हिंदी दिवस

एआई: हिंदी को सक्षम बनाएगी तकनीक, गिरेगी भाषा की दीवार

AI and Hindi: उम्मीद की जा रही है कि एआई हिंदी भाषा के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान करने वाली साबित होगी।

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अंशु   
Last Updated- September 14, 2024 | 7:45 AM IST

AI and Hindi: जीवन का शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र है, जहां आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) का दखल नहीं है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी से लेकर लेखन और वैचारिकी तक एआई हमारे जीवन का अनिवार्य हिस्सा बन चुकी है। ऐसे में भाषाएं भला इससे कैसे अछूती रह सकती हैं? हिंदी भाषा भी एआई के असर से मुक्त नहीं है और विशेषज्ञों का माना है कि एआई तकनीक न केवल हिंदी के विकास को गति प्रदान करेगी बल्कि उसे नई वैश्विक पहचान दिलाने में भी मददगार साबित होगी।

एआई की सहायता से हिंदी भाषा में रोजगार की नई राह भी खुलेगी। नई तकनीक हिंदी भाषा को इस्तेमाल के स्तर पर सहज बनाएगी बल्कि इस डिजिटल दौर में उसे बेहतर समन्वय के भी योग्य बनाएगी।

गिरेगी भाषा की दीवार

हिंदी भाषा तथा तकनीक के क्षेत्र में लंबे समय से काम कर रहे बालेन्दु शर्मा दाधीच कहते हैं, ‘एआई आने वाले कुछ वर्षों में हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। यह तकनीक कई तरह से हिंदी भाषा को प्रभावित करेगी। हमें इसे अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर देखना होगा।

पहली बात, इसकी बदौलत हिंदी दुनिया से अधिक बेहतर तरीके से जुड़ सकेगी। हिंदी में लिखित या वीडियो कंटेंट या शोध कार्य दूसरी भाषाओं के लोगों तक सहजता से पहुंच सकेगा क्योंकि अब इसका तुरंत और सटीक अनुवाद संभव होगा।’

उन्होंने कहा कि जेनरेटिव एआई और गूगल तथा अन्य टूल्स के सटीक अनुवाद के कारण दूसरी भाषाओं में हो रहे बेहतर काम के लिए अब हिंदी के पाठकों को अनुवाद की प्रतीक्षा नहीं करनी होगी। अब वे स्वयं मनचाही भाषा की कृतियों का अनुवाद अपने स्क्रीन पर पढ़ सकते हैं।

मजबूत मॉडल बनाना जरूरी

कई भारतीय भाषाओं में काम करने वाली हनुमान एआई की मूल कंपनी एसएमएल जेनरेटिव एआई के संस्थापक डॉ. विष्णु वर्धन कहते हैं, ‘अगले एक दशक में जेनरेटिव एआई का उपयोग व्यापक हो जाएगा। यदि हम इस समय का सदुपयोग नहीं करते हैं और हिंदी सहित देश की अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के लिए मजबूत एआई मॉडल विकसित नहीं करते हैं तो लोगों की अंग्रेजी पर निर्भरता और बढ़ सकती है। इससे हमारी क्षेत्रीय भाषाओं के अस्तित्व पर संकट आ सकता है। अगर हम इन भाषाओं के लिए खासकर वॉयस-बेस्ड एआई मॉडल्स तैयार करते हैं, तो शिक्षा, संचार और मनोरंजन के क्षेत्र में इन भाषाओं के उपयोग को नए आयाम मिल सकते हैं।’

नई दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केंद्र में हिंदी के प्रोफेसर अजमेर सिंह काजल मानते हैं कि एआई तकनीक से न सिर्फ हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में मदद मिलेगी बल्कि यह हिंदी भाषा को सीखने और सिखाने के तरीकों में भी आमूलचूल बदलाव ला सकता है। काजल कहते हैं कि आने वाले दिनों में एआई चैटबॉट या असिस्टेंट व्यक्तिगत शिक्षक की भूमिका निभा सकता है।

वह कहते हैं, ‘ पारंपरिक कक्षा की जो व्यवस्था बीते कई दशकों से चली आ रही है, उसमें सभी बच्चों को एक ही खांचे में भाषा सीखनी पड़ती है। हर छात्र की जरूरतें और क्षमताएं अलग-अलग होती हैं। पुरानी व्यवस्था उनकी अलग-अलग जरूरत का ध्यान नहीं रख पाती है मगर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस इस समस्या को जड़ से मिटा सकती है। एआई एक छात्र की ताकत, कमजोरियों और रुचियों का विश्लेषण कर बेहतर शिक्षण पथ तैयार कर सकता है।‘

विशिष्ट चुनौतियों पर देगा ध्यान

एआई तकनीक की एक खास बात यह है कि यह अलग-अलग उपयोगकर्ताओं की दिक्कतों को समझकर अलग-अलग हल दे सकती है।

दाधीच कहते हैं कि एआई तकनीक पर काम करने वाले ऐप, चैटबॉट या असिस्टेंस यूजर की प्रगति पर तत्काल नजर रख सकते हैं और पता कर सकते हैं कि उन्हें दिक्कत कहां हो रही है। उसके बाद सटीक अभ्यास और संसाधन सुझाए जा सकते हैं। इससे शिक्षार्थी उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जिनमें सुधार की आवश्यकता है, जिससे सीखने की प्रक्रिया अधिक कुशल और प्रभावी हो जाती है। इसमें चैट जीपीटी, गूगल जैमिनी, मेटा एआई और माइक्रोसॉफ्ट को-पायलट आदि महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।

आसान हुआ अनुवाद

भारत में लगभग 50 करोड़ ऐसे इंटरनेट उपभोक्ता हैं जो क्षेत्रीय भाषाओं का उपयोग करते हैं। एआई से चलने वाले ट्रांसलेशन टूल हिंदी बोलने वालों और अन्य भाषाएं बोलने वालों लोगों के बीच संचार और संवाद आसान बना सकते हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार ट्रांसलेशन टूल का बाजार कई अरब डॉलर का है। वर्धन कहते हैं कि पुराने ट्रांसलेशन टूल ज्यादा सटीक नहीं थे मगर जेन एआई की प्रगति के साथ ज्यादा सटीक अनुवाद मिल रहा है।

एआई हिंदी में स्पीच रिकग्निशन और टेक्स्ट-टु-स्पीच तकनीकों को बेहतर बना सकता है। इससे लोगों के लिए डिजिटल उपकरणों के साथ अपनी मूल भाषा में बातचीत करना आसान हो जाएगा।

कंटेट क्रिएटर्स की चांदी

इस तकनीकी दौर में हिंदी में कंटेंट लिखने और वीडियो पेश करने वालों की तादाद भी लाखों में है। बड़ी तादाद में कंटेंट क्रिएटर्स एआई टूल्स का इस्तेमाल करके अपनी पटकथा लिख रहे हैं और वीडियो बना रहे हैं। इससे उनकी कमाई हो रही है और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हिंदी की मौजूदगी बढ़ रही है।

काजल कहते है कि हिंदी भाषा में एआई तकनीक के कारण कारोबार बढ़ेगा। एआई-संचालित मार्केट रिसर्च टूल हिंदी भाषी क्षेत्रों में रुझानों और उपभोक्ताओं की पसंद नापसंद को परख सकते हैं। इससे कारोबार अपने ग्राहकों को लिए अधिक कारगर नीति तैयार कर सकते हैं।

First Published : September 14, 2024 | 7:45 AM IST