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10 साल बाद चुनावी राजनीति में लौटे कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर-1 से नामांकन दाखिल किया

विजयवर्गीय अपने 40 साल लम्बे सियासी करियर में अब तक कोई भी चुनाव नहीं हारे हैं।

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भाषा   
Last Updated- October 30, 2023 | 7:55 PM IST

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने 10 साल के लम्बे अंतराल के बाद चुनावी राजनीति में औपचारिक वापसी करते हुए इंदौर-1 विधानसभा सीट से सोमवार को पर्चा भरा। विजयवर्गीय भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ रैली के रूप में जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और नामांकन दाखिल किया।

इससे पहले, उन्होंने अपनी पत्नी आशा विजयवर्गीय के साथ खजराना गणेश मंदिर में पूजा-अर्चना की। पर्चा दाखिल करने के दौरान विजयवर्गीय ने संवाददाताओं से कहा,‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हुए विकास के कारण पूरे मध्यप्रदेश में भाजपा की लहर है। हमें पूरा विश्वास है कि हम विधानसभा चुनावों में दो तिहाई बहुमत हासिल करके सूबे में फिर से अपनी सरकार बनाएंगे।’’

विजयवर्गीय अपने 40 साल लम्बे सियासी करियर में अब तक कोई भी चुनाव नहीं हारे हैं। वह इंदौर जिले की अलग-अलग सीटों से 1990 से 2013 के बीच लगातार छह बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। इस बार इंदौर-1 सीट से चुनावी मैदान में उतरे विजयवर्गीय की मुख्य टक्कर कांग्रेस के मौजूदा विधायक संजय शुक्ला से है। शुक्ला इस सीट से पहले ही अपना नामांकन दाखिल कर चुके हैं।

पर्चा भरने की आखिरी तारीख 30 अक्टूबर (सोमवार) को उन्होंने अपनी पत्नी अंजलि शुक्ला से भी नामांकन दाखिल कराकर सियासी समीक्षकों को चौंका दिया। इस बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस विधायक शुक्ला ने कहा,‘‘मुझे लगता है कि कहीं साजिश के तहत मेरा नामांकन निरस्त न करा दिया जाए, इसलिए मैंने अपनी पत्नी का पर्चा भी दाखिल कराया है।’’

शुक्ला ने भाजपा पर आरोप लगाया कि इंदौर-1 क्षेत्र में कुकर और साड़ियां जैसी चीजें बांटकर मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित किया जा रहा है। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता आलोक दुबे ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि अपनी हार के पूर्वाभास से शुक्ला बौखला गए हैं। कुल 3.64 लाख मतदाताओं वाले इंदौर-1 सीट के चुनावी समर में एक और दिलचस्प मोड़ आ गया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारकों की नवगठित ‘‘जनहित पार्टी’’ के प्रमुख अभय जैन ने भी इस सीट से पर्चा भर दिया है। हालांकि, इस दल को फिलहाल निर्वाचन आयोग की ओर से चुनाव चिन्ह नहीं मिला है और इसकी ओर से विधानसभा चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार उतारे जा रहे हैं।

जनहित पार्टी के प्रमुख जैन ने कहा कि उनका दल स्थानीय विषयों पर नहीं, बल्कि प्रदेश की शासन व्यवस्था बदलने के अहम मुद्दे पर विधानसभा चुनाव लड़ रहा है। संघ के पूर्व प्रचारक ने कहा,‘‘आप आज राज्य के बड़े से बड़े नेता के निर्वाचन क्षेत्र में चले जाइए। वहां कोई भी व्यक्ति दावा नहीं कर सकता कि थाने में ईमानदारी से काम होता है और सरकारी विद्यालयों व अस्पतालों की हालत बढ़िया है।’’

First Published : October 30, 2023 | 7:55 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)