जमीन-जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियों और परामर्शदाताओं ने शुक्रवार को कहा कि रिजर्व बैंक का नीतिगत दर में बदलाव नहीं करने के निर्णय का मतलब है कि आवास ऋण पर निम्न ब्याज दर की स्थिति बनी रहेगी। हालांकि उनका कहना है कि अगर प्रमुख नीतिगत दर में कटौती की जाती, इससे मकानों की मांग और बढ़ती जिसमें पिछले कुछ महीनों से सुधार देखा जा रहा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने आम सहमति से नीतिगत दर को 4 फीसदी पर बरकरार रखने का निर्णय किया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रमुख महानगरों में मकानों की बिक्री और नई रिहायशी परियोजनाओं के शुरू होने के आंकड़े रियल एस्टेट क्षेत्र में नए भरोसे को प्रतिबिंबित करते हैं।
कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण मकानों की बिक्री अप्रैल-जून के दौरान बुरी तरीके से प्रभावित हुई। हालांकि बाद में अक्ट्रबर-दिसंबर के दौरान ब्याज दर के 7 फीसदी पर आने के साथ मांग में तेजी देखी गई। नारेडको के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा, बाजार की मौजूदा हालात को देखते हुए, आरबीआई का नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय आशा के अनुरूप है। हालांकि अगर रीपो दर में कटौती होती तो उद्योग पर महामारी के कारण जो आर्थिक संकट आया है, उससे और बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिलती।