भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ऊर्जित पटेल
मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ऊर्जित पटेल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया है। पटेल को पदभार ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि के लिए या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, के लिए यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। वह केवी सुब्रमण्यन की जगह लेंगे, जिनकी सेवाएं सरकार ने उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले 30 अप्रैल, 2025 को समाप्त कर दी थीं। इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी हो चुका है।
सूत्रों के अनुसार, सुब्रमण्यन को हटाने का कारण उनकी नवीनतम पुस्तक इंडिया@100 के प्रचार और प्रसार के लिए अपने पद का कथित तौर पर दुरुपयोग करना बताया गया। आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड में 25 निदेशक होते हैं, जो सदस्य देशों या देशों के समूहों द्वारा चुने जाते हैं। भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान के साथ चार देशों के निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। एक मौद्रिक अर्थशास्त्री, पटेल 2016 में रघुराम राजन के बाद 24वें आरबीआई गवर्नर बनाए गए थे। इससे पहले वह आरबीआई में साढ़े तीन साल से अधिक समय तक डिप्टी गवर्नर रहे थे।
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येल विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी करने वाले पटेल ने व्यक्तिगत कारणों से 2018 में आरबीआई गवर्नर के पद से इस्तीफा दे दिया था। इस पद पर वह सबसे कम समय तक सेवाएं देने वाले व्यक्ति भी बन गए थे। पटेल अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न मुद्दों पर सरकार के साथ मतभेद के लिए चर्चा में बने रहे। इसमें मुद्रास्फीति के गिरने पर भी दरों को ऊंचा रखने का उनका रुख भी शामिल था, जो अंततः 1.5 प्रतिशत से भी नीचे गिर गई। उन्होंने 2020 में नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इससे पहले, वह पेइचिंग स्थित एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक में दक्षिण एशिया में निवेश संचालन के उपाध्यक्ष भी रहे थे।
वह 1998 से 2001 तक वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग में सलाहकार रहे। पटेल के पास सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईडीएफसी लिमिटेड, एमसीएक्स लिमिटेड और गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन आदि के साथ काम किया।