एक ओर जहां बैंकों को लग रहा है कि कर्ज की मांग में भारी गिरावट आ सकती है वहीं यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को पिछले साल उठाए गए अपने कुछ कदमों से सभी सेगमेन्ट में अच्छी ग्रोथ की उम्मीद है।
बैंक के सीएमडी एमवी नायर ने अभिजीत लेले और सिध्दार्थ से चर्चा में ब्याज दर पर अपनी उम्मीद और अपने बैंक की फंड जुटाने और विस्तार की योजना पर चर्चा की।
यहां से ब्याज दर कहां जाएंगे और क्या आपको क्रेडिट फ्लो में गिरावट की उम्मीद है?
वित्तीय वर्ष 2007-08 में बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ काफी कम हुई है। लेकिन इस वर्ष सितंबर में रिटेल क्रेडिट की दर 14 फीसदी थी जो अब बढ़कर 22 फीसदी हो गई है। जारी वित्त वर्ष में इसके 25 फीसदी होने की उम्मीद है। बैंकों द्वारा उठाए गए कदमों से इस साल छोटे और मझौले उद्योगों(एसएमई) को दिए गए ऋण में 35-38 फीसदी की वृध्दि होने की संभावना है।
क्रेडिट की मांग से कृषि और मानसून पर निर्भर करती है। हमारा आकलन यह था कि ब्याज दरें नीचे आएंगी, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। मुद्रास्फीति की दर वास्तव में चिंता का सबब बनी हुई है।
कंपनियों की ओर से आने वाली मांग की क्या स्थिति है?
हाल-फिलहाल यह पहले वाले स्तर पर बनी हुई है। उनके पास निवेश की बड़ी योजनाएं है। वर्तमान में जारी अनिश्चितता के दौर के कारण पहले से ही आवंटित क्रेडिट के उपयोग में वे विलंब कर सकते हैं।
पहले आप विदेशों में विस्तार की बात कर रहे थे। इस बारे में क्या प्रगति है?
यूबीआई शंघाई और अबु धाबी में पहले ही अपनी शाखाएं खोल चुकी है। हांगकांग में भी हमारी कामकाज प्रारंभ हो चुका है। यहां से उन कंपनियों को मदद मिलेगी जिनकी विदेशों में विस्तार की योजना है। अब हमारी ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिणी अफ्रीका के कुछ देशों में भी विस्तार की योजना है।
यह इन देशों में मौजूद प्रतिबंधात्मक नियमावली पर निर्भर करेगा। उनकी बैंक की 2 अरब डॉलर की मिडियम टर्म नोट(एमटीएन) की योजना है। हालांकि अभी हमे यह तय करना है कि यह धन कब उगाहना है। इससे पहले हमें भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) से अनुमति लेनी होगी।
आपकी दूसरे क्षेत्रों में प्रवेश करने और घरेलू विस्तार की क्या योजनाएं हैं?
परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी को अंतिम रूप दिया जा रहा है और हम केबीसी (परिसंपत्ति प्रबंधन) से परस्पर सहमति के करार (एमओयू) पर हस्ताक्षर करेंगे। यूरोप के म्युच्युअल फंड बिजनेस में केबीसी की 13 फीसदी हिस्सेदारी है। इस साझा उपक्रम में यूबीआई की 51 फीसदी हिस्सेदारी होगी। शेष हिस्सा केबीसी का होगा।
बीते साल बैंक ने 155 नई शाखाएं प्रारंभ की। इससे पहले वाले साल में नई 124 शाखाएं खोली गईं थी। जबकि इससे पहले 10 सालों में बैंक ने महज 100 नई शाखाएं खोलीं थी। नए क्षेत्रों, ग्रामीण क्षेत्रों और शहरों के बाहरी क्षेत्र जो तेजी से बढ़ रहे हैं, में काफी अधिक कारोबार है।
जब कभी भी कंसोलिडेशन की बात आती है तो, यूबीआई हमेशा कहती है…
बीते साल जुलाई में हमने बैंक को विशिष्ट स्थिति में पहुंचाने का निर्णय लिया और इसे पूरी तरह ग्राहक आधारित बैंक में बदल डाला। हमने बैंक के आमूल चूल ढांचे को ही बदलते हुए तकनीकी, प्रोसेस और लोगों पर फोकस किया है। एक सार्वजनिक क्षेत्र की किसी इकाई को कंसोलिडेट करने के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति की आवश्यकता होती है।
राइट इश्यू के बारे में आपकी क्या योजना है?
टियर 2 बांड के लिए पर्याप्त अवसर हैं। हमने अब तक किसी प्रीपेटयुअल बांड का मार्ग नहीं अपनाया है। हम जानते हैं कि बाजार अभी किस दिशा में जा रहा है। यह राइट इश्यू के लिए उपयुक्त समय नहीं है।