मुनाफे के नए कदमों की दास्तां

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 1:55 AM IST

भारत का फुटवियर उद्योग आज 10 हजार करोड़ का हो चुका है। साथ ही, यह सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक है। इसलिए यह निवेश के अच्छे मौके मुहैया करवाता है। उपभोग की बात करें, तो दुनिया में चीन के बाद जूते-चप्पलें हमारे मुल्क में बिकती हैं।
हर साल हमारे मुल्क में 1.1 अरब जोड़े जूते-चप्पले बिकते हैं। वैसे, आज भी इस सेक्टर पर बिना ब्रांड वाले जूते चप्पलों का ही राज है। मुल्क में बिके जूते-चप्पलों में से 60 फीसदी बिना ब्रांड वाले होते हैं। लेकिन अब आम लोग ब्रांड को लेकर काफी सजग हो चुके हैं। ऐसे में ब्रांडेड जूते-चप्पलों के बाजारों के बढ़ने की पूरी उम्मीद है।
ब्रांडेड बाजार में बाटा इंडिया के पास जबरदस्त अनुभव है। साथ ही, उसके पास स्टोरों की भी अच्छी-खासी मात्रा है। इसके अलावा, उसके पास सस्ते से लेकर प्रीमियम रेंज तक के उत्पाद हैं। इसी वजह से उसका विकास अच्छी तरह से हुआ है।
अभी कंपनी की अपनी रिटेल स्टोर के विस्तार की योजना है। इससे उसकी कमाई में और इजाफा होने की उम्मीद है। साथ ही, वह अपनी लागत कम करने में जुटी हुई है, जो उसके मुनाफे में इजाफे में मदद करेंगे।
विकास के कदम
आज भी देश में सिर्फ एक-चौथाई जूते-चप्पल ही रिटेल स्टोरों से बिकते हैं। इसमें से कंपनी के पास 1,200 स्टोर हैं, जो इसे प्रतिद्वंद्वियों से कहीं आगे खड़ा कर देता है। इस अंतर को बरकरार रखने के लिए कंपनी हर साल 50-60 स्टोरों को खोल रही है।
साथ ही, यह पुराने स्टोरों की भी रिमॉडलिंग कर रही है, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय मानकों की बराबरी कर सकें। इससे लोग इसकी तरफ खींचे आते हैं। इससे कंपनी को उम्मीद है कि औसत सालाना कमाई में इजाफा 15 फीसदी हो जाएगा।
पिछले पांच सालों से कंपनी की औसत कमाई में हर साल छह फीसदी का इजाफा हो रहा है। इसके अलावा कंपनी अब लेडिज फुटवियर की तरफ भी अपना ध्यान केंद्रीत कर रही है।
 
मुनाफे की राह
वर्ष 2005-07 के दौरान कंपनी का शुध्द मुनाफा हर साल करीब दोगुना ही हुआ है। वजह है लोअर बेस इफेक्ट और कंपनी को खुद में सुधार लाने की कोशिश। पिछले साल के शुरुआती नौ महीनों में शुध्द मुनाफे में 32 फीसदी का इजाफा हुआ, जो काफी सेहतमंद है।
साथ ही, कंपनी ने अपने कर्मचारियों की लागत करने के लिए उन्हें वीआरएस देने भी लगी है। इससे कुल बिक्री के मुकाबले कर्मचारियों की लागत 2004 के 27 फीसदी से कम होकर 2007 में 20 फीसदी रह गई है।
इस उद्योग में ज्यादा लोगों की जरूरत होती है, ऐसे में यह एक अच्छी-खासी उपलब्धि है। हालांकि, अभी भी कंपनी अपने कर्मचारियों की तादाद में कमी लाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, कंपनी अब नए स्टोरों को खोल रही है और पुराने स्टोरों को एक नया रूप दे रही है।
ऐसे में लोगों की तादाद में तेजी से कटौती करना कंपनी के लिए मुमकिन नहीं होगा। इसके आलावा कंपनी अब अपने दूसरे खर्चों में भी कटौती करने में जुटी हुई है। इसके लिए कंपनी ऑउटसोर्सिंग का भी सहारा ले रही है। पहले ज्यादातर कंपनी खुद ही कर रही थी। अब कंपनी छोटे-मोटे कामों को ऑउटसोर्स कर रही है।

First Published : February 22, 2009 | 9:38 PM IST