आज भी यूक्लिड की ज्यामिति के जादू पर कुर्बान है दुनिया

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 11:22 PM IST

रोमनों ने ही एब्सकस का इजाद किया था। यह शायद दुनिया का पहला कैलकुलेटर था। इसकी वजह से गणित के मामूली सवालों को हल करने में लगने वाला काफी हद तक कम हो गया।
हालांकि, मुश्किल सवालों को लेकर दिक्कतें अब भी बरकरार रहीं। साथ ही, दिक्कत यह भी थी कि पहले की गई गणना को एब्सकस में कैसे स्टोर करके रखा जा सके। इस दिक्कत को दूर किया, हिंदू (बाद में अरबी) नंबर प्लेस वैल्यू सिस्टम ने।
आर्यभट्ट ने तीसरी सदी ईसा-पूर्व में शून्य के इस्तेमाल से इसे करके दिखाया, उसे उनकी अनुपात को लेकर मौजूद गहरी समझ ही कहा जा सकता है। आर्यभट्ट के एक सदी बाद ग्रीस में एक नए गणितज्ञ का आगमन हुआ, जिसका नाम था यूकल्ड। इस शख्स ने अनुपात को ही ध्यान में रखकर एक बिल्कुल नए विषय को दुनिया के सामने रखा, जिसका नाम था ज्यामिति (जियोमेट्री)।
इसमें सिर्फ और सिर्फ अनुपात का अध्ययन किया गया। उनकी किताब ‘एलिमेंट्स’ गणित के इतिहास में अब तक की सबसे मशहूर पाठयपुस्तक है। तब से लेकर अब तक गणित में काफी कुछ बदल चुका है, लेकिन उनके तय किए गए मानक आज 23 सदियों के बाद भी गणित का मूल बने हुए हैं। उनके नियमों का इस्तेमाल आज जिंदगी के हर पहलू में होता है, फिर चाहे वह पर्यावरण हो या विज्ञान या फिर अर्थशास्त्र।
अनुपात की दुनिया
अनुपात की सबसे बड़ी नजीर तो आपको जंगलों में ही मिल जाएगी। जिस जीव का आकार जितना ज्यादा होगा, उसकी आबादी उतनी ही कम होगी। मिसाल के तौर पर व्हेल, बाघ और कीड़े-मकौड़ों की ही ले लीजिए। दुनिया में बाघों की कई लाख गुणा ज्यादा कीड़े-मकौड़े मौजूद हैं।
दूसरी तरफ, बाघों की तादाद भी व्हेलों से ज्यादा है। अनुपात की नजीर आपको भाषाओं में भी मिल जाएगी। इंसानी भाषा के सबसे मशहूर शब्द का इस्तेमाल उसके बाद उपयोग में आने वाले शब्द से दोगुना ज्यादा होता है। जैसे-जैसे किसी शब्द की लोकप्रियता कम होती जाती है, उसी आधार पर उसका इस्तेमाल भी कम होता जाता है।
सूचनाओं के इस्तेमाल में भी आपको अनुपात साफ तौर पर दिख जाएगा। लोकप्रिय सूचना, कहानी या फिल्म को देखने, सुनने या इस्तेमाल करने वालों की तादाद उससे कम लोकप्रिय सूचना, कहानी या फिल्म से जुड़े लोगों के अनुपात में ही होती है।
आबादी का वितरण भी अनुपात के आधार पर होता है। साथ ही, पूंजी का वितरण भी अनुपातिक होता है। दुनिया के हरेक हिस्से में पूंजी के बड़े हिस्से पर समाज के एक छोटे से हिस्से का कब्जा होता है। 
इंटरनेट की मिसाल
वर्ल्ड वाइट वेब यानी इंटरनेट मे आपको अनुपात की मिसाल मिल जाएगी। एक बार गौर से इसकी संरचना को देखने पर आप जान जाएंगे कि हमारी सोच से जुदा, यह पूरी तरह से एक-दूसरे से जुड़ी हुई नहीं है।
एक अध्ययन के मुताबिक चार में से एक शख्स ही, यूं ही चुने गए दो वेबपेजों पर एक से दूसरे पेज पर जाता है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 20 करोड़ वेबपेजों और 1.5 अरब हाइपरलिंकों का अध्ययन किया।
उनके नतीजों के मुताबिक इंटरनेट चार अलग-अलग हिस्सों से मिलकर बना हुआ है। आप भले ही इंटरनेट को बाजार, मनोरंजन, क्षेत्र या फिर धर्म को बांट लें, लेकिन आपको ये चार हिस्से मिलेंगे ही मिलेंगे। आपको जन्म और मृत्यु दर में भी अनुपात मिलेगा। एक हद तक ब्रह्मांड भी इन्हीं बातों से जुड़ा हुआ है। 
बर्ताव में भी अनुपात
इंसान होने के नाते हमारे भ्रमों में भी आपको एक अनुपात देखने को मिल सकता है। जिसे आपके दफ्तर के अधिकारी कई बार क्षमताओं को बढ़ा-चढ़ाकर आंकने कहते हैं, वह कुछ और नहीं बल्कि सिर्फ अनुपात है। आपके दफ्तर के 90 फीसदी लोग खुद को उन 10 फीसदी लोगों में गिनते हैं, जो सबसे ज्यादा काम करते हैं।
अनुपात ही वह वजह है, जिसके कारण हम एक झुंड में काम करना पसंद करते हैं। मांग और पूर्ति का सिध्दांत अनुपात पर काम करता है। ऐसे ही बाजार, अर्थव्यवस्था और कीमतें भी अनुपातिक होती हैं। यहां तक कि हम बाजार के विश्लेषणों के लिए जिन तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, उनमें भी कहीं न कहीं अनुपात है।
तकनीकी विश्लेषणों में भी आपको अनुपात की गहरी झलक मिल जाएगी। हर वक्त के हिस्से में एक अनुपात है। एक सिक्के को उछालने में भी अनुपात की गहरी भूमिका होती है। गणित में अनुपात ही पैटर्न को जन्म देते हैं। संगठित पैटर्न और स्वाभाविक पैटर्न। यूलाम स्पाइर्ल्स एक साधारण तरीका है, जिसके जरिये एक पैटर्न के प्राइम नंबर का अंदाजा लगता है।
इसकी खोज 1963 स्टेंसलॉ यूलाम ने तब की थी, जब एक सेमिनार के दौरान कागत के टुकड़े पर आड़ी-तिरछी रेखाएं खींच रहे थे। अब वक्त अनुपात के प्राकृतिक नियम को समझने का और अनुपात की चुनौतियों को जानने का। चूंकि, यह जगह मौजूद है, इसलिए लोग इस अहमियत नहीं देते। हम में से कुछ लोगों को इस बात को स्वीकारने में दिक्कत होती है, दुनिया में हर चीज गणित से जुड़ी हुई है।

First Published : April 6, 2009 | 4:01 PM IST