टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस ने हाल ही में क्रिटि-मेडिकेयर नाम की बीमा योजना शुरू की है, जिसमें 100 गंभीर बीमारियां शामिल की गई हैं। उसके बाद से ही गंभीर बीमारियों के लिए बीमा यानी क्रिटिकल इलनेस प्लान चर्चा में हैं। गंभीर बीमारियों के इलाज में बहुत अधिक खर्च आता है। ज्यादातर लोगों की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में अस्पताल में भर्ती होने की सूरत में जो राशि दी गई होती है, उससे कहीं अधिक रकम इन बीमारियों के इलाज में स्वाहा हो जाती है। इतना ही नहीं, ऐसी बीमारियों के इलाज के समय कई दूसरे खर्च भी आपके सामने आ जाते हैं, जिन्हें चुकाने में यह पॉलिसी आपकी मदद कर सकती है।
बीमारी पता लगने पर एकमुश्त भुगतान
जिस व्यक्ति का बीमा है, उसे रकम हासिल करने के लिए अस्पताल के बिल नहीं दिखाने होते। स्टार हेल्थ ऐंड अलाइड इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एस प्रकाश कहते हैं, “जांच रिपोर्ट में अगर वही बीमारी आती है, जो बताई गई है तो रकम का भुगतान कर दिया जाता है।”
इन पॉलिसियों में अस्पताल में भर्ती होने के दौरान होने वाले खर्च और भुगतान की गई राशि में कोई संबंध नहीं होता। टाटा एआईजी हेल्थ इंश्योरेंस में कार्यकारी उपाध्यक्ष और उत्पाद प्रमुख (दुर्घटना एवं स्वास्थ्य) विवेक गंभीर कहते हैं, “मान लीजिए किसी ने 1 करोड़ रुपये बीमा राशि वाला क्रिटिकल इलनेस प्लान लिया है। चाहे अस्पताल में उसके केवल 10 लाख रुपये खर्च हुए हों, उसे पूरे 1 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। बीमा कंपनी उससे यह भी नहीं पूछेगी कि इस रकम का वह व्यक्ति क्या करेगा।”
क्रिटिकल इलनेस प्लान का कवरेज आम तौर पर पूरी दुनिया में मिलता है। गंभीर कहते हैं, “बीमा कराने वाले व्यक्ति को गंभीर बीमारी होने का पता भारत के बाहर ही क्यों न लगे, इस योजना के तहत उसे भुगतान किया जाएगा।”
इन पॉलिसियों के लिए दिए गए प्रीमियम पर आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत कर छूट का फायदा भी मिलता है।
कवरेज का दायरा जांच लीजिए
किसी भी बीमा योजना के अंतर्गत आने वाली गंभीर बीमारियों की संख्या 6 से 100 तक हो सकती है। ज्यादातर लोगों के लिए यह तय करना मुश्किल होगा कि इस योजना के तहत कितनी या कौन सी बीमारियों को शामिल किया जाना चाहिए। प्रकाश सलाह देते हैं, “भारत में जो गंभीर बीमारियां सबसे अधिक होती हैं, उन्हें शामिल किया जाना चाहिए।” इनमें कैंसर (इसके विभिन्न तरीके के उपचार), दिल की प्रमुख सर्जरी, ब्रेन ट्यूमर, लिवर या गुर्दे बेकार होना, दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी को क्षति पहुंचना आदि शामिल होने चाहिए। पॉलिसीबाजार डॉट कॉम में स्वास्थ्य कारोबार प्रमुख अमित छाबड़ा कहते हैं, “पॉलिसी में जितनी अधिक बीमारियां शामिल होंगी उतना ही ज्यादा सुकून मिलेगा।”पॉलिसी खरीदने वाले को गंभीर बीमारी की परिभाषा भी देखनी पड़ेगी। गंभीर कहते हैं, “बीमा उद्योग 22 गंभीर बीमारियों के लिए मानक परिभाषाएं इस्तेमाल करता है। यदि प्लान 22 बीमारियों से अधिक शामिल की गई हैं तो ग्राहक को जान लेना चाहिए कि वह क्या खरीद रहा और उन गंभीर बीमारियों की क्या परिभाषा दी गई है। जरूरत पड़े तो वह डॉक्टर या सलाहकार जैसे किसी विशेषज्ञ की राय ले सकता है।”
इनमें से ज्यादातर बीमा योजनाओं में सर्वाइवल पीरियड होता है, जो शून्य से लेकर 60 दिन तक हो सकता है। बीमा कराने वाले व्यक्ति को बीमारी का पता लगने के बाद सर्वाइवल अवधि तक जीवित रहना ही होता है तभी उसे बीमा राशि का भुगतान किया जाता है। छाबड़ा कहते हैं, “सर्वाइवल पीरियड जितना कम हो उतना बेहतर है।” हाल में पेश की गई टाटा एआईजी की योजना में तीन सर्वाइवल पीरियड दिए गए हैं – 0, 7 या 15 दिन। इनमें से कोई एक चुनना होता है। बीमा खरीदने से पहले देख लीजिए कि इसमें भुगतान एकमुश्त किया जाएगा या टुकड़ों में दिया जाएगा। सना इंश्योरेंस ब्रोकर्स में ग्रुप बिजनेस और सेल्स एवं सर्विस के प्रमुख नयन गोस्वामी बताते हैं, “जिस पॉलिसी में एकमुश्त भुगतान किया जाता है, उसमें लिखा हो सकता है कि कैंसर या किसी बीमारी के गंभीर चरण में पहुंचने पर ही एकमुश्त भुगतान किया जाएगा। दूसरी ओर चरणबद्ध भुगतान वाली पॉलिसी में बीमारी के आरंभिक चरणों में भी रकम दे दी जाती है।”
बीमा राशि सावधानी से चुनें
बीमा राशि चुनते समय देख लीजिए कि इलाज के साथ दूसरे कौन से खर्च हो सकते हैं। गोस्वामी कहते हैं, “बीमा में रोगी या उसके तीमारदार को आय में होने वाला नुकसान भी शामिल होना चाहिए।” कम से कम 25 लाख रुपये का बीमा करा लीजिए। ये प्लान हॉस्पिटलाइजेशन कवर की तुलना में सस्ते होते हैं।
ध्यान रहें ये बातें
क्रिटिकल इलनेस प्लान स्टैंड-अलोन बीमा पॉलिसियों की तरह होते हैं और स्वास्थ्य या जीवन बीमा पॉलिसी के साथ राइडर के तौर पर भी आते हैं। स्टैंड-अलोन पॉलिसी खरीदना ही बेहतर होता है। गंभीर समझाते हैं कि अगर आप राइडर के तौर पर यह पॉलिसी खरीदते हैं तो एक बीमा कंपनी छोड़कर दूसरी कंपनी की पॉलिसी लेने पर आपको क्रिटिकल इलनेस राइडर देने से इनकार भी किया जा सकता है। स्टैंड-अलोन पॉलिसी में आप अपने स्वास्थ्य बीमा में किसी भी तरह का बदलाव कर सकते हैं और आपके क्रिटिकल इलनेस प्लान पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। आम तौर पर भुगतान होते ही क्रिटिकल इलनेस प्लान खत्म हो जाता है। लेकिन हाल में आए कई प्लान में ऐसा नहीं होता। उदाहरण के लिए स्टार क्रिटिकल इलनेस मल्टीप्लाई इंश्योरेंस पॉलिसी में चार बार भुगतान किया जाता है।