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प्राइवेट बैंकों का शुद्ध लाभ 10 फीसदी घटा, चौथी तिमाही में हुआ 25,317 करोड़ रुपये का मुनाफा

Published by
अभिजित लेले
Last Updated- May 10, 2023 | 11:24 PM IST

वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में शुद्ध ब्याज आय (NII) में शानदार तेजी, ऋण वितरण बढ़ने और प्रावधान खर्च में कमी की मदद से निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए मार्च तिमाही अच्छी रही है।

हालांकि निजी बैंकों का शुद्ध लाभ चौथी तिमाही में सालाना आधार पर 9.7 प्रतिशत तक घटकर 25,317 करोड़ रुपये रह गया। इसकी वजह यह है कि ऐक्सिस बैंक द्वारा सिटीबैंक इंडिया का उपभोक्ता व्यवसाय खरीदे जाने से एकमुश्त खर्च की वजह से बड़ा नुकसान हुआ। बीएस रिसर्च ब्यूरो द्वारा 14 निजी बैंकों से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 के लिए शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2022 के 94,046 करोड़ रुपये से सालाना आधार पर 23.3 प्रतिशत तक बढ़कर 1.17 लाख करोड़ रुपये रहा।

ऐ​क्सिस बैंक को 12,490 करोड़ रुपये के एकमुश्त खर्च से संबं​धित प्रावधान से जूझना पड़ा। यही वजह है कि ऋणदाता को चौथी तिमाही में 5,728 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान उठाना पड़ा। उधारी दरों में तेजी की मदद से NII सालाना आधार पर 29.3 प्रतिशत तक बढ़कर मार्च तिमाही में 78,246 करोड़ रुपये हो गई। वित्त वर्ष 2023 के लिए, यह 2.28 लाख करोड़ रुपये से 24.8 प्रतिशत तक बढ़कर 2.84 लाख करोड़ रुपये हो गया।

ICRA के अनिल गुप्ता का कहना है कि NII में वृद्धि उधारी दरों में तेजी और वित्त वर्ष 2023 में ऋण वितरण में वृद्धि पर आधारित थी। हालांकि, उधारी दरों में मामूली इजाफा होगा। लेकिन ऊंचे स्तर पर जमा दरों में बदलाव से वित्त वर्ष 2024 में NII पर दबाव पड़ेगा।

कॉमर्शियल बैंकों ने मई 2022 और मार्च 2023 के बीच 250 आधार अंक की दर वृद्धि के संबंध में अपनी बाह्य मानक-आधारित उधारी दरों (EBLR) में बदलाव किया है। RBI के आंकड़े से पता चलता है कि फंडों की एक वर्षीय सीमांत लागत मई 2022 से मार्च 2023 के दौरान हुई 140 आधार अंक की एमसीएलआर वृद्धि पर आधरित है।

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जमा के संदर्भ में, जमाओं पर वेटेड एवरेज डोमे​स्टिक टर्म डिपोजिट रेट (WADTDR) समान अव​धि के दौरान 99 आधार अंक तक बढ़ी।

अन्य आय (शुल्कों, कमीशन और ट्रेजरी सेगमेंट से राजस्व समेत) चौथी तिमाही में सालाना आधार पर 18.5 प्रतिशत तक बढ़कर 28,825 करोड़ रुपये हो गई। वित्त वर्ष 2023 के लिए यह 8.5 प्रतिशत बढ़कर 1.02 लाख करोड़ रुपये पर रही, जो वित्त वर्ष 2022 में 94,427 करोड़ रुपये थी।

चौथी तिमाही में प्रावधान और अन्य आक​स्मिक खर्च सालाना आधार पर 3.4 प्रतिशत तक घटकर 8,149 करोड़ रुपये रहा। पूरे वित्त वर्ष 2023 के संदर्भ में खर्च में यह गिरावट काफी ज्यादा थी। वित्त वर्ष 2022 में यह आंकड़ा करीब 52,030 करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2023 में 31.3 प्रतिशत घटकर 35,722 करोड़ रुपये रह गया।

First Published : May 10, 2023 | 7:53 PM IST