भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे | फाइल फोटो
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कोई भी ऋणदाता कर्ज लेने वाले की परिस्थितियों का अनुचित लाभ न उठाए। उन्होंने उम्मीद जताई कि माइक्रोफाइनैंस ऋणदाताओं के बोर्ड अपने फंड की लागत और परिचालन दक्षता के मुकाबले अपने स्प्रेड की समीक्षा करेंगे और यह सुनिश्चित करने की कवायद करेंगे कि मूल्य निर्धारण उचित रहे और जोखिम और दक्षता में सुधार को ध्यान में रखते हुए लागत तय की जाए।
मुंबई में एमएफआईएन के एक कार्यक्रम में 14 नवंबर को बोलते हुए स्वामीनाथन ने कहा, ‘रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि ऋणदाता 2022 के ढांचे में मिली छूट का उपयोग इस तरह से करेंगे कि कर्ज लेने वाले के हितों का ध्यान रखा जाए और दीर्घकालिक हिसाब से पोर्टफोलियो की गुणवत्ता में मजबूती आए।’
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2022 में माइक्रोफाइनैंस ढांचे में सावधानीपूर्वक बदलाव किया था। माइक्रोफाइनैंस की पात्रता तय करने के साथ नियामक ने प्राइसिंग कैप हटा दिया, जिसकी मांग लंबे समय से हो रही थी। इसके अलावा माइक्रोफाइनैस नियमों को नियमन के दायरे में आने वाले अन्य ऋणदाताओं के मुताबिक कर दिया था।
स्वामीनाथन ने कहा, ‘अगर उद्योग के मानक उच्च बने रहते हैं तो नियामक या पर्यवेक्षी हस्तक्षेप हल्का रह सकता है। लचीलापन व जबावदेही एक साथ चलती है। इस सेक्टर की सततता व सेहत इस संतुलन पर निर्भर है।’ आउटसोर्सिंग के माध्यम से ऋण वसूली से कर्जदाता की जवाबदेही कम नहीं होती। कर्ज लेने वालों के प्रति किस प्रकार का व्यवहार हो रहा है, इसकी जिम्मेदारी कर्जदाता पर बनी रहती है।