एचडीएफसी लिमिटेड वित्त वर्ष 22 में अब तक दो लाख करोड़ रुपये का खुदरा आवास ऋण मंजूर कर चुकी है, जो कमजोर ऋण बाजार में आवास ऋण की भारी मांग को दर्शाता है। यह इस ऋणदाता द्वारा किसी वित्त वर्ष में मंजूर किया गया अब तक का सबसे ज्यादा आवास ऋण है। वित्त वर्ष 21 में 1.55 लाख करोड़ रुपये का आवास ऋण मंजूर किया गया था।
ऋण मांग में उछाल का एक कारण आवास ऋण की ब्याज दरें सर्वकालिक निचले स्तर पर होना भी है। बैंक और गैर-बैंकिंग क्षेत्र बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सबसे सस्ती दरें देने की होड़ में लगे हुए हैं। यह कम ब्याज दर वैश्विक महामारी से निपटने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा प्रणाली में डाली गई तरलता का नतीजा है।
कम ब्याज दरों के अलावा प्रॉपर्टी की स्थिर कीमतों और केंद्र सरकार के साथ-साथ विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की गई विशेष रियायतों ने आवास ऋण की मांग को सहायता प्रदान की है। आवास ऋण की यह मांग खास तौर पर पहली बार खरीदने वालों के साथ-साथ उन लोगों द्वारा प्रेरित है, जो प्रॉपर्टी को और बढ़ाना चाहते हैं। भौगोलिक रूप से देखें, तो आवास ऋण की यह मांग महानगरों और गैर-महानगरों दोनों ही क्षेत्रों से आ रही है। और अगर किसी को खंडों के लिहाज से देखना हो, तो मांग किफायती आवास के साथ-साथ महंगे बाजारों से संचालित की जा रही है। ऋणदाता ने एक बयान में कहा है कि आवास के लिए अब भी 50 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये का कीमत दायरा मुफीद है।
वैश्विक महामारी की दूसरी और तीसरी लहर अपने चरम पर होने के बावजूद डिजिटल की दिशा में जोर दिए जाने से ऋणदाता ने इस साल मंजूर किए गए ऋण में 30 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की है। ऋणदाता ने कहा कि आज 89 प्रतिशत से अधिक खुदरा ऋण ऑनलाइन लिए जाते हैं, जो कोविड-19 महामारी से पहले के 20 प्रतिशत से भी कम वाले स्तर के मुकाबले ज्यादा हैं।
दिसंबर तिमाही तक एचडीएफसी लिमिटेड का व्यक्तिगत आवास ऋण लेखा-बही सालाना आधार पर 16 प्रतिशत तक की वृद्धि के साथ बढ़कर 4.08 लाख करोड़ रुपये हो गया। गिरवी रखकर ऋण प्रदान करने के क्षेत्र में सबसे बड़े भागीदारों में से एक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने दिसंबर तिमाही के अंत में आवास ऋण में 11.15 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया था। एसबीआई के पास पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक के आवास ऋण का लेखा-बही है। इसी तरह आईसीआईसीआई बैंक को अपने गिरवी पोर्टफोलियो में 23 प्रतिशत की वृद्धि नजर आई है और यह बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
एचडीएफसी लिमिटेड की प्रबंध निदेशक रेणु सूद कर्नाड ने कहा कि साढ़े चार से अधिक के दशक में उन्होंने कम ब्याज दरों, प्रॉपर्टी की स्थिर कीमतों, किफायती आवास पर सरकार के जोर, बेहतर सामथ्र्य, अनुकूल जनसांख्यिकी, बढ़ते शहरीकरण और बढ़ती आकांक्षाओं के कारण आवास क्षेत्र के लिए अब से बेहतर वक्त नहीं देखा है। उन्होंने कहा कि आवास पर सरकार का जोर इस बात की तस्दीक करता है कि बड़ी युवा आबादी वाले भारत जैसे तेजी से बढ़ते देश को किफायती दामों पर ज्यादा घरों की जरूरत है, जो और अधिक परिवारों को घर के मालिक बनने में सक्षम करेगा।