वित्त मंत्रालय ने आज निजी क्षेत्र के सभी बैंकों को सरकार से जुड़े कारोबार जैसे कर संग्रह, पेंशन भुगतान और लघु बचत योजनाओं में हिस्सा लेने की अनुमति दे दी। अब तक केवल कुछ बड़े निजी क्षेत्र के बैंकों को सरकार से संबंधित कामकाज करने की अनुमति थी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस कदम से ग्राहकों की सुविधा, प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता सेवाओं के मानकों में कुशलता और बढ़ेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक ट्वीट में कहा, ‘निजी बैंकों द्वारा सरकारी अनुदान संबंधी काम करने पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया है। निजी बैंक अब भारत की अर्थव्यववस्था के विकास, सरकारी की सामाजिक क्षेत्र की पहल को आगे ब़ाने और ग्राहकों की सुविधा बढ़ाने में बराबर के साझेदार होंगे।’
बयान में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के बैंक अत्याधुनिक तकनीक और नवोन्मेष को लागू करने में सबसे आगे हैं, अब वे भारत के विकास में बराबर के साझेदारहोंगे और सरकार के सामाजिक क्षेत्र की पहल को आगे बढ़ाएंगे।
इसमें कहा गया है, ‘रोक हटाए जाने के साथ अब निजी क्षेत्र के बैंकों को सरकारी एजेंसियों के काम सहित सरकार के कारोबार में अधिकृत करने को लेकर (सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ) भारतीय रिजर्व बैंक पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।’
सरकार ने 2021-22 के बजट में आईडीबीआई बैंक के अलावा 2 सरकारी बैंकों के निजीकरण के अपने इरादे की घोषणा पहले ही कर दी है। 2021-22 का बजट पेश करते हुए सीतारमण ने इस माह की शुरुआत में कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण विनिवेश के माध्यम से सरकार के 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना का हिस्सा है।
उन्होंने कहा था, ‘आईडीबीआई बैंक के अलावा हमने दो और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी को 2021-22 के दौरान बेचने का प्रस्ताव रखा है।’
पिछले साल सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का एकीकरण कर 4 बैंक बनाया था। इसकी वजह से कुल सरकारीबैंकों की संख्या मार्च 2017 के 27 से घटकर 12 हो गई थी। विलय योजना के तहत यूनाइटेड बैंंक आफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक आफ कॉमर्स का विलय पंजाब नैशनल बैंक के साथ किया गया था, जिससे दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक बन सके। सिंडिकेट बैंक का विलय केनरा बैंक के साथ जबकि इलाहाबाद बैंक का विलय इंडियन बैंक के साथ किया गया था। आंध्र बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक को यूनियन बैंक आफ इंडिया के साथ मिला दिया गया था। इसके पहले 2019 में विजया बैंक और देना बैंक का विलय बैंक आफ बड़ौदा के साथ किया गया था। एसबीआई में 5 सहयोगी बैंकों- स्टेट बैंक आफ पटियाला, स्टेट बैंक आफ बीकानेर ऐंड जयपुर, स्टेट बैंक आफ मैसूर, स्टेट बैंक आफ त्रावणकोर और स्टेट बैंक आफ हैदराबाद को मिला दिया गया था और साथ ही 2017 में भारतीय महिला बैंक का भी विलय भारतीय स्टेट बैंक में कर दिया गया था।
येस बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी ने कहा, ‘निजी बैंकों को एक समान मंच पर काम करने का अवसर मिलेगा और और सरकारी कारोबार में और हिस्सा मिलेगा।’ कुमार ने कहा कि इसका लाभ ग्राहकों को भी मिलेगा।
इंडिया रेटिंग्स में वित्तीय संस्थाओं के प्रमुख प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि यह फैसला निजी क्षेत्र और उनके तकनीकी कौशल को देखते हुए अहम है। उन्होंने कहा कि इससे कासा के प्रवाह मेंं सुधार होगा और फंडिंग व शुल्क से आमदनी में सुधार होगा।
बहरहाल सार्वजनिक क्षेत्र के एक पूर्व बैंकर ने कहा कि इससे सरकारी बैंकों पर असर पड़ेगा क्योंकि उनके लिए यह बहुत बड़ा कारोबार है। इसकी बहुत संभावना है कि इस कारोबार का बड़ा हिस्सा समय बीतने के साथ निजी बैंकों को दे दिया जाएगा।
यूको बैंक के पूर्व चेयरमैन आरके ठक्कर ने कहा कि हर साल कारोबार का आकार बढ़ रहा है और ऐसे में सभी बैंकों के लिए पर्याप्त मौका है। उन्होंने कहा, ‘यह प्रतिस्पर्धा बढऩे और ग्राहकों की सुविधा के हिसाब से बेहतर होगा।’
सरकार के फैसले को बेहतर बताते हुए पूर्व बैंकिंग सेक्रेटरी डीके मित्तल ने कहा कि अब रिजर्व बैंक संशोधनों पर काम करेगा, जिससे सरकार के बिजनेस में ज्यादा बैंकों को अनुमति दी जा सके। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा बढऩे के कारण इससे उन बैंकों पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जिन्हें इस समय यह कारोबार करने की अनुमति मिली हुई है। (साथ में एजेंसियां)