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RBI की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में खुलासा, घट रहे कई कर्जदाताओं से ऋण लेने के मामले

कड़े अंडरराइटिंग मानदंड स्वीकार करने के कारण ऋण वृद्धि में गिरावट आई है, जिसकी वजह से कुल सक्रिय उधारी लेने वालों की संख्या 40 लाख कम हुई है।

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आतिरा वारियर   
Last Updated- June 30, 2025 | 10:17 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में फंसी परिसंपत्तियों का अनुपात बढ़ा है, वहीं उधार लेने वालों की ऋणग्रस्तता घटकर 11.7 प्रतिशत रह गई है।

इस क्षेत्र में कर्ज के भुगतान में 31 से 180 दिन की देरी वाली (डीपीडी) दबावग्रस्त संपत्तियां मार्च 2025 में बढ़कर 6.2 प्रतिशत हो गई हैं, जो सितंबर 2024 में 4.3 प्रतिशत थीं। बैंकिंग सेक्टर के माइक्रोफाइनैंस पोर्टफोलियो पर दबाव बढ़ा है और 31 से 180 डीपीडी 4.7 प्रतिशत से बढ़कर 6.5 प्रतिशत हो गई है।

रिजर्व बैंक ने कहा, ‘बहरहाल 3 या 4 ऋणदाताओं से कर्ज लेने के आधार पर मापी जानी वाली उधारी लेने वालों की ऋणग्रस्तता घट रही है।’

माइक्रोफाइनैंस सेक्टर दबाव में है, वहीं इस सेक्टर को मिलने वाला ऋण 2024-25 में 13.9 प्रतिशत घटा है। इस क्षेत्र को बैंक ऋण वित्त वर्ष2024-25 में  13.8 प्रतिशत घटा है, जो इस सेक्टर को मिलने वाले कुल कर्ज का 48.3 प्रतिशत होता है।

 रिजर्व बैंक के मुताबिक, ‘ऋणदाताओं द्वारा कड़े अंडरराइटिंग मानदंड स्वीकार करने के कारण ऋण वृद्धि में गिरावट आई है, जिसकी वजह से कुल सक्रिय उधारी लेने वालों की संख्या 40 लाख कम हुई है।’

माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र के लिए दो स्व-नियामक संगठनों (एसआरओ) एमएफआईएन और सा-धन ने क्षेत्र में दबाव कम करने के लिए अपने सदस्यों के लिए सुरक्षा के प्रावधान कड़े कर दिए थे।  इसके तहत ऋण की सीमा 2 लाख रुपये कर दी गई और उधारी लेने वाला सिर्फ 3 ऋणदाताओं से ऋण ले सकता है। एसआरओ ने अपने सदस्यों से यह भी अनुरोध किया कि वे 3000 रुपये से अधिक के 90 दिन के बजाय 60 दिन के बकायेदारों को ऋण देना बंद कर दें।

हाल में डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने एचएसबीसी के वित्तीय समावेशन के कार्यक्रम में 9 जून 2025 को अपने भाषण में कहा था कि  माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में अति-ऋणग्रस्तता, उच्च ब्याज दरों और वसूली को लेकर सख्ती के दुष्चक्र पर प्रकाश डाला था। उन्होंने कहा कि लिए जा रहे ब्याज में कुछ कमी देखी गई है, लेकिन हाल की तिमाहियों में कुछ क्षेत्रों में उच्च ब्याज दर तथा उच्च मार्जिन भी देखने को मिला है।

First Published : June 30, 2025 | 10:06 PM IST