भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) सामान्य एवं स्वास्थ्य बीमा कारोबार में उतरने का मन बना रही है। इसकी जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि एलआईसी के पास सामान्य और स्वास्थ्य बीमा कारोबार में उतरने के लिए सभी संसाधन हैं। सूत्र ने कहा कि एलआईसी जीवन, सामान्य और स्वास्थ्य बीमा तीनों के लिए एक ही लाइसेंस (कंपोजिट लाइसेंस) का बेहतरीन इस्तेमाल कर सकती है।
उसने कहा, ‘एलआईसी के पास इन दोनों बीमा श्रेणियों में उतरने के लिए सभी बुनियादी सविधाएं मौजूद हैं। बेहतरीन सूचना-प्रौद्यागिकी ढांचे और मजबूत वितरण तंत्र वाली एलआईसी जीवन बीमा, सामान्य एवं स्वास्थ बीमा में कारोबार के लिए जरूरी कंपोजिट लाइसेंस का भरपूर फायदा लेने की स्थिति में है। एलआईसी सभी वर्तमान और नए अवसरों का लाभ उठाना चाहती है।’
सूत्र ने बताया कि एलआईसी के निदेशक मंडल (बोर्ड) में इस संबंध में प्रस्ताव लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि बोर्ड की प्रतिक्रिया एवं उनके विचार जानने के बाद आगे कोई निर्णय लिया जाएगा। सूत्र ने कहा कि इन दोनों बीमा श्रेणियों में उतरने का निर्णय बोर्ड द्वारा ही लिया जाएगा।1970 के दशक की शुरुआत तक एलआईसी जीवन एवं गैर-जीवन बीमा दोनों में कारोबार कर रही थी।
मगर ओरिएंटल इंश्योरेंस के अलग होने के बाद एलआईसी केवल जीवन बीमा पॉलिसियां बेचने लगी। देश में सामान्य बीमा कारोबार का राष्ट्रीयकरण होने से पहले 1956 से 1973 तक ओरिएंटल इंश्योसेंस एलआईसी की सहायक इकाई थी। सामान्य बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972 के तहत 1 जनवरी 1973 से भारत में सामान्य बीमा कारोबार का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
इस महीने के शु्रू में वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाले वित्तीय सेवा विभाग ने बीमा कानूनों में कई संशोधनों का प्रस्ताव दिया था। इनमें बीमा कंपनियों को जीवन बीमा और सामान्य जीवन बीमा दोनों ही श्रेणियों में लाइसेंस देने का प्रस्ताव भी शामिल है। इसके लिए बीमा अधिनियम, 1938 में संशोधन की जरूरत पड़ेगी।
संशोधन पारित हो गया तो बीमा कंपनियों को सामान्य, जीवन और स्वास्थ बीमा में एक साथ कारोबार करने इजाजत मिल जाएगी। बीमा कंपनियों को इनके लिए अलग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी। उन्हें बीमा नियामक द्वारा तय न्यूनतम पूंजी की शर्त भर पूरी करनी होगी। बीमा एजेंटों को भी इससे फायदा होगा क्योंकि वे एक बीमा कंपनी की सभी पॉलिसियां बेच पाएंगे।
संसद में बीमा अधिनियम कानून (संशोधन) विधेयक पारित होने के बाद एलआईसी कंपोजिट लाइसेंस पर निर्णय लेगी। इस संबंध में एलआईसी के पास भेजे गए ई-मेल का समाचार लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया। संशोधन विधेयक पारित होने से उन बीमा कंपनियों को फायदा होगा, जो स्वास्थ बीमा कारोबार में उतरना चाहती हैं। इन कंपनियों का मानना है कि मृत्यु और बीमारी से जुड़े जोखिमों से संबंधित बीमा का अधिकार एक कंपनी ही को मिलना चाहिए न कि अलग-अलग कंपनियों में बंटा होना चाहिए।