पिछले कुछ महीनों में वाहनों की बिक्री भले ही घटी है, पर पुरानी कारों की बिक्री में आई बढ़ोतरी और कच्चे माल की कीमतों में आई गिरावट के कारण कैस्ट्रॉल इंडिया का प्रर्दशन दमदार रहा है।
कंपनी वॉल्यूम बढ़ाने के बजाय मूल्य में वृद्धि यानी वैल्यू ऐडिशन पर अधिक ध्यान देती है। कंपनी राजस्व उगाही के दूसरे जरिये भी तलाश रही है और आने वाले दिनों में कंपनी को इससे फायदा होने की उम्मीद है।
कैस्ट्रॉल के पास काफी अच्छा तकनीकी सहयोग है और यही वजह है कि कंपनी ल्यूब्रिकेंट्स के बाजार में तेजी के साथ आगे बढ़ रही है।
भारतीय बाजार में जो नए वाहन पेश किए जा रहे हैं, वे बेहतर तकनीक वाले ल्यूब्रिकेंट्स की मांग करते हैं। इसकी वजह यह है कि ल्यूब्रिकेंट्स को महज कमोडिटी के दायरे में नहीं रखा जाता है, बल्कि वे बेस ऑयल और रसायनों का मिश्रण है।
ल्यूब्रिकेंट्स वाहनों के पुर्जों में घर्षण को कम कम करते हैं और इसकी वजह से गर्मी भी कम ही रहती है। इस तरह ईंधन की खपत तो कम होती ही है, साथ ही हानिकारक गैसों का उत्सर्जन भी कम होता है।
कैस्ट्रॉल इंडिया ब्रिटेन के बीपी समूह की सहायक कंपनी है। वह दो ब्रांड नामों- कैस्ट्रॉल और बीपी के तहत ल्यूब्रिकेंट्स बेचती है। कंपनी जितनी मात्रा में ल्यूब्रिकेंट्स की बिक्री करती है, उसमें ओईएम यानी उपकरण निर्माताओं की हिस्सेदारी बहुत कम है।
इसका मतलब यह है कि वाहनों की बिक्री घटने से कंपनी के वॉल्यूम पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है। पर नकदी के संकट को देखते हुए और और अपेक्षाकृत कमजोर आर्थिक उत्पादन का असर जरूर कंपनी के प्रदर्शन पर पड़ सकता है।
चूंकि, कंपनी अधिकांश ल्यूब्रिकेंट्स वाणिज्यिक वाहनों को बेचती है, इस वजह से बिक्री पर असर चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में देखने को मिलेगा और यह असर लंबा खिंचा, तो कैलेंडर वर्ष 2009 की पहली छमाही तक भी देखा जा सकता है।
पिछले पांच साल के दौरान वाहनों की बिक्री में खासी तेजी का दौर था, लेकिन उस वक्त भी कैस्ट्रॉल इंडिया के लिए ल्यूब्रिकेंट्स वॉल्यूम औसतन 1.13 फीसदी की दर से ही बढ़ा था। पिछले पांच सालों में कैस्ट्रॉल की बिक्री में 10.7 फीसदी की बढ़ोतरी की दर्ज की गई है।
कंपनी को बिजनेस टु बिजनेस यानी कारोबारी घरानों के साथ कारोबार में और वर्कशॉप क्षेत्र में विकास की बेहतर संभावनाएं नजर आती हैं।
कैस्ट्रॉल इंडिया की मूल कंपनी को विश्व भर में खासी पहचान मिली हुई है, पर कैस्ट्रॉल इंडिया को मूल कंपनी का तकनीक आधारित सहयोग इसी तरह से मिलते रहना बहुत जरूरी है।