वित्त-बीमा

नैबफिड का डेटा सेंटर के लिए 2,000 करोड़ का ऋण

एक सार्वजनिक बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बुनियादी ढांचे के लिए धन मुहैया कराने वाले सरकारी ऋणदाता नैबफिड ने ऋण दिया है।

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जेडेन मैथ्यू पॉल   
अभिजित लेले   
Last Updated- February 05, 2025 | 11:13 PM IST

राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण और विकास बैंक (नैबफिड) ने नवी मुंबई के महापे में 120 मेगावॉट का डेटा सेंटर बनाने वाली ग्रैमरसी टेकपार्क प्राइवेट लिमिटेड को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण दिया है। यह नवी मुंबई में ब्लैकस्टोन समर्थित दूसरा ऐसा डेटा सेंटर होगा। इस सेंटर में निर्माण कार्य मौजूदा कैलेंडर वर्ष (2025) के मध्य में शुरू होने उम्मीद है। 

एक सार्वजनिक बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बुनियादी ढांचे के लिए धन मुहैया कराने वाले सरकारी ऋणदाता नैबफिड ने ऋण दिया है। अब वह इसमें अन्य ऋणदाताओं को शामिल कर रहा है ताकि अपने ऋण की हिस्सेदारी को कम कर सके। डेटा सेंटर कंपनी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब नहीं दिया। 

जांच-पड़ताल के तहत इस ऋणदाता ने डेटा केंद्र के इस्तेमाल संभावनाओं पर भी नजर रखी है ताकि यह देखा जा सके कि कंपनी के पास पुनर्भुगतान के लिए पर्याप्त नकदी का प्रवाह रहेगा या नहीं। बैंक अधिकारी ने बताया कि उसने बिजली आपूर्ति समझौतों पर भी नजर रखी है। 

कई हाइपरस्केलर्स (बड़ी क्षमता वाले डेटा सेंटर) ने किराएदारों से साव​धि समझौते किए हैं और इससे यह पता चलता है कि किराए से निरंतर धन आपूर्ति होती रहेगीे। क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार डेटा सेंटर कंप्यूटिंग और भंडारण आधारभूत ढांचे की मांग को पूरा करते हैं। 

यह मांग मुख्य रूप से दो स्रोतों से आती है। एक, वे उद्यमी जो अपने बिजनेस को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर तेजी से लेकर आ रहे हैं। इसमें कोविड 19 महामारी के बाद क्लाउड की तरफ बढ़ता रुझान भी शामिल है। दूसरा, हाई स्पीड डेटा की पहुंच बढ़ने के कारण इंटरनेट इस्तेमाल में इजाफा हुआ है। इसमें सोशल मीडिया, ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म और डिजिटल भुगतान भी शामिल हैं।

आमतौर पर ऐसे डेटा सेंटर परियोजनाओं के लिए ऋण और इक्विटी का अनुपात करीब 80:20 होता है। यह गहन पूंजी वाली परियोजनाएं होती हैं जिनमें काफी ऑटोमेटेड सेटअप होते हैं। इन परियोजनाओं से रोजगार का सृजन न्यूनतम होता है और आर्थिक गतिविधियां बढ़ने के लिहाज से आसपास के पारिस्थितिकीतंत्र को सीमित लाभ होता है। क्रिसिल के अनुसार डेटा सेंटरों की बढ़ती मांग के कारण इनमें अगले तीन वित्त वर्षों में 55,000 से 65,000 करोड़ रुपये निवेश की जरूरत है। 

यह खर्च मुख्य तौर पर भूमि व इमारत, बिजली के उपकरणों और कूलिंग सोल्यूशंस पर होता है। डेटा सेंटर ऑपरेटर आमतौर पर कुल पूंजीगत व्यय का 25 से 30 फीसदी भूमि व इमारत के आधारभूत ढांचे पर खर्च करते हैं। 

First Published : February 5, 2025 | 11:13 PM IST