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नवीकरण के सीजन में पुनर्बीमा की दरें (reinsurance rates ) बढ़ने की वजह से भारत के बीमाकर्ताओं पर विपरीत असर पड़ने की संभावना थी, लेकिन इसमें हुई बढ़ोतरी ने उद्योग को आश्चर्यचकित कर दिया है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने कहा कि ज्यादातर भारतीय जीवन बीमाकर्ताओं के पुनर्बीमा दरों में हाल के नवीकरण सीजन में तेज वृद्धि हुई है और दरें 30 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी हैं।
प्राथमिक बीमाकर्ता अपने जोखिम पोर्टफोलियो का एक हिस्सा पुनर्बीमाकर्ताओं को हस्तांतरित कर देते हैं। यह एक निश्चित प्रीमियम का भुगतान करके किया जाता है, जिससे दावों के रूप में आने वाली संभावित बड़ी बाध्यताओं को कम किया जा सके। प्राथमिक बीमाकर्ताओं और पुनर्बीमा करने वालों के बीच वैश्विक रूप से पुनर्बीमा कॉन्ट्रैक्ट के नवीकरण का काम जनवरी में होता है। रिपोर्टों से पता चलता है कि पुनर्बीमा की दरें इस नवीकरण सत्र में कई साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं, जिसकी प्रमुख वजह खराब मौसम, पूर्वी यूरोप में युद्ध और वृहदआर्थिक झटके हैं।
व्यापक रूप से यह उम्मीद की जा रही थी कि भारत के बाजार में भी दरें कुछ बढ़ेंगी, लेकिन बढ़ोतरी की मात्रा के बारे में सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता है।
विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया था कि भारत में प्राकृतिक आपदाओं के कारण कोई व्यापक नुकसान नहीं हुआ है, ऐसे में भारत के बाजार में पुनर्बीमा की दरों में उतनी बढ़ोतरी नहीं होगी, जितनी कुछ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हुई है।
निजी क्षेत्र की एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी के सीईओ ने कहा, ‘पुनर्बीमा का नवीकरण इस समय सबसे कठिन है। दरें 30 से 50 प्रतिशत तक बढ़ी हैं, भले ही भारतीय बाजार का प्रदर्शन बेहतर रहा है। साथ ही जब्ती बढ़ी है। अगर यह धारणा जारी रहती है तो अंडरराइटिंग जोखिम में बदलाव होगा क्योंकि 30-40 प्रतिशत का बोझ ग्राहकों पर डालना संभव नहीं है। हमें भारत केंद्रित क्षमता तैयार करनी होगी।’
आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस (ICICI Lombard General Insurance) के MD और CEO भार्गव दासगुप्ता ने कंपनी की चौथी तिमाही के परिणाम के बाद विश्लेषकों से बातचीत में कहा कि वैश्विक रूप से कुछ बाजारों में दरें 50-60 प्रतिशत तक बढ़ी हैं। हमारे बाजार में इसमें 45 से 60 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। यह हमारे लिए इनपुट लागत है।