पृथ्वी की सतह के 70 फीसदी से अधिक हिस्से को महासागर (समुद्र) कवर करते हैं। तभी यह जीवन के साथ-साथ कारोबार के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। दुनिया भर में 90 फीसदी से अधिक अंतरराष्ट्रीय कार्गो इन्हीं समुद्री मार्गों से होकर गुजरता हैं।
हालांकि, प्रदूषण के खतरे ने समुद्र को भी नहीं बख्शा है। प्रदूषण और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण लगभग 50 फीसदी ‘coral reef’ प्रभावित हुई हैं। ये चट्टानें स्पष्ट रूप से समुद्र की biodiversity के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
ऐसे में समुद्र को प्रदूषण से होने वाले नुकसान से बचाना बहुत जरूरी है। हालांकि, इसके लिए बहुत अधिक पैसों की भी जरूरत होती है। यही वजह है कि फंडिंग का एक खास मैकेनिज्म बनाया गया है जिसे ब्लू बॉन्ड (Blue Bond) कहा जाता है।
क्या होते है ब्लू बॉन्ड ?
ब्लू बॉन्ड का कांसेप्ट (concept) भी ग्रीन बॉन्ड से लिया गया है। ग्रीन बॉन्ड की तरह ब्लू बॉन्ड भी धन जुटाने के साधन हैं जो सरकार या डेवेलपमेंट बैंकों द्वारा जारी किए जाते हैं। इन बांडों से जुटाई गई धनराशि का इस्तेमाल उन गतिविधियों में किया जाता है जो समुद्री संसाधनों को संरक्षित और बढ़ाने में मदद करती हैं।
Marine biodiversity यानी समुद्री जैव विविधता वैश्विक स्तर पर एक बडा मुद्दा बन गया है इसलिए ब्लू बॉन्ड तेजी से जारी किए जा रहे हैं। इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट और फाइनेंशियल सर्विस कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने अब तक 150 अरब डॉलर मूल्य के ब्लू बॉन्ड बेचे हैं, जिससे इनकी बढ़ती लोकप्रियता का पता चलता है।
ब्लू बॉन्ड क्यों और कैसे जारी किए जाते हैं?
ब्लू बॉन्ड जारी करने का मुख्य उद्देश्य प्रभावशाली निवेशकों के लिए पूंजी की लागत को कम करना है। यह कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों की मदद से जारी किया जाता है। उदाहरण के तौर पर वर्ल्ड बैंक ब्लू बॉन्ड के खरीदारों को मुफ्त क्रेडिट गारंटी प्रदान करने के लिए जाना जाता है। इसका मतलब यह है कि अगर जारी करने वाला पक्ष उधार लिए गए धन को चुकाने में असमर्थ है, तो इस स्थिति में वर्ल्ड बैंक कर्ज चुकाएगा।
यह गारंटी निवेशकों के जोखिम को काफी कम कर देती है। इसी के चलते ब्लू बॉन्ड से मिला मामूली रिटर्न भी महत्वपूर्ण लगता है। दुनिया भर के देश अपने निवेशकों के लिए रिटर्न बढ़ाने को लेकर क्रेडिट गारंटी और रियायती ऋण का इस्तेमाल करते हैं।