अमेरिका का सिटीबैंक भारत में अपना उपभोक्ता बैंकिंग कारोबार बंद कर सकता है। सिटीबैंक भारत में परिसंपत्ति एवं मुनाफे के लिहाज से सबसे बड़ा विदेशी बैंक है। समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग में 20 फरवरी को एक सूत्र के हवाले से खबर दी गई थी कि बैंक दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, फिलीपींस और ऑस्ट्रेलिया सहित एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपने खुदरा बैंकिंग कारोबार में कुछ इकाइयां बेचना चाहता है। हालांकि इस रिपोर्ट में भारत का जिक्र नहीं था, लेकिन भारत से बाहर के सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि सिटीबैंक भारत में भी अपना खुदरा कारोबार समेटने पर विचार कर सकता है। सूत्रों ने कहा कि सिटीबैंक आने वाले महीनों में इस पर निर्णय ले सकता है।
जेम फ्रेजर 1 मार्च से सिटीबैंक की कमान संभालने जा रही हैं। बैंक के अंतरराष्ट्रीय कारोबार का पुनर्गठन उनकी कारोबारी प्राथमिकताओं में शामिल है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को ई-मेल से भेजे जवाब में सिटी इंडिया कारोबार में सार्वजनिक मामलों के अधिकारी देवाशिष घोष ने बताया, ‘हमारी नई मुख्य कार्याधिकारी ने जनवरी में स्पष्ट कर दिया था कि बैंक अपने विभिन्न कारोबारों के साथ अपनी रणनीति की समीक्षा कर रहा है। हम इस बात का भी आकलन करेंगे कि हमारे विभिन्न कारोबारों का एक दूसरे के साथ तालमेल कैसा रहा है। फिलहाल कई विकल्पों पर विचार हो रहा है और किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले पर्याप्त समय लिया जाएगा।’
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि उपभोक्ता वित्त कारोबार के हिस्से के तौर पर क्रेडिट कार्ड कारोबार भी बेचा जाएगा या बैंक इसे अपने पास ही रखेगा। सूत्रों के अनुसार सिटीबैंक फिलहाल किसी जल्दबाजी में नहीं है और अधिक से अधिक कीमत पाने के लिए सभी उपायों पर गौर सकता है। सूत्रों ने कहा कि अगर बैंक को लगेगा कि क्रेडिट कार्ड कारोबार में बने रहना फायदेमंद है तो वह इसे नहीं बेचेगा।
चूंकि, सिटी किसी दबाव में आकर खुदरा कारोबार नहीं बेच रहा है, इसलिए खरीदारों की कोई कमी नहीं होगी। भारत में बैंकिंग क्षेत्र पर नजर रखने वाले एक विश्लेषक ने बताया कि खासकर अगर खुदरा कारोबार के साथ सिटीबैंक क्रेडिट कार्ड कारोबार भी निपटाता है तो उसे खरीदार खोजने में परेशानी नहीं होगी। फ्रेजर अमेरिका के इस दिग्गज बैंक की पहली महिला सीईओ होंगी। इससे पहले लैटिन अमेरिका में बैंक के कारोबार प्रमुख रहते उन्होंने ब्राजील, अर्जेंटीना और कोलंबिया में सिटी का बैंकिंग एवं क्रेडिट कार्ड कारोबार बेच दिया था। इसी सप्ताह आनंद सेल्वाकेसरी सिटीबैंक के ग्लोबल कंज्यूमर बैंकिंग के सीईओ के तौर पर कमान संभालने जा रहे हैं। सेल्वाकेसरी ने एक दशक पहले उपभोक्ता बैंकिंग के प्रमुख के तौर पर भारत में सिटी के क्रेडिट कार्ड कारोबार को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई थी।
वर्ष 2012 में 21 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ सिटीबैंक भारत में के्रडिट कार्ड जारी करने वाला दूसरा सबसे बड़ा बैंक था और इसका प्रति कार्ड व्यय क्रेडिट कार्ड कारोबार के औसत का दोगुना था। ई-कॉमर्स पर के्रडिट कार्ड से होने वाले व्यय में भी सिटीबैंक के कार्ड की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी हुआ करती थी।
हालांकि 2020 आते-आते इसकी बाजार हिस्सेदारी फिसल कर 6 प्रतिशत रह गई और क्रेडिट कार्ड कारोबार में यह फिसल कर छठे पायदान आ आ गया। यह अलग बात थी कि इसके क्रेडिट कार्ड से हो रहे लेनदेन इस कारोबार के औसत से 1.4 गुना अधिक रहे।
अगस्त 2020 में भारत में सिटीबैंक के साथ 29 लाख खुदरा ग्राहक जुड़े थे। इनमें 12 लाख बैंक खाताधारक और 22 लाख क्रेडिट कार्ड धारक थे। 119 वर्ष पुराने इस बैंक की भारत में 35 शाखाएं हैं और यहां 19,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। ज्यादातर कर्मचारी सिटीकॉर्प सर्विसेस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का हिस्सा हैं। यह एक आउटसोर्सिंग केंद्र है जो विभिन्न देशों में कारोबारी जरूरतें पूरी करने में सिटीबैंक की मदद करता है।
भारत में सिटीबैंक की सिटीकॉर्प फाइनैंस (इंडिया) लिमिटेड नाम से एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी भी है। एक और इकाई सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड इसकी निवेश बैंकिंग इकाई है। वर्ष 2013-14 में सिटीबैंक ने खुदरा कारोबार पर केंद्रित अपनी इकाई सिटीफाइनैंशियल कंज्यूमर फाइनैंस का विलय अपने साथ कर लिया था और व्यावसायिक ऋणों पर केंद्रित सिटीकॉर्प फाइनैंस का गठन किया था।
मार्च 2020 में सिटीबैंक के बहीखाते में 2.19 लाख करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियां थीं और इसे 4,918 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था। हालांकि बैंक के कारोबार में खुदरा कारोबार की हिस्सेदारी लगातार कम हो रही है और निगमित ऋण कारोबार का योगदान बढ़ रहा है। सिटीबैंक के कुल राजस्व में भी खुदरा कारोबार की हिस्सेदारी कम हो रही है। मार्च 2020 के अंत तक खुदरा बैंकिंग का कुल राजस्व में योगदान 30.6 प्रतिशत रहा था, जो 2012-13 में 37.38 प्रतिशत और 2009-10 में 39.19 प्रतिशत रहा था।
सिटीबैंक के खुदरा कारोबार बंद करने से इस सोच को और मजबूती मिलेगी कि वैश्विक बैंकों की अपने देश से बाहर खुदरा बाजारों में भूमिका सीमित है। विश्लेषकों का मानना रहा है कि तकनीक एवं नवाचार पर मोटा निवेश किए बिना उनके लिए अपने देश के बाहर खुदरा कारोबार में पैठ बनाना आसान नहीं है।
भारत में वैश्विक बैंकों के लिए एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड, ऐक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा से लोहा लेना आसान नहीं है। ये सभी देसी बैंक अपनी पैठ तेजी से बढ़ा रहे हैं और तकनीक के अधिक से अधिक इस्तेमाल के साथ वे नए उत्पादों के साथ ग्राहक जोड़ते रहते हैं।