सड़कों पर कम भीड़-भाड़ के दिन भी किसी दक्ष चालक को मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में इस पार से उस पार जाने में अमूमन 30 मिनट लग जाते हैं। जिस दिन सड़कों पर भीड़ एवं गाड़ियों की आवाजाही अधिक रहती है उस दिन तो मानों सफर करने वालों पर पहाड़ टूट पड़ता है। हां, इस बात की दाद जरूर देनी होगी कि मुंबई के लोग सड़कों पर गाड़ियों की लंबी कतार में भी अपना धैर्य नहीं खोते हैं।
शोर-गुल से दूर एक किलोमीटर लंबी जमीन का टुकड़ा है जिस पर रोजाना 800 लोग काम करने आते हैं। यह जगह भारत में तेज रफ्तार से चलने वाली बुलेट ट्रेन का उद्गम स्थान बनेगी।
जहां मुंबई- अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) गलियारे के लिए निर्धारित स्टेशन के लिए खुदाई चल रही हैं वहां से थोड़ी ही दूर पर काम करने वाले एक वेंडर सतीश कहते हैं, ‘यही वह जगह है जहां बुलेट ट्रेन रुकेगी।’ सतीश ने कहा कि उन्हें मालूम ही नहीं था कि इस जगह पर बुलेट ट्रेन के लिए स्टेशन तैयार हो रहा है!
स्थानीय लोगों का कहना है कि स्टेशन के निर्माण कार्य से लोगों को कोई खास परेशानी नहीं हो रही है। इसका एक कारण यह भी है कि मुंबई में अक्सर यत्र-तत्र खुदाई का काम चलता ही रहता है।
इस स्थान के अगल-बगल से गुजरने वाले लोगों को निर्माण कार्यों की झलक नहीं मिलती है मगर जहां खुदाई चल रही है वहां से प्रति दिन 500 ट्रक खुदाई के बाद जमा हुई मिट्टी एक निर्धारित जगह पर जमा करते हैं। जमीन से 32 मीटर नीचे तक खुदाई चलती रहेगी।
मेघा इंजीनियरिंग ऐंड इन्फ्रास्ट्रकचर्स लिमिटेड(एमईआईएल) और हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) के कंसोर्टियम ने इस गहराई के नौवें हिस्से तक खुदाई पूरी कर ली है। इन दोनों कंपनियों के संयुक्त उद्यम को पिछले साल मार्च में अनुबंध दिया गया था। 54 महीनों की निर्धारित समयसीमा के साथ मार्च 2028 तक काम पूरा किया जाना है।
जब 508 किलोमीटर लंबे एमएएचएसआर गलियारे के निर्माण की घोषणा हुई थी तो कहा गया था कि यह परियोजना 2022 तक पूरी हो जाएगी। मगर राजनीतिक मतभेद और तकनीकी कारणों से अब यह परियोजना पूरी होने में कम से कम छह वर्षों की देरी हो सकती है।
परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण पूरा हो चुका है और इसके लिए जरूरी ढांचा तैयार करने का काम भी जोर-शोर से चल रहा है। अब यह लगने लगा है कि धीरे-धीरे ही सही मगर भारत में बुलेट ट्रेन चलने का सपना पूरा हो जाएगा।
पिछले साल नैशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (एनएचएरआरसीएल) ने इस गलियारे के लिए 24 ई5 सीरीज की शिनकासेन रेलगाड़ियों के लिए अनुमानित 11,000 करोड़ रुपये की निविदा जारी की थी। जापान के साथ हुए भारत के समझौते के तहत इसमें केवल जापान की कंपनियों को ही बोली लगाने की अनुमति दी गई थी।
एनएचएसआरसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार जापान की कंपनियों कावासाकी हैवी इंडस्ट्रीज और हिताची रेल 29 फरवरी को बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू करेंगी और उम्मीद की जा रही है कि 2024 के मध्य तक ठेका दे दिया जाएगा। एनएचएसआरसी के प्रबंध निदेशक विवेक कुमार गुप्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि केंद्र सरकार मुंबई और अहमदाबाद के बीच 2028 तक बुलेट ट्रेन का पूर्ण परिचालन करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2017 ने इस परियोजना को ‘दिखावा’ और ‘गैर-जरूरी’ बताया था। केंद्र की इस परियोजना का राजनीतिक विरोधियों ने यह कहते हुए विरोध जताया था कि यह केवल अमीर लोगों के काम आएगी। परियोजना में छह वर्षों की देरी होने के बाद अब लागत कम से कम 60,000 करोड़ रुपये बढ़ गई है।
अब केंद्र सरकार का कहना है कि वह फिलहाल नहीं बता सकती कि परियोजना पूरी करने पर कितनी लागत आएगी और यह कब तक पूरी हो पाएगी।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 9 फरवरी को राज्यसभा में एक लिखित बयान में कहा था, ‘अनुबंध दिए जाने के बाद ही यह निश्चित तौर पर कहा जा सकेगा कि कितनी लागत आएगी और परियोजना कब तक पूरी हो पाएगी।’
इस परियोजना की जानकारी रखने वाले सरकारी अधिकारियों एवं बड़े पदों पर बैठे लोगों ने कही कि लागत तो वाकई काफी बढ़ गई है। उनका कहना है कि सरकार संशोधित खर्च की समीक्षा उच्च-स्तरीय समिति और केंद्रीय मंत्रिमंडल से कराएगी।
बुलेट ट्रेन से सफर के लिए कितना किराया देना होगा इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है। इस पर निर्णय इस गलियारे पर परिचालन शुरू होने से पहले लिया जाएगा। मगर मोटे तौर पर यह माना जा रहा है कि यह परियोजना विशेषकर मुंबई और गुजरात के बीच यात्रा करने वाले रत्न एवं आभूषण व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों के लिए फायदेमंद होगा।