भारत में निवेशक बैंकों में अपनी राशि जमा कराने की और ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। निवेशकों का शेयर बाजार की खस्ता हालत के बीच बैंकों की तरफ आकर्षित होने का कारण स्थायित्व और डिपॉजिट पर मिलनेवाली अधिक ब्याज दरें हैं।
शुक्रवार को जारी किए गए रिजर्व बैंक के आंकडों के अनुसार बैंक डिपॉजिट में अगस्त में 15 तारीख तक के दो सप्ताहों में 21.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उद्योग जगत केबडे ख़िलाड़ियो केअनुसार बैंकों द्वारा दिए जानेवाले आकर्षक रिटर्न के कारण फिक्स्ड डिपॉजिट, बचत और चालू खातों में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
आईसीआईसीआई बैंक के कार्यकारी निदेशक वी वैद्यनाथन का कहना है कि मौजूदा समय में खुदरा क्षेत्र में संपत्ति की तुलना में कर्जों के ज्यादा तेजी से बढने के आसार हैं। वैद्यनाथन ने कहा कि देश के दूसरे सबसे बड़े कर्जदाता बैंक आईसीआईसीआई के बचत खाता बैलेंस में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
दूसरी और यस बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी राणा कपूर का कहना है कि जमा पर दी जा रही वास्तविक ब्याज दर महंगाई के जोर पकड लेने के बाद ज्यादा नहीं है। कपूर ने साथ ही कहा कि महंगाई के इस दौर में जमाओं पर दी जा रही इस तरह की ब्याज दर असामान्य है।
इधर अगस्त के लगातार दूसरे सप्ताह महंगाई की दरों में गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 12.34 प्रतिशत रह गई लेकिन पिछले साल इसी समय की तुलना में यह 3.94 प्रतिशत अधिक है और अर्थशास्त्रियों के अनुसार रिजर्व बैंक के कड़ी मौद्रिक नीतियों में कोई नरमी नहीं देखी गई।
मालूम हो कि रिजर्व बैंक ने इस साल जून और जुलाई के महीनों में मुख्य ब्याज दरों में तीन बार बढ़ोतरी की जो पिछले सात सालों के सर्वश्रेष्ठ स्तर यानी कि 9 प्रतिशत तक पहुंच गई। पंजाब नेशनल बैंक के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के सी चक्रवर्ती के अनुसार अब जबकि महंगाई 12 प्रतिशत के स्तर पर है तो हमें बचतकर्ताओं को इन प्रतिकूल हालात में अपनी बचत में बढ़ोतरी के लिए भरपाई करने की आवश्यकता है।
निजी क्षेत्र के बैंक इंडसइंड बैंक के कार्यकारी उपाध्यक्ष जे मॉसेस हार्डिंग का कहना है कि बाजार में जब अनिश्चितता का माहौल रहता है, तब उस समय बैंक की डिपॉजिट में तेजी देखने को मिलती है। मौजूदा समय में लगभग सभी फिक्स्ड डिपॉजिट मैच्योरिटी पर औसतन ब्याज दर सालाना 10 प्रतिशत के आसपास है।
हालांकि जमा पर ऊंची ब्याज दरों के बाद भी बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर किसी तरह का प्रभाव पडने की संभावना नहीं दिखाई पड रही है क्योंकि उद्योग जगत की ओर से कर्ज की जबरदस्त मांग के कारण बैंक जमा पर दिए जा रहे ब्याज की भरपाई आराम से कर लेते हैं।
हार्डिंग का कहना है कि अंतत: कर्ज की मांग में तेजी से बढ़ोतरी से डिपॉजिट में भी बढ़ोतरी होगी और साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर बैंकों को ज्यादा फंड की जरूरत नहीं होगी तो उस परिस्थिति में बैंक अपनी डिपॉजिट दरों को समायोजित कर लेंगे। हाल में चिदंबरम ने भी बैंकों से जमा पर गौर करने के लिए कहा था।