भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा असुरक्षित व्यक्तिगत ऋणों पर जोखिम भार बढ़ाने के ताजा फैसले से फिनटेक कंपनियों के लिए ‘बाय नाउ, पे लैटर’ (बीएनपीएल), पोस्टपेड या असुरक्षित छोटी राशि के पर्सनल लोन (एसटीपीएल) जैसी योजनाएं पेश करने की रफ्तार धीमी हो सकती है।
फिनटेक कंपनियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि नए बदलाव से असुरक्षित पर्सनल लोन की वृद्धि में नरमी भले आ सकती है लेकिन इसमें बहुत ज्यादा कमी आने की आशंका नहीं है। 50,000 रुपये से ज्यादा का कर्ज देने वाली कंपनियां छोटे आकार और कम अवधि के ऋणों की तुलना में अच्छी वृद्धि दर्ज कर सकती हैं।
फिनटेक फर्म रिंग के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी रणवीर सिंह ने कहा, ‘ज्यादा कर्ज पाने योग्य ग्राहकों के दायरे में इजाफा होगा। कई ऋणदाता ऋण दायरे को 50,000 रुपये से ऊपर किए जाने को इच्छुक हैं। इसके अलावा कम अवधि के ऋणों (तीन महीने से कम) के बजाय ऋणदाताओं में लंबी अवधि के लिए कर्ज देने की प्रवृत्ति बढ़ेगी, बशर्ते ग्राहक इसे चुकाने में सक्षम हों।’
उद्योग का मानना है कि इस सेगमेंट में आ रही तेजी को सामान्य बनाने और जैसे जैसे उद्योग बढ़ेगा और मजबूत होगा, उधारी मॉडलों में बदलाव एवं पोर्टफोलियो की गुणवत्ता में सुधार लाने की जरूरत भी बढ़ेगी।
डिजिटल लोन फर्मों के उद्योग संगठन फिनटेक एसोसिएशन फॉर कंज्यूमर इम्पावरमेंट के मुख्य कार्याधिकारी सुगंध सक्सेना ने कहा, ‘फिनटेक से ग्राहक प्रदर्शन या व्यवहार के संदर्भ में किसी मानक के बगैर ऋण उद्योग में बड़ा बदलाव आया है। फिनटेक लोन कंपनियां पोर्टफोलियो गुणवत्ता सुधारने के प्रयास में अपने मॉडलों में बदलाव लाने के लिए ग्राहक सेगमेंट से जुड़े आंकड़ों से लगातार सीख रही हैं और नया अनुभव हासिल कर रही हैं।’
पिछले कुछ महीनों से नियामक ने असुरक्षित ऋणों में आ रही तेजी पर सतर्क रुख अपना रखा है जिससे कि संभावित खराब ऋणों में वृद्धि पर शिकंजा कसा जा सके। पिछले महीने प्रकाशित हुई क्रेडिट ब्यूरो ट्रांसयूनियन सिबिल की रिपोर्ट के अनुसार छोटे आकार के पर्सनल लोन (50,000 रुपये से कम के) का जनवरी 2022 से कुल ऋणों में 25 प्रतिशत योगदान रहा है।