थी उड़ान
14 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर भारत का मून मिशन चंद्रयान चांद पर पहुंचने के लिए उड़ान भर दी थी। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM-3 M4 रॉकेट चंद्रयान-3 को लेकर रवाना हुआ था। इसके बाद मिशन चंद्रयान को कई दौर से गुजरना पड़ा। पृथ्वी से दूर कई बार चंद्रयान ने ऑर्बिट में घूमते हुए कक्षाएं बदली थी।
1 अगस्त को स्लिंगशाट के बाद यह पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा के ऑर्बिट में एंट्री करने के लिए बढ़ गया और 5 अगस्त को ऑर्बिट में एंट्री कर ली। करीब 1 महीने के इस सफर में चंद्रया-3 को कई फेज से गुजरना पड़ा। 6, 9, 14 और 16 अगस्त को इसने कक्षाओं में बदलाव किया और चांद के करीब पहुंचता गया। 17 अगस्त को चंद्रयान-3 ने बड़ी सफलता हासिल की जब इसके प्रपल्जन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल एक-दूसरे से अलग हो गए। ISRO ने दोनों की बातचीत को जीवंत रूप देते हुए पोस्ट किया- ‘लैंडर मॉड्यूल ने कहा, यात्रा के लिए धन्यवाद, दोस्त।’ इसके बाद, लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के आसपास की थोड़ी निचली कक्षा में उतरने लगा।
बता दें कि 18 और 19 अगस्त को लैंडर, जिसे विक्रम नाम दिया गया है और रोवर, जिसे प्रज्ञान नाम दिया गया है से युक्त लैंडर मॉड्यूल दो बार डिबूस्टिंग यानी धीमा करने की प्रक्रिया के बाद चंद्रमा की सबसे करीबी सतह पर पहुंच गया था।
इस सफर में सबसे कठिन फेज आज यानी 23 अगस्त को 5 बजकर 47 मिनट से 6 बजकर 4 मिनट का रहा। ये 17 मिनट यात्रा में सबसे अहम हिस्सेदार थे क्योंकि इस दौरान लैंडर के इंजन को सही समय और उचित ऊंचाई पर चालू करना था और नीचे उतरने से पहले ही यानी चांद की सतह पर उतरने के बिल्कुल पहले यह भी पता लगाना था कि यहां कोई पहाड़ी, गढ्ढे या और कोई रुकावट वाली चीज न हो ताकि लैंड करते समय किसी भी दुर्घटना से बचा जा सके।