सुमंत कठपालिया | फोटो: बिज़नेस स्टैंडर्ड
इंडसइंड बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुमंत कठपालिया ने बैंक में लेखा चूक के कारण करीब 2,000 करोड़ रुपये के नुकसान की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तत्काल प्रभाव से आज इस्तीफा दे दिया। यह कदम बीते रविवार को ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट के बाद उठाया गया है। इंडसइंड बैंक ने घाटे के मूल कारण का पता लगाने तथा इसमें शामिल कर्मचारियों की भूमिका और कार्यों की जांच करने के लिए ग्रांट थॉर्नटन को नियुक्त किया था। कठपालिया के इस्तीफा देने से एक दिन पहले सोमवार को बैंक के डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने भी बैंक के बहीखाते में लेखा चूक के कारण अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
कठपालिया ने अपने इस्तीफे में कहा, ‘डेरिवेटिव पर चल रही चर्चा के संदर्भ में मैं बैंक की सेवाओं से इस्तीफा देना चाहता हूं। मेरे संज्ञान में लाए गए विभिन्न कार्यों/चूक को देखते हुए मैं इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं।’
बैंक के निदेशक मंडल ने भारतीय रिजर्व बैंक से अंतरिम अवधि के लिए बैंक के सीईओ की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए एक ‘कार्यकारी समिति’ गठित करने की मंजूरी मांगी है। यह समिति बैंक द्वारा एक स्थायी मुख्य कार्याधिकारी नियुक्ति होने तक कामकाज देखेगी।
पिछले साल तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक (टीएमबी) ने सीईओ की अनुपस्थिति में बैंक के कामकाज की देखरेख के लिए तीन सदस्यों वाली कार्यकारी समिति गठित की थी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मार्च में कठपालिया को एक साल के सेवा विस्तार की मंजूरी दी थी जबकि बैंक के बोर्ड ने उन्हें तीन साल के लिए दोबारा नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूर किया था। यह लगातार दूसरा मौका है जब बोर्ड द्वारा तीन साल के लिए कार्यकाल की मंजूरी देने के बावजूद आरबीआई ने कठपालिया के छोटे कार्यकाल को मंजूरी दी।
विश्लेषकों के साथ बातचीत में कठपालिया ने कहा था कि बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में पाई गई विसंगतियां उन कारणों में से एक हो सकती हैं, जिसके कारण आरबीआई ने उन्हें केवल एक साल का सेवा विस्तार दिया है। कठपालिया मार्च 2020 से ही इंडसइंड बैंक की कमान संभाल रहे हैं।
करीब एक दशक तक बैंक प्रमुख की जिम्मेदारी संभालने वाले रोमेश सोबती के सेवानिवृत्त होने के बाद कठपालिया इंडसइंड बैंक के सीईओ बने थे। इससे पहले कठपालिया एबीएन एमरो बैंक में थे और 2008 में सोबती और अन्य के साथ इंडसइंड बैंक में आए थे।
इंडसइंड बैंक ने रविवार देर रात खुलासा किया था कि स्वतंत्र पेशेवर फर्म ग्रांट थॉर्नटन ने पता लगाया है कि बैंक द्वारा आंतरिक डेरिवेटिव ट्रेड के गलत लेखांकन के कारण काल्पनिक लाभ दर्ज किया गया, जिसके परिणामस्वरूप लेखांकन में विसंगतियां हुईं।
ग्रांट थार्नटन के आकलन के अनुसार 31 मार्च, 2025 तक बैंक के लाभ और हानि खाते में कुल मिलाकर 1,959.98 करोड़ रुपये का प्रतिकूल असर पड़ेगा।
यह मामला 10 मार्च को सामने आया जब बैंक ने स्टॉक एक्सचेंजों को बताया कि आंतरिक समीक्षा में उसे अपने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में विसंगतियां मिली हैं। बैंक ने कहा था कि इससे दिसंबर 2024 तक उसके कुल नेटवर्थ पर 2.35 फीसदी का प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। बैंक ने यह भी कहा कि उसने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में नुकसान के अनुमान की समीक्षा के लिए पीडब्ल्यूसी को नियुक्त किया है। बाद में बैंक ने खुलासा किया कि उसने बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में विसंगतियों के मूल कारण का पता लगाने हेतु व्यापक जांच करने के लिए स्वतंत्र पेशेवर फर्म ग्रांट थॉर्नटन को नियुक्त किया है।
प्रबंध निदेशक और और सीईओ के रूप में कठपालिया के कार्यकाल के दौरान बैंक की लोन बुक 2.06 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3.66 लाख करोड़ रुपये रुपये (वित्त वर्ष 25 के 9 महीने तक) हो गई है। साथ ही इस अवधि के दौरान जमा आधार 2.02 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 4.09 लाख करोड़ रुपये हो गया है। दिसंबर 2024 तक बैंक की नेटवर्थ 34,387 करोड़ रुपये से बढ़कर 67,106 करोड़ रुपये हो गई है।