जल्द  ही ग्रीन टी, सौर ऊर्जा, सैनिटाइजर, कॉर्न फ्लेक्स, ब्राउन राइस, मशरूम,  तरबूज, विकेट  कीपिंग दस्ताने, बांसुरी, बिजली की इस्तरी (इलेक्ट्रिक  आयरन), एलोवेरा जैसे कई उत्पाद संशोधित थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई)  में शामिल हो सकते हैं। महंगाई की तस्वीर बताने वाले इस सूचकांक में बदलाव  होने जा रहा है और उसका आधार वर्ष 2011-12 की जगह 2017-18 किया जाएगा।
नीति  आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद की अगुआई वाले डब्ल्यूपीआई संशोधन  कार्यदल की प्रारूप रिपोर्ट के मुताबिक इस सूचकांक में शामिल उत्पादों की  संख्या मौजूदा 692 से बढ़ाकर 1,196 किए जाने के आसार हैं, जिससे यह सूचकांक  ज्यादा समावेशी बनेगा। डब्ल्यूपीआई सूचकांक में खाद्य सूचकांक का हिस्सा  मौजूदा 24 फीसदी से बढ़कर 27 फीसदी होने के आसार हैं। इसमें ईंधन एवं ऊर्जा  का हिस्सा घटकर 11 फीसदी रह सकता है, जो 2011-12 की शृंखला में 13 फीसदी  था। इस उच्च स्तरीय समूह ने छह कारोबारी सेवा कीमत सूचकांक- बैंकिंग, बीमा,  प्रतिभूति, हवाई परिवहन, दूरसंचार, रेलवे भी जारी करने की सिफारिश की है।
मौजूदा  डब्ल्यूपीआई का आधार वर्ष 20211-12 है। इसमें शामिल उत्पादों की संख्या  सीमित है, इसलिए यह हाल के वर्षों में उत्पादन रुझान में हुए बदलाव को पूरी  तरह से पकडऩे में नाकाम रहा है। उत्पाद बास्केट बढऩे से बीते वर्षों के  दौरान उपभोग के तरीके में बदलाव वाले ज्यादा उत्पादों का पता लगाने में मदद  मिल सकती है। ऐसे में महंगाई की ज्यादा साफ तस्वीर सामने आएगी। उत्पादन  काफी हद तक उपभोग से ही तय होता है।
रिपोर्ट  का मसौदा कहता है, ‘संशोधित शृंखला में उत्पादों का चयन उनकी अर्थव्यवस्था  में तुलनात्मक अहमियत के आधार किया गया है। उत्पादन में अहम मूल्य वाले सभी  महत्त्वपूर्ण उत्पादों को चुना गया है।’
कृषि  जिंसों में ईसबगोल, एलोवेरा एवं मेंथॉल जैसे औषधीय पौधे, सौंफ एïवं मेथी  (मसाले) मोठ (दाल) मशरूम (सब्जी) और तरबूज (फल) जैसे नए उत्पाद शामिल किए  गए हैं। कीमतें पता करने में तकनीकी दिक्कत के कारण पत्तेदार सब्जियों को  इसमें शामिल नहीं किया गया है। पत्तेदार सब्जियां खास मौसम में ही उपलब्ध  होने, आम तौर पर इनकी खरीद-बिक्री किलोग्राम जैसे मानक में नहीं होने और  किस्मों में समानता न होने के कारण इनकी कीमतें इक_ïी करना मुश्किल होता  है।
सरकार नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दे रही है,  इसलिए संशोधित डब्ल्यूपीआई में सौर ऊर्जा की कीमतों में बदलाव भी शामिल  होगा। पवन ऊर्जा सूचकांक के बारे में भी विचार किया गया, लेकिन आधार वर्ष  के लिए आंकड़े उपलब्ध नहीं होने के कारण इस पर आगे विचार नहीं किया गया।
देश  में अब खुदरा महंगाई का मापक है, लेकिन डब्ल्यूपीआई ज्यादा पुराना होने से  इसे अब भी महंगाई में कीमतों का व्यापक मापक माना जाता है। डब्ल्यूपीआई  राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी के संकलन में मदद देता है। इसका व्यापक इस्तेमाल  कच्चे माल, संयंत्र एवं मशीनरी, निर्माण, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को  खरीदने में एस्केलेशन क्लॉज में भी होता है। इसे टोल दरों, आवश्यक दवाओं की  कीमतों, प्रमुख बंदरगाहों, बिजली आदि की शुल्क दरें तय करने में भी अपनाया  जाता है।