जनवरी 2008 में सेबी ने ऐलान किया था कि असेट मैनेजमेंट कंपनी के पास सीधे जाकर निवेश करने से उस व्यक्तिगत निवेशक को एंट्री लोड नहीं देना होगा।
लेकिन हाल में रिपोर्ट थी कि एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (एम्फी) ने फंड हाउसों को इस तरह सीधे हो रहे निवेश पर ट्रेल कमीशन वसूलने की मंजूरी दे दी है। कृपया समझाएं ये ट्रेल कमीशन क्या होता है और यह किस दर से वसूला जाता है?
संजीव तलवार
ट्रेल कमीशन या लॉयल्टी कमीशन एक शुल्क है जो फंड इन्वेस्टमेंट वैल्यू (जो फंड में हुआ है) पर डिस्ट्रीब्यूटर को देता है। यह ट्रेलिंग कमीशन इक्विटी फंड के लिए 0.25 से 0.75 फीसदी सालाना के बीच होता है। डेट फंड के लिए एडवाइजरों को कमीशन ट्रेल कमीशन के रूप में ही मिलता है।
यह कमीशन अमूमन हर तिमाही दिया जाता है। ट्रेल कमीशन एडवाइजर या एजेंट को पहले निवेश के वक्त दिया जाता है। लेकिन सीधे निवेशक के लिए यह भी संभव है कि वह अपने निवेश के लिए एक एडवाइजर को इंट्रोडयूस करे जो उसके बिना लोड वाले निवेश के बाद कमीशन लेने का हकदार होगा।
मैं विभिन्न गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) में फर्क समझना चाहता हूं? जैसी कि मेरी जानकारी है इन फंडों की एनएवी एक ग्राम सोने की कीमत प्रदर्शित करती है। इनके एनएवी में ये फर्क क्यों होता है?
विट्ठल कुलकर्णी
बाजार में उपलब्ध विभिन्न तरह के गोल्ड ईटीएफ में शायद की कोई फर्क होता है क्योंकि इनका स्ट्रक्चर एक जैसा ही होता है। सभी फंड फिजिकल रूप में सोना रखते हैं। साथ ही इनकी एनएवी सोने के भाव (करीब-करीब) को प्रदर्शित करती है।
क्वांटम गोल्ड ईटीएफ के डिनॉमिनेशन अलग अलग होते हैं क्योकि हर यूनिट आधे ग्राम सोने की कीमत प्रदर्शित करती है। बाकी फंड में एक यूनिट एक ग्राम सोने का मूल्य प्रदशित करती है।
गोल्ड ईटीएफ की एनएवी मामूली रूप से अलग अलग होती हैं और यह इनके ऑपरेटिंग खर्चों और कैश कंपोनेंट की वजह से होता है।
शेयर बाजार की गिरावट के दौरान इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) के रिटर्न नेगेटिव हो गए हैं। टैक्स बचाने के लिए निवेश की बेहतर रणनीति क्या होगी, कम वैल्यू पर ईएलएसएस के यूनिटों की खरीद या फिर लंबे समय के लिए बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम में पैसा लगाना?
ई जे फोन्सेका
बाजार की मौजूदा मंदी में ईएलएसएस फंड समेत सभी इक्विटी फंडों को झटका लगा है। कंजरवेटिव निवेशक जो शार्ट टर्म का पूंजीगत नुकसान नहीं बर्दाश्त कर सकते, उनके लिए कर बचत वाले निवेश के लिहाज से पांच साल की बैंक एफडी मुनासिब होगी।
हालांकि निवेशक जो लांग टर्म ग्रोथ तलाश रहे हैं और बाजार के उतार चढ़ाव को बर्दाश्त कर सकते हैं, उनके लिए ईएलएसएस फिर भी आकर्षक होगी। ये फंड लंबे समय में अच्छे रिटर्न दिलाने का भरोसा देते हैं। ऐसे में ईएलएसएस एकमात्र इक्विटी टैक्स बचत वाला निवेश हो सकता है।
कोई भी म्युचुअल फंड खर्चों के नाम पर कितना पैसा काटता है और वास्तव में शेयर में कितना हिस्सा निवेश किया जाता है। मिसाल के लिए अगर हम किसी फंड में (एंट्री लोड से बचने के लिए सीधे निवेश किया जाए और माना जाए कि उसमें कोई एक्जिट लोड नहीं है)
एक लाख रुपए का निवेश करते हैं और फंड अपने कुल पैसे का टाटा पावर के शेयरों में तीन फीसदी लगाता है तो क्या मेरे तीन हजार रुपए टाटा पावर के शेयरों में लगेंगे?
विक्रांत
एंट्री और एक्जिट लोड के अलावा, असेट मैनेजमेंट कंपनी सालाना खर्च भी वसूलती है जो इक्विटी फंडों के लिए ज्यादा से ज्यादा 2.25 फीसदी होता है। यह फीस रोजाना की एनएवी से उसी अनुपात में काटी जाती है।
इस खर्च में असेट मैनेजमेंट कंपनी को निवेश सलाहकार और कस्टोडियन, रजिस्ट्रार और ऑडिटर फीस और मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन जैसे ऑपरेटिंग खर्च शामिल होते हैं। इसके अलावा सिक्योरिटी खरीदने के लिए दी गई दलाली जैसे खर्च भी शामिल होते हैं।
आपके उदाहरण में अगर हम एंट्री और एक्जिट लोड को छोड़ भी दें और मानें कि आपने एक लाख का निवेश किया है तो सालाना आधार पर खर्च आनुपातिक रूप से घटाकर बाकी का पैसा फंड में लगा दिया जाएगा। उस स्टॉक में आपका एक्सपोजर उतना ही होगा, जितना कि फंड के पोर्टफोलियो में बताया गया है।
क्या डिविडेंड रिइन्वेस्टमेंट ऑप्शन के तहत मिले यूनिट पर एक्जिट लोड लगेगा? और क्या इन पर कैपिटल गेन टैक्स लगेगा अगर हम सारे यूनिट एक साल से पहले रिडीम कर लें? हम खासकर इक्विटी स्कीमों के बारे में जानना चाहते हैं।
मिसाल के लिए मैंने अप्रैल 2007 में एक स्कीम में डिविडेंड रिइन्वेस्टमेंट ऑप्शन के तहत 5000 रुपए का निवेश किया था। इसके बाद हमें दो बार अतिरिक्त यूनिट मिले, चूंकि फंड ने दो बार डिविडेंड घोषित किया था। अगर हम एक बार में अपना पैसा निकाल लें तो कैपिटल गेन्स टैक्स किस तरह से लगेगा?
विग्नेश कुमार एस
सेबी के हाल के दिशानिर्देशों के मुताबिक बोनस यूनिट के एलॉटमेंट और रिइन्वेस्टमेंट पर कोई एंट्री और एक्जिट लोड नहीं लगेगा। अगर आप सारे यूनिट (कुल) एक साल के भीतर रीडीम करते हैं तो आपको लाभ पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन देना होगा।
डिविडेंड रीइन्वेस्टमेंट में मिले यूनिट और इस पर लाभ पर भी टैक्स लगेगा अगर वक्त एक साल से कम हुआ हो। इक्विटी आधारित फंडों में शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 15 फीसदी की दर से लगता है जबकि लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्री होता है।
मैं एचडीएफसी टैक्स सेवर फंड (डिविडेंड रीइन्वेस्टमेंट) में एसआईपी के जरिए निवेश कर रहा हूं। क्या मैं आयकर की धारा 80 सी के तरह रीइन्वेस्ट किए डिविडेंड के मूल्य के बराबर रकम पर टैक्स रिबेट ले सकता हूं?
दिलीप कसेरा
जी हां, आप ईएलएसएस में रीइन्वेस्ट किए डिविडेंड पर टैक्स रिबेट का लाभ ले सकते हैं। यह उसी वित्त वर्ष में करना होगा जिसमें आपको डिविडेंड मिला है।
ईएलएसएस इक्विटी फंड है और इसका डिविडेंड टैक्स फ्री होता है। लिहाजा, डिविडेंड को टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट में लगाकर आयकर की धारा 80 सी के तहत रिबेट का क्लेम किया जा सकता है।