प्रतीकात्मक तस्वीर
लोगों की जुबान पर चढ़े ‘म्युचुअल फंड सही है’ के नारे का असर गैर-जीवन बीमा उद्योग पर भी पड़ा है। इसी नारे की तर्ज पर यह उद्योग भी ‘अच्छा किया इंश्योरेंस लिया’ अभियान के साथ अपना कारोबार बढ़ाने की सोच रहा है। देश में गैर-जीवन बीमा कारोबार की पैठ अभी बहुत कम है। उद्योग ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए पहले साल 120 करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला किया है और इसकी सफलता के लिए अतिरिक्त रकम पर भी विचार किया जा रहा है।
‘अच्छा किया इंश्योरेंस लिया’ अभियान में सामान्य बीमा के फायदे दिखाते हुए इस बात पर जोर दिया गया है कि दुर्घटना जैसी आपात स्थितियों और अपरिहार्य हालात में लोग मेहनत से कमाई रकम जाया होने से कैसे बचा सकते हैं। मगर इस अभियान में जीवन बीमा उद्योग शामिल नहीं है, जो अलग से ऐसा ही अभियान शुरू करने पर विचार कर रहा है।
गैर-जीवन बीमा कंपनियों के हितों के लिए काम करने वाले संगठन सामान्य बीमा परिषद ने बीमा जागरूकता समिति बनाई है। इस समिति में एचडीएफसी अर्गो जनरल इंश्योरेंस के एमडी एवं सीईओ अनुज त्यागी, आदित्य बिड़ला हेल्थ इंश्योरेंस के एमडी एवं सीईओ मयंक बठवाल, जूनो जनरल इंश्योरेंस के एमडी एवं सीईओ शनाई घोष, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के सीएमडी बी एस राहुल, नीवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस के एमडी एवं सीईओ कृष्णन रामचंद्र और स्टार हेल्थ ऐंड अलायड इंश्योरेंस के एमडी व सीईओ आनंद राय शामिल हैं। यह समिति देश में बीमा के लिए जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान देगी।
देश में गैर-जीवन बीमा कारोबार की पैठ बढ़ाने के लिए भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने ‘वर्ष 2047 तक सभी के लिए बीमा’ का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य भी रखा है। इसके तहत देश के सभी नागरिकों को 2047 तक जीवन, स्वास्थ्य एवं संपत्ति बीमा सुविधाएं दिए जाने का लक्ष्य है। इसके अलावा प्रत्येक उद्यम को बीमा समाधान भी दिए जाएंगे।
इस महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य का एक कारण यह है कि देश में बीमा क्षेत्र को उदार बनाए जाने के 25 वर्षों बाद भी बीमा की पैठ बहुत ज्यादा नहीं हो पाई है। बीमा नियामक के अथक प्रयासों के बावजूद देश में बीमा कराने वाले लोगों की संख्या काफी कम है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में बीमा की पहुंच पैठ 3.7 प्रतिशत ही रह गई, जो इससे एक वर्ष पहले 4 प्रतिशत थी। गैर-जीवन बीमा कारोबार की पहुंच 1 प्रतिशत बनी रही और जीवन बीमा की पैठ 2022-23 की 3 प्रतिशत से कम होकर 2.8 प्रतिशत रह गई। दुनिया में बीमा की औसत पैठ 7 प्रतिशत है।
आईआरडीएआई में सदस्य (गैर जीवन) दीपक सूद ने कहा, ‘अगर हम बीमा को आसानी से लोगों के लिए उपलब्ध करा दें तो आंकड़ा जरूर बढ़ जाएगा। जब तक लोगों को बीमा उद्योग के फायदे समझ में नहीं आएंगे और यह पता नहीं होगा कि उनके पास क्या विकल्प हैं और उनके लिए क्या सही है तब तक बीमा कारोबार का दायरा नहीं बढ़ पाएगा।’
बजाज आलियांज के तपन सिंघल ने कहा कि सामान्य बीमा कारोबार को आंकड़े, दावे और ग्राहकों की भारी संख्या से निपटना होता है। मगर सामान्य बीमा उद्योग में ग्राहकों की सोच को समझने पर सबसे अधिक जोर दिया जाता है। सिंघल ने कहा, ‘छोटा सा खराब अनुभव भी काफी नुकसान पहुंचाने वाला हो सकता है। मगर हम कोशिश से पीछे नहीं हट रहे। हमें अपना कारोबार बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। यह अभियान देश में बीमा कारोबार में बदलाव लाने के लिए शुरू किया गया है।’
उन्होंने कहा कि परिषद ने यह इंतजाम पांच वर्षों के लिए किया है, जिसमें सभी कंपनियां अभियान को जारी रखने के लिए अंशदान देंगी। सिंघल ने कहा कि इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए यह योगदान काफी फायदेमंद होगा।
जीवन बीमा से उलट गैर-जीवन बीमा में स्वास्थ्य, मोटर, फसल, जायदाद, जल आदि के बीमा आते हैं। मोटर और स्वास्थ्य बीमा कराने पर लोग सबसे अधिक ध्यान देते हैं मगर दूसरे खंडों पर लोगों का उतना ध्यान नहीं जाता है। लोगों में जानकारी का अभाव और अन्य बातें इसका कारण हो सकती हैं।
जूनो जनरल इंश्योरेंस में एमडी एवं सीईओ शनाई घोष ने कहा, ‘हम पहले वर्ष इस अभियान पर 100 करोड़ रुपये खर्च करने की सोच रहे हैं और हर साल इतनी ही या कुछ ज्यादा रकम खर्च की जा सकती है। फिलहाल हम तीन साल की योजना के साथ आगे बढ़ रहे हैं। बीमा उद्योग की कंपनियां और परिषद दोनों ही ये बातें समझती हैं।’