लोकसभा चुनाव

लोक सभा चुनाव 2024: अजीत पवार की पत्नी को समर्थन देने नहीं आए PM मोदी, सुप्रिया सुले से है मुकाबला

बारामती में पारिवारिक कलह और अन्य कारणों से प्रभावित चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी करिश्माई साबित नहीं हो सकते हैं।

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अभिजित लेले   
Last Updated- May 05, 2024 | 10:48 PM IST

बारामती में अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रचार अभियान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूर नजर आ रहे हैं। इस सीट अजीत की पत्नी सुनेत्रा अपनी ननद और राकांपा (शरद गुट) की मौजूदा सांसद सुप्रिया सुले से मुकाबले में हैं। बारामती में पारिवारिक कलह और अन्य कारणों से प्रभावित चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी करिश्माई साबित नहीं हो सकते हैं।

एक ओर शरद पवार की विरासत और बारामती से सांसद के तौर पर सुप्रिया सुले के पिछले तीन कार्यकालों में जमीनी कार्य बनाम सहकारी समितियों पर अजीत पवार का प्रभाव देखने को मिल रहा है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, हाल के दिनों में खेली गई शातिर राजनीति से यहां के लोगों का मोहभंग हो गया है। इसका असर 7 मई को होने वाले मतदान में भी देखने को मिल सकता है। पिछले हफ्ते पुणे में एक सभा के दौरान प्रधानमंत्री ने शरद पवार को भटकती आत्मा और बेचैन आत्मा बताया था, जो बारामती में सुले के कार्यकर्ताओं और अजीत के समर्थकों के साथ अच्छा नहीं साबित हुआ। शरद पवार ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी आत्मा अपने लिए नहीं बल्कि किसानों को होने वाली परेशानियों के लिए बेचैन है।

मुख्य तौर पर खेती पर आधारित अर्थव्यवस्था अब आईटी और अन्य सेवा उद्योग की वृद्धि के कारण पुणे महानगरीय क्षेत्र की लगातार बढ़ रही सीमा के साथ इसकी स्थिति को भी बदल रही है। अब यहां के लोगों अच्छी सड़कों की बातें करते हैं।

राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे बसे लोगों का कहना है कि उन्हें जमीन की बढ़ती कीमतों और सड़क किनारे होटल, रेस्तरां और छोटे-छोटे कियोस्क के जरिये अपनी आय का स्रोत बढ़ने से फायदा मिला है। साथ ही लोग शासन के गिरते मानकों को लेकर भी मुखर हो रहे हैं जो महायुति सरकार के विरोधाभासों को दर्शाती है।

सातारा राजमार्ग को सासवड से जोड़ने वाली सड़क के किनारे बसे लोग सासवड के पुरंदर हवाई अड्डे को लेकर भी आक्रोशित हैं। उनके लिए यह एक आईटी हब और कुशल लोगों के नौकरियों और रोजगार के अवसर खोने का एक कारण है। एक चाय दुकानदार ने कहा, ‘यह स्पष्ट तौर पर नागरिक उड्डयन से संबंधित मसला है, जो केंद्र सरकार के अधीन आता है।’ चाय दुकानदार का मानना है कि इस क्षेत्र पर सांसद को ध्यान देना चाहिए।

पुणे के बाहरी इलाके के एक कस्बाई क्षेत्र में सुले अपने भाषण में अपने पिता की विरासत, किसानों की चिंताएं और निर्वाचन क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों को गिनवा रहीं हैं। इस दौरान उन्होंने पारिवारिक कलह के बारे में कुछ नहीं कहा।

महायुति के घटक दलों के भीतर कलह तब स्पष्ट हो गया पुरंदर विधानसभा क्षेत्र से शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता विजय शिवतारे और अजीत पवार के एक प्रतिद्वंद्वी ने उम्मीदवार के तौर पर अपना ताल ठोका।

हालांकि, बाद में प्रदेश के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत के बाद वह चुनावी मैदान से पीछे हट गए और संघर्ष रोकने पर भी सहमत हो गए। मगर यह भी सच्चाई है कि भाजपा के पास यहां मजबूत संगठन का अभाव है। राकांपा (अजित पवार गुट) के प्रचार कार्यालय के पास खड़े एक आरएसएस के कार्यकर्ता ने कहा कि संगठन ने उन्हें महायुति उम्मीदवार के साथ रहने की सलाह दी है। मगर उन्हें किसके लिए प्रचार करना है इस बारे में अब तक कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया गया है।

First Published : May 5, 2024 | 10:48 PM IST