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20 लाख ऑटोपे ई-मैंडेट हुए पंजीकृत

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 11:56 PM IST

 
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नए नियमों के हिसाब से आवर्ती भुगतानों के लिए करीब 20 लाख ई-मैंडेट का पंजीकरण हुआ है। इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 1 अक्टूबर से ई-मैंडेट के पंजीकरण, विलोपन या संशोधन के लिए अतिरिक्त कारक प्रमाणीकरण (एएफए) को अनिवार्य कर दिया था।
उद्योग का अनुमान है कि कुल लेनदेन की संख्या में आवर्ती लेनदेन की हिस्सेदारी 2.5 फीसदी है और मूल्य के संदर्भ में यह हिस्सेदारी करीब 1.5 फीसदी है। इनमें से घरेलू आवर्ती लेनदेनों का करीब 75 फीसदी और करीब 85 फीसदी अंतरराष्ट्रीय आवर्ती भुगतान 5,000 रुपये से नीचे है।     
अगस्त में क्रेडिट कार्ड से किए जाने वाले लेनदेनों की संख्या 1.9 करोड़ रही और डेबिट कार्ड से होने वाले लेनदेनों की संख्या 35.85 करोड़ रही। मूल्य के संदर्भ में क्रेडिट कार्ड के जरिये 77,732.94 करोड़ रुपये के लेनदेन हुए और डेबिट कार्ड से 64,351.52 करोड़ रुपये के लेनदेन हुए।
अधिकांश आवर्ती भुगतान क्रेडिट कार्डों से जुड़े हैं जबकि अधिकतर जगहों पर डेबिट कार्डों के लिए ऐसी सुविधा मौजूद नहीं है। दोनों को जोडऩे पर देश में आवर्ती भुगतानों की संख्या करीब 94.4 लाख हो सकती है लेकिन यह अनुमान कुछ अधिक प्रतीत होता है क्योंकि अधिकांश डेबिड कार्डों में इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा होने की संभावना कम है।
विशेषज्ञों के मुताबिक एक महीने में 20 लाख मैंडेट हासिल करने का यह भी संकेत है कि कुछ ही महीनों में शुरुआती दिक्कतों को दूर किया जा सकता है विशेष तौर पर पंजीकरण एक बार की प्रक्रिया है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि अधिकांश बड़े बैंक और कार्ड नेटवर्क पूरी तरह से रिजर्व बैंक के नियमों को अनुपालन करते हैं जबकि बाकी इस प्रक्रिया में लगे हुए हैं और शीघ्र वे ऐसा करने लगेंगे।   
भारतीय स्टेट बैंक, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, येस बैंक, अमेरिकन एक्सप्रेस, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईसीआईसीआई बैंक, एचएसबीसी, आरबीएल बैंक, इंडसइंड बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक ने अपने ग्राहकों के लिए ई-मैंडेट तंत्र को लागू कर दिया है और यह सुचारू रूप से काम कर रहा है।
केनरा बैंक, पंजाब नैशनल बैंक और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक नए नियमों के मुताबिक ई-मैंडेट आधारित लेनदेनों की अनुमति देने के लिए जरूरी प्रणालीगत बदलाव कर रहे हैं।      
रेजरपे, बिलडेस्क और पेयू जैसे सेवा प्रदाता ऐसे समाधानों के साथ सामने आए हैं जो कार्ड जारीकर्ताओं, ग्राहकों और व्यापारियों के लिए मददगार हैं। बिलडेस्क ने इसके लिए एसआई हब स्थापित किया है, पेयू ने जियोन की रचना की है और रेजरपे ने मैंडेटएचक्यू को विकसित किया है।
लेकिन कुछ छोटी मोटी चुनौतियां हैं। बैंकिंग से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि बिल डेस्क और रेजरपे जैसे सेवा प्रदाताओं ने अपना प्लेटफॉर्म विकसित किया है और सभी जारीकर्ताओं को इन समाधानों पर साइन अप करना होगा क्योंकि व्यापारी ऐसे कई सारे समाधानों से जुड़े हुए हैं।

First Published : October 27, 2021 | 11:19 PM IST