कोविड-19 के कारण कई कर्मचारियों को वेतन में कटौती का सामना करना पड़ा था। लेकिन जब हालात सुधरे हैं तो उनमें से कई कर्मचारियों के वेतन वापस पहले के स्तर पर कर दिए गए। इतना ही नहीं, उनमें से कुछ को बोनस भी मिला। बोनस पाने वाले कर्मचारी अब इसी पसोपेश में पड़े हैं कि इस साल उन्हें अधिक कर तो नहीं चुकाना पड़ेगा। आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा कहते हैं, ‘किसी भी व्यक्ति को जो वेतन मिल जाता है या मिलने वाला होता है, उस पर कर वसूला जाता है। लेकिन यदि किसी व्यक्ति को इस साल ऐसी धनराशि मिलती है, जो वास्तव में पिछले साल की होती है तो उसे ऐसी रकम पर अधिक कर चुकाना पड़ सकता है क्योंकि इस धनराशि के कारण उसके आयकर स्लैब में भी इजाफा हो सकता है।’
एडवांस या एरियर के रूप में मिले वेतन पर आपको अधिक कर नहीं देना पड़े, इसके लिए आयकर अधिनियम में धारा 89 (1) के तहत एक प्रावधान दिया गया है। इस प्रावधान का इस्तेमाल कर अतिशय कर से राहत ली जा सकती है। आय देर से होने यानी वेतन का हिस्सा देर से मिलने के कारण जो भी अतिरिक्त कर देनदारी बनती है, उसके बराबर राशि की राहत का दावा करदाता कर सकता है। जहां तक बोनस में मिली राशि का सवाल है तो टैक्समैन के उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा कहते हैं, ‘नियोक्ता जो भी बोनस राशि देता है या देने वाला होता है, उस पर यदि पहले कर नहीं काटा गया है तो जिस साल वह रकम मिलती है, उसी साल उस पर कर वसूला जाता है। यदि बोनस एरियर के रूप में मिला है यानी जिस साल मिलना था, उसके बाद के साल में मिला है तो करदाता धारा 89 के तहत उस पर राहत मांग सकता है।’
किस आय पर मिलेगी राहत
एरियर के रूप में मिली कई तरह की आय पर राहत का दावा किया जा सकता है। आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी में पार्टनर मणीत पाल सिंह कहते हैं, ‘धारा 89 (1) के तहत उन मामलों में राहत मिलती है, जिनमें वेतन एडवांस या एरियर के रूप में मिला हो, नौकरी खत्म होने के बाद ग्रेच्युटी मिली हो, नौकरी खत्म होने की सूरत में मुआवजा मिला हो या पेंशन का एक हिस्सा एकमुश्त मिला हो।’ रिटायरमेंट के समय यदि कोई कर्मचारी अपनी पेंशन का एक हिस्सा एकमुश्त लेना चाहता है तो उसे हर महीने पेंशन मिलने के बजाय एक साथ मोटी रकम मिल जाती है। उसकी पेंशन बाकी बची रकम पर मिलती है और उसी के हिसाब से तय की जाती है। यहां ध्यान रखने की बात यह है कि पारिवारिक पेंशन भी यदि एरियर के तौर पर मिलती है तो उसके लिए धारा 89 (1) के तहत राहत मांगी जा सकती है। यदि भविष्य निधि खाते से परिपक्वता से पहले निकासी की जाती है तो उस पर भी इसी धारा के तहत कर कटौती से राहत मांगी जा सकती है।
कैसे करें राहत का दावा
आयकर नियमों में से नियम 21ए में धारा 89 (1) के तहत राहत की गणना करने का तरीका दिया गया है। टैक्समैनेजर डॉट इन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपक जैन कहते हैं, ‘कोई भी व्यक्ति धारा 89 (1) के तहत राहत का दावा तभी कर सकता है, जब उसने फॉर्म 10 ई जमा किया हो।’ यह फॉर्म आयकर ई-फाइलिंग पोर्टल पर ऑनलाइन भरा जा सकता है।
मगर ध्यान रहें ये बातें
यदि फॉर्म 10ई भरना है तो उसे भरने का समय सबसे ज्यादा अहम पहलू होता है। वाधवा समझाते हैं, ‘इसे आयकर रिटर्न भरने से पहले ही ई-फाइलिंग पोर्टल पर
ऑनलाइन भरना जरूरी होता है। अगर यह फॉर्म आयकर रिटर्न दाखिल करने के बाद भरा जाता है तो हो सकता है कि आयकर विभाग रिटर्न में किए गए धारा 89 के दावे को खारिज कर दे।’
जैन कहते हैं, ‘जिन्होंने फॉर्म 10ई नहीं भरा है, उन्हें अनुपालन नहीं करने के नाम पर आयकर विभाग से नोटिस भी मिल सकता है। जब तक यह फॉर्म नहीं भरा जाएगा तब तक उनके रिटर्न की प्रोसेसिंग भी नहीं होगी।’
ऐसे व्यक्तियों को सुझाए गए बदलाव करने की सूचना भी धारा 143 (1) के तहत भेजी जा सकती है। सुराणा कहते हैं, ‘यदि किसी व्यक्ति ने यह फॉर्म नहीं भरा है तो उसे चिंता करने की जरूरत नहीं है। मगर उसे नोटिस मिलने पर फॉर्म ठीक से भरकर जमा कर देना चाहिए।’
कर्मचारी को उसी साल के आयकर रिटर्न में राहत का दावा करना चाहिए, जिस साल में उसे एकमुश्त रकम मिली है। हां, अगर यह रकम एडवांस वेतन है तो अलग बात है क्योंकि उसमें राहत उसी साल में मिल सकती है, जिस साल में वह वेतन दिया जाना था। सिंह कहते हैं, ‘फॉर्म 10ई भरने के बाद उसकी एक प्रति अपने नियोक्ता को दीजिए ताकि वह टीडीएस का हिसाब-किताब लगा सके।’ राहत का दावा करते समय ध्यान से वही आकलन वर्ष चुनिए, जिसका वह एरियर है। पिछले साल की आय भी ठीक तरीके से बताइए। सुराणा कहते हैं, ‘राहत के दावे को सही साबित करने के लिए सभी जरूरी सबूत अपने पास रखिए ताकि बेकार की मुकदमेबाजी में न फंसना पड़े।’