राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े एक साप्ताहिक अखबार ने लोक सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खराब प्रदर्शन के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से गठबंधन के उसके फैसले को जिम्मेदार ठहराया है। अखबार में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि भाजपा के अजित पवार के नेतृत्व वाले राकांपा गुट से हाथ मिलाने के बाद जनभावनाएं पूरी तरह से पार्टी के खिलाफ हो गईं।
लेख के मुताबिक, उसने भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों से बात की और इन सभी ने कहा कि वे राकांपा से हाथ मिलाने के पार्टी के फैसले से सहमत नहीं थे। अखबार ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच व्याप्त असंतोष को ‘कम करके आंका गया।’ उसने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में बेहतर समन्वय और शासन एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया में कार्यकर्ताओं को दिए गए महत्व ने राज्य की लोक सभा सीटों पर जीत दर्ज करने में भाजपा की मदद की।
वर्ष 2024 के लोक सभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा की सीटों की संख्या पिछले चुनाव में 23 के मुकाबले घटकर नौ हो गई। वहीं, महायुति के उसके गठबंधन सहयोगियों-एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना को सात, जबकि अजित पवार नीत राकांपा को महज एक सीट से संतोष करना पड़ा। दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) ने अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए महाराष्ट्र की 48 लोक सभा सीटों में से 30 पर कब्जा जमाया। एमवीए में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राकांपा (शरद चंद्र पवार) और कांग्रेस शामिल हैं।
आरएसएस से जुड़े साप्ताहिक अखबार ‘विवेक’ ने मुंबई, कोंकण और पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र में 200 से अधिक लोगों पर की गई अनौपचारिक रायशुमारी के आधार पर यह लेख प्रकाशित किया।
लेख में कहा गया है, ‘भाजपा या संगठन (संघ परिवार) से जुड़े लगभग हर व्यक्ति ने कहा कि वह राकांपा (अजित पवार के नेतृत्व वाले) के साथ गठबंधन करने के भाजपा के फैसले से सहमत नहीं है। हमने 200 से अधिक उद्योगपतियों, व्यापारियों, चिकित्सकों, प्रोफेसर और शिक्षकों की राय जानी। इन सभी ने माना कि भाजपा-राकांपा गठबंधन को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में व्याप्त असंतोष को कम करके आंका गया।’
लेख के अनुसार, एक-दूसरे से छोटी-मोटी शिकायतों के बावजूद हिंदुत्व के साझा सूत्र के चलते शिवसेना के साथ भाजपा के गठबंधन को हमेशा स्वाभाविक माना जाता है। लेख में कहा गया है कि लोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ एमवीए के तत्कालीन मंत्री एकनाथ शिंदे की बगावत स्वीकार कर ली थी। यह बगावत उद्धव सरकार के गिरने का कारण बनी थी।