दुनिया की अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व गिरावट देखने को मिली इससे 2008 में कारोबार जगत को खासा नुकसान उठाना पड़ा, पूंजी बाजार में आई जोरदार गिरावट से से निवेशक मूक दर्शक बने अपने निवेश में हुए ह्वास को देखते रहे।
यहां यह कहने की जरूरत नहीं है कि इससे म्युचुअल फंड भी प्रभावित हुआ। इक्विटी फंड की सभी श्रेणियां इससे बच नहीं सकीं। बीएसई स्मॉलकैप और मिडकैप में इस साल क्रमश: 73.03 फीसदी और 67.87 फीसदी का नुकसान हुआ।
अगर इनकी तुलना सेंसेक्स से की जाए तो वह तुलनात्मक दृष्टि से बेहतर स्थिति में रहा और उसमें सिर्फ 52.83 फीसदी का ही नुकसान देखने को मिला।
इसके चलते जिन फंड पोर्टफोलियो का एक्सपोजर मिड और स्मॉल कैप की ओर था, खासे नुकसान का सौदा साबित हुए। इनकी तुलना में लॉर्ज कैप में एक्सपोजर रखने वाले फंड पोर्टफोलियो ने अच्छा प्रदर्शन किया।
जिन फंडों ने कंज्यूमर नॉन डयूरेबल, हेल्थकेयर जैसे सुरक्षित क्षेत्रों में निवेश किया उनका प्रदर्शन अच्छा रहा। सभी सेक्टरों के सूचकांकों की बात करें तो बीएसई एफएमसीजी (-13.75 फीसदी) और हेल्थकेयर (-34.97 फीसदी) दूसरे क्षेत्रों की तुलना में कम नुकसान में रहे।
हालांकि बीएसई आईटी (-50.61 फीसदी)को भी सेंसेक्स की तुलना में कम मार पड़ी। सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले सूचकांकों में बीएसई रियाल्टी (-80.02 फीसदी), बीएसई कंज्यूमर डयूरेबल (-72.38 फीसदी) और बीएसई मेटल (-74.37 फीसदी) रहे।
मार में बचे रहे पांच फंड
आईडीएफसी इंपीरियल फंड : यह फरवरी 2006 में लांच हुआ था। इस लिहाज से यह पूरी तरह नया है। इसके बाद भी इसने अब तक बेहतर प्रदर्शन किया है।
इसकी किफायती कीमत पर ग्रोथ स्टॉक में निवेश की रणनीति कारगर रही। साथ ही इसका अच्छा फैलाव, चयनित कारोबार भी इसके हक में गया।
इसका 30 फीसदी एलोकेशन डेट और कैश में है जिससे भी इसे अच्छी मदद मिली। यह एक भरोसेमंद निवेश है।
सहारा ग्रोथ : भले ही यह फंड अपनी श्रेणी का लीडर बनकर सामने न आया हो, लेकिन इसने सम्मानजनक रिटर्न दिया।
तेजी के बाजार में यह फंड एक स्टार परफार्मर नहीं था, लेकिन मंदी के बाजार का इसने अच्छी तरह से सामना किया। फंड का एक्सपोजर लॉर्जकैप को अधिक था। इसी के चलते यह गिरते बाजार में भी अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहा।
यूटीआई एमएनसी : यह फंड 2008 के अंत में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले उन फंडों की फेहरिश्त में शुमार था जिनका प्रदर्शन बाजार में आई तेजी के दौरान सबसे अधिक खराब रहा। लेकिन हुआ उल्टा बाजार में आई गिरावट का इस पर दूसरों की तुलना में सबसे कमजोर प्रदर्शन रहा।
यूटीआई कोंट्रा : यह फंड 2007 में 47 फीसदी चढ़ा था लेकिन यह इस साल लगभग इतना ही गिरा है। इसके पोर्टफोलियो में अच्छा शेयर चुनना खासा मुश्किल है। इसके बाद इस फंड में कुछ भी कंट्रेरियन नहीं है। इसके लॉर्जकैप को एक्सपोजर और डायवर्सिफिकेशन से यह अपने नुकसान को घटाने में सफल रहा।
एस्कार्टस हाईयिल्ड इक्विटी : अपने दो साल की समयावधि में यह फंड पूरे मार्केट चक्र का गवाह रहा है। 2007 में जहां इसने 41 फीसदी की वृध्दि अर्जित की, वहीं 2008 में यह 45 फीसदी गिरा।
हाल ही में इसने 40 फीसदी एलोकेशन डेट और कैश में करके ज्यादा नुकसान से स्वयं को बचाने में सफलता अर्जित की। तेजी के बाजार में इसे वैल्यू फंउ के रूप में बाजार में उतारा गया था। अब यह फिक्स्ड इंकम वाले इंस्ट्रूमेंटों में निवेश कर रहा है।
घाटा उठाने वाले पांच फंड
जेएम इमर्जिंग लीडर्स : इस फंड का एक्सपोजर सिर्फ मिडकैप और स्मॉलकैप को है। इसके चलते यह मंदी के बाजार में बुरी तरह गिरा तो इसमें शायद ही किसी को आश्चर्य हुआ हो, लेकिन इतना ही काफी नहीं था। यह फंड सिर्फ कुछ सेक्टरों में ही सीमित रहा।
इसके पोर्टफोलियो में 25 फीसदी एक्सपोजर सिर्फ कंप्यूटर सॉफ्टवेयर क्षेत्र को था। दुर्भाग्य से एक चरमराते बाजार में इस फंड को कहीं से कोई सहारा नहीं मिला।
जेएम स्मॉल और मिडकैप रजि. : यह फंड तेजी के बाजार में अप्रैल 2007 को लांच हुआ था।
इसका एक्सपोजर भी मिडकैप और स्मॉलकैप को था। इसमें 80 फीसदी एक्सपोजर तो केवल स्मॉल कैप को ही था। मंदी के बाजार में यह फंड सिर्फ खामोशी से अपनी वैल्यू का पतन होते देखते रहा। यह 79 फीसदी नीचे आया है।
जेएम बेसिक : इस फंड का सुनहरा ख्वाब एक वास्तव में एक डरावना ख्वाब ही साबित हुआ। अधिक जोखिम और अधिक लाभ की इसकी रणनीति पिछले साल खासे लाभ का सौदा साबित हुई थी अब इसके निवेशकों को खासा नुकसान पहुंचा रही है।
टोरेस डिस्कवरी : 2007 में इस फंड ने 100 फीसदी रिटर्न दिया था। कुछ समय बड़े लाभ के बाद बड़ा नुकसान भी झेलना पड़ता है। यह फंड के साथ भी यही हुआ। इस फंड ने अपना ट्रेक नहीं बदला नतीजतन यह स्वयं को नुकसान से नहीं बचा पाया।
फोर्टिस फ्यूचर लीडर्स: इस फंड का भी एक्सपोजर मिड और स्मॉल कैप को अधिक था। इसके चलते गिरते बाजार में इसे अधिक मदद नहीं मिली। फाइनेंस और कंस्ट्रक्शन आदि दोनों क्षेत्रों को इसका अत्यधिक एक्सपोजर इसके लिए आत्मघाती साबित हुआ।