जनवरी 2008 से भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट का दौर जारी है। पिछले कुछ वर्षों में निवेशकों ने 40 प्रतिशत से भी अधिक के साथ प्रतिफल कमाया और निवेश में फायदा ही फायदा हुआ।
आज वे स्थिर प्रतिफल कमाने के लिए एक अदद शेयर की तलाश में हैं।कई सिध्दांत हैं जिनके बारे में सोचा जा सकता है, जैसे कि कम प्राइज-अर्निंग शेयर, उच्च लाभांश प्राप्ति शेयर और घाटे से मुनाफे में बदलने वाले शेयर, जिनसे उम्मीद है कि वे अच्छा कारोबार करेंगे।
घाटे से मुनाफे में बदलने वाले शेयरों से हमारा मतलब उन कंपनियों से है जिनका शुरुआती वर्षों में बुरा प्रदर्शन रहा, लेकिन अब वे मुनाफा कमाने वाली कंपनियों के रूप में उभर रही हैं।
परिणामस्वरूप, इनके शेयरों में भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। यह काफी मुश्किल काम है और इसमें समय भी ज्यादा लगेगा। आपकी खोजबीन के बावजूद यह जरूरी नहीं कि आपका शेयर अच्छा प्रदर्शन ही करे। यहां ऐसे शेयरों की पहचान के लिए कुछ प्रमुख उपाय बताए जा रहे हैं:
प्रबंधन: आपका पहल काम कंपनी के प्रबंधन पर एक नजर डालना है। मुश्किलों के समय में प्रबंधन की वे कौन-सी विशेषताएं हैं, जिससे कंपनी का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। इसलिए कुछ संकेत ढूंढ़िए जिससे पता चले कि कंपनी लगातार प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए नए विचार ढूंढ रही है या नए लोगों को रख रही है।
बेशक नए विचार या नए लोगों की नियुक्ति कंपनी के बेहतर प्रदर्शन की गारंटी नहीं है, लेकिन इससे एक बात साफ है कि कंपनी अपनी स्थिति को सुधारने की इच्छुक है, जो एक सकारात्मक संकेत है। नई प्रबंधन टीम का भी जायजा लें।
नए उत्पाद या उत्पादों में नवपरिर्वतन: कंपनी के व्यवहार पर लगातार नजर बनाए रखें। क्या वह बाजार में आज भी उतने ही उत्साही बनी हुई है? क्या हाल ही में कंपनी ने कोई नया उत्पाद लॉन्च किया है? इसका पता आपको कंपनी की ओर से विज्ञापन पर खर्च करने की रफ्तार से चल जाएगा।
अनुसंधान और विकास विभाग में किसी तरह की वृध्दि भी अच्छा संकेत है। कंपनी के तिमाही नतीजे आपको एक साफ-साफ इशारा दे देते हैं। जबकि खर्चों में बढ़त कंपनी की सफलता का संकेत नहीं है। नए उत्पाद में बिक्री या फिर मुनाफे में वृध्दि की संभावना है, तब आप इस कंपनी के शेयर को खरीदने के बारे में सोच सकते हैं।
आंकड़ों की बातचीत : बिक्री में आई तेजी से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि कंपनी विकास की राह पर है। कंपनी के कारोबार में वृध्दि का अंदाजा लगाना भी जरूरी है। एक बाहरी व्यक्ति के लिए जो कंपनी में निवेश करने के लिहाज से देख रहा है, उसके लिए अंदाजा लगा पाना काफी मुश्किल है, लेकिन आंकड़ों को देख कर काफी कुछ समझा जा सकता है जैसे कि,
बाजार वृध्दि – क्या उत्पाद श्रेणी में वृध्दि बनी हुई है?
बाजार हिस्सेदारी – क्या इस श्रेणी में कंपनी की हिस्सेदारी में वृध्दि हुई है?
कीमतें – क्या कंपनी की बाजार में हिस्सेदारी कंपनी को उसकी कीमतें बनाए रखने या बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है?
लागत कम करने की शुरुआत : अगर कंपनी अपनी बिक्री में जबर्दस्त वृध्दि नहीं दिखा रही, तब भी कंपनी अपनी लागत में जबर्दस्त कमी कर अपने शेयरधारकों को फायदा पहुंचा सकती है। उदाहरण के लिए, एक विनिर्माता कंपनी अपने कच्चे माल की कीमतों में या फिर एक सूचना प्रौद्योगिकी या बीपीओ कंपनी अपने यहां काम करने वाले लोगों की संख्या में कमी करती है तो वह अच्छा संकेत है।लागत में कमी और शेयरधारकों के मुनाफे में इजाफे के लिए कंपनी ने यह एक बढ़िया उपाय हो सकता है।
बायबैक का दौर : अक्सर कंपनियां अपने शेयरों की कीमत से खुश नहीं होती और उन शेयरों को बायबैक कर लेती हैं। जब यह प्रक्रिया होती है, तो कई बार इससे संकेत मिलता है कि अब कंपनी मुनाफा कमाने के लिए तैयार है या उसकी आय में उन्नति होने वाली है।