PTI
कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार सोमवार शाम को समाप्त हो गया। अब सबका ध्यान इस बात पर टिका है कि क्या संघ परिवार के चुनावी तंत्र की मदद से भाजपा राज्य में जातीय विभाजन को खत्म कर प्रभावी जीत दर्ज कर पाएगी या नहीं। अगर भाजपा चुनाव में विजय होगी तो वह लगातार दूसरी बार राज्य में सत्ता में आएगी। राज्य में 224 सीटों के लिए बुधवार को मतदान होगा। मतों की गिनती 13 मई को होगी।
बिहार के बाद कर्नाटक दूसरा बड़ा राज्य रहा है जहां काफी प्रयास करने के बावजूद भाजपा और संघ परिवार हिंदू मतों को पूर्ण रूप से अपने पाले में करने में विफल रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में बजरंग दल का नाम उसी तरह शामिल किया है जैसे भाजपा ने पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया का जिक्र किया है।
इस बार के चुनाव में भाजपा सत्ता बरकरार रखने के लिए तो वहीं कांग्रेस उसे पटखनी देने के लिए जोर आजमाइश कर रही है। राज्य की तीसरी सबसे बड़ी ताकत जनता दल (सेक्युलर) ने भी मतदाताओं को रिझाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। जोर-शोर से चले प्रचार अभियान में नेता एक दूसरे पर हमले भी करते नजर आए। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के शीर्ष नेता पिछले कुछ दिन से पूरे राज्य में प्रचार अभियान में जुटे हुए थे।
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सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में क्रमिक रूप से बदलाव की 38 साल पुरानी परंपरा को तोड़ने और दक्षिण भारत में अपने गढ़ को बचाने की कोशिश में जुटी है। भाजपा से सत्ता छीनने के लिए कांग्रेस कड़ी मेहनत कर रही है और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मुख्य विपक्षी दल के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास कर रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के नेतृत्व में जनता दल (सेक्युलर) को चुनाव प्रचार में अपनी पूरी शक्ति झोंकते देखा गया और वह (जद-एस) चुनावों में ‘किंगमेकर’ नहीं, बल्कि विजेता बन कर उभरना चाहता है। भाजपा का चुनाव प्रचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे, ‘डबल इंजन’ की सरकार, राष्ट्रीय मुद्दों और कार्यक्रमों या केंद्र एवं राज्य सरकारों की उपलब्धियों पर केंद्रित रहा।
कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को उठाया है और शुरूआत में इसके चुनाव प्रचार की बागडोर स्थानीय नेताओं के हाथों में थी। हालांकि, बाद में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा जैसे इसके शीर्ष नेता भी चुनाव प्रचार में शामिल हो गए। पिछले दिनों सोनिया गांधी ने भी राज्य में चुनावी जनसभा को संबोधित किया।
जद (एस) ने भी चुनाव प्रचार में स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता दी है। इसके नेता एच डी कुमारस्वामी के साथ-साथ देवेगौड़ा ने भी प्रचार किया। मोदी ने 29 अप्रैल से अब तक करीब 18 जनसभाएं और छह रोड शो किए हैं।
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चुनाव कार्यक्रम की 29 मार्च को घोषणा होने से पहले मोदी ने जनवरी से तब तक सात बार राज्य का दौरा किया था और विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया। साथ ही, सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के साथ हुई कई बैठकों को संबोधित किया।
भाजपा नेताओं के मुताबिक, मोदी के पूरे प्रदेश के दौरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया है और मतदाताओं में विश्वास भरा है। पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित पार्टी के अन्य नेताओं के तूफानी चुनाव प्रचार का उसे लाभ मिलेगा।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘प्रधानमंत्री और शाह ने मतदान से पहले कांग्रेस को पीछे धकेल दिया है।’ उक्त नेताओं के अलावा भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हिमंत विश्व शर्मा, शिवराज सिंह चौहान, प्रमोद सावंत तथा केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, एस जयशंकर, स्मृति इरानी, नितिन गडकरी सहित अन्य ने भी प्रचार करने के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया है।