भले ही जीवन बीमा उद्योग को वित्त मंत्री द्वारा किसी तरह की राहत नहीं दी गई है, लेकिन डेट म्युचुअल फंडों पर इंडेक्सेशन लाभ के तहत दीर्घावधि पूंजीगत लाभ (LTCG) कर हटने से दीर्घावधि डेट योजनाओं के लिए कराधान एक समान हो सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि इस बदलाव से बीमा उद्योग कुछ राहत महसूस कर सकता है, क्योंकि प्रति वर्ष 5 लाख रुपये निवेश के तहत कर-मुक्त प्रतिफल चाहने वाले ग्राहक अब जीवन बीमा कंपनियों के गारंटीड उत्पाद चुन सकते हैं।
वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश वित्त विधेयक में इस साल के बजट में कर संबंधित कोई बदलाव नहीं किया गया था।
CLSA ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा, ‘डेट म्युचुअल फंडों के लिए कर संबंधित बदलाव के साथ अब सभी डेट योजनाओं के लिए कराधान समान हो गया है।’
कोटक लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी महेश बालासुब्रमण्यन ने कहा, ‘डेट म्युचुअल फंडों से इंडेक्सेशन लाभ समाप्त होने से अब बीमा कंपनियां अच्छी स्थिति में होंगी। अब योजनाओं की प्रतिस्पर्धा से उनकी मांग निर्धारित होगी।’
उद्योग के जानकारों का कहना है कि डेट म्युचुअल फंडों और ज्यादा कीमत वाली पार्टिसिपेटरी जीवन बीमा पॉलिसी पर कराधान की शुरुआत का मतलब यह हो सकता है कि इससे बैंक सावधि जमाएं ज्यादा आकर्षक हो जाएंगी। अब तक बैंक जमाओं पर ब्याज पर कर अलग कर दर से लगता था और डेट म्युचुअल फंडों को इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत एलटीसीजी कर दायरे में रखा गया, वहीं जीवन बचत योजनाएं कर-मुक्त प्रतिफल की श्रेणी में रही हैं।
इंडियाफर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस के उप मुख्य कार्याधिकारी रुषभ गांधी के अनुसार, सभी समझदार निवेशक अपने स्वयं के परिसंपत्ति आवंटन आधारित जोखिम प्रोफाइल के हिसाब से काम करेंगे। ताजा घटनाक्रम की वजह से हम जीवन बीमा योजनाओं के पक्ष में आवंटन में बड़ा बदलाव देख सकते हैं।