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आरबीआई MPC मीटिंग के बाद प्राइवेट बैंक के शेयरों में गिरावट, सरकारी बैंकों में तेजी

RBI MPC Meet 2024: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा।

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निकिता वशिष्ठ   
Last Updated- February 08, 2024 | 4:33 PM IST

भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा लगातार छठे पॉलिसी फैसले में दर को 6.5% पर बनाए रखने के बाद प्राइवेट बैंक शेयरों में गिरावट आई है।

निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स आज इंट्राडे के दौरान 1.7% गिर गया, मुख्य रूप से एक्सिस बैंक (3%), ICICI बैंक (2.6%), कोटक महिंद्रा बैंक (2%), और HDFC बैंक (1.5%) में गिरावट के कारण यह हुआ।

इसकी तुलना में, निफ्टी 50 इंडेक्स इंट्राडे के दौरान 0.9% गिरा, जबकि निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स 2% से ज्यादा बढ़ गया। विश्लेषकों का सुझाव है कि ब्याज दर को अपरिवर्तित बनाए रखने से बैंकों को ज्यादा डिपॉजिट आकर्षित करने के लिए डिपॉजिट दरों को या तो बरकरार रखना होगा या बढ़ाना होगा।

प्राइवेट बैंकों में लोन-से-डिपॉजिट अनुपात ज्यादा होता है, इसलिए यदि वे डिपॉजिट की दरें और बढ़ाते हैं, तो यह उनकी लोन देने की क्षमता को कम कर सकता है या उनके लाभ मार्जिन को प्रभावित कर सकता है। HDFC सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च के हेड दीपक जसानी ने कहा कि 8 फरवरी की आरबीआई नीति से संकेत मिलता है कि डिपॉजिट दरें ऊंची रहेंगी, जो प्राइवेट बैंकों के लिए एक चुनौती है।

दूसरी ओर, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) में लोन-डिपॉजिट अनुपात कम होता है, जिससे उन्हें लोन देने की ज्यादा गुंजाइश मिलती है। यह स्थिति संभावित रूप से प्राइवेट बैंकों के मुनाफे पर असर डालेगी।

दिसंबर तिमाही के अंत में HDFC बैंक ने लोन-से-डिपॉजिट अनुपात 110%, ICICI बैंक ने 86.6%, Axis बैंक ने 92.8% और IndusInd बैंक ने 89% बताया। इसके विपरीत, भारतीय स्टेट बैंक ने 74% और बैंक ऑफ बड़ौदा ने 82% की सूचना दी।

HDFC बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में 4.1% से घटकर वित्त वर्ष 24 की दूसरी और तीसरी तिमाही में 3.4% हो गया। ICICI बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन भी Q3 FY24 में घटकर 4.43% हो गया, जो FY24 की दूसरी तिमाही में 4.53% और Q3 FY23 में 4.65% था।

विश्लेषकों का मानना है कि नीति अपेक्षा से ज्यादा सख्त होने के कारण प्राइवेट बैंकों में बिकवाली देखी गई। बैंकों को तेजी से डिपॉजिट आकर्षित करने की जरूरत है, खासकर खुदरा ग्राहकों से। लेकिन अगर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो इससे उनके मुनाफ़े और लोन देने की क्षमता पर असर पड़ सकता है। फंडिंग की लागत बढ़ रही है, जिससे मुनाफा कम हो रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि ICICI बैंक, SBI और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे बड़े बैंक पर दांव लगाना अभी भी सुरक्षित है।

विश्लेषकों का अनुमान है कि बेहतर कमाई और अधिक मूल्यांकन की उम्मीदों के कारण निवेशकों का पैसा प्राइवेट बैंकों से PSU बैंकों में ट्रांसफर हो सकता है। गवर्नर शक्तिकांत दास के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (RBI MPC) ने लगातार छठी बार रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखने का फैसला किया है।

फैसला 5-1 के बहुमत से हुआ। रेपो रेट में आखिरी बार फरवरी 2023 में बदलाव किया गया था, जो 6.25% से बढ़कर 6.5% हो गई थी। मई 2022 से फरवरी 2023 तक रेपो रेट में 250 आधार अंक (bps) की बढ़ोतरी हुई।

दास ने कहा कि रेपो रेट में 250 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी का पूरा असर अभी तक देखने को नहीं मिला है। वैश्विक स्तर पर, मंदी की भविष्यवाणी के बावजूद अभी भी मजबूत ग्रोथ हो रही है।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने नीतियों को सख्त करने पर अपना रुख बदल दिया है, जिससे सवाल उठता है कि वे दरों में कटौती कब शुरू करेंगे। इसके अलावा, पश्मिची एशिया और लाल सागर क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव वैश्विक सुधार के लिए महत्वपूर्ण जोखिम बने हुए हैं।

MPC ने दरों और रुख को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया क्योंकि उनका मानना है कि पिछली दरों में बढ़ोतरी का प्रभाव अभी तक पूरी तरह से सामने नहीं आया है, और 4% CPI लक्ष्य तक पहुंचने में अधिक समय लग सकता है। मुद्रास्फीति का जोखिम अस्थिर खाद्य कीमतों और वैश्विक आपूर्ति मुद्दों से आता है। कुल मिलाकर, ट्रस्ट म्यूचुअल फंड के CIO मिहिर वोरा के अनुसार, कुल मिलाकर आरबीआई इस नीति में सावधानी बरत रहा है।

First Published : February 8, 2024 | 4:33 PM IST