अर्थव्यवस्था

अमेरिका से तेल आयात तेजी से घटा, अगस्त-सितंबर में 40% की गिरावट

अमेरिका से भारत को एलएनजी की आपूर्ति में एक साल पहले के 4.6 लाख टन से घटकर बीते माह 2.7 लाख टन हो गई थी। हालांकि यह आपूर्ति अगस्त में 3.5 लाख टन थी

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एस दिनकर   
Last Updated- October 02, 2025 | 11:25 PM IST

अमेरिका से भारत पहुंचने वाली कच्चे तेल की खेप अगस्त और सितंबर में औसतन 40 प्रतिशत गिर गई। यह संयोगवश अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के भारत पर दबाव बढ़ाने के साथ जुलाई से हुई। वरिष्ठ अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि जब तेल और गैस की बात आती है तो अर्थशास्त्र राजनीति पर हावी हो जाता है।

अमेरिका से एलएनजी का आयात बीते माह एक साल की तुलना में 41 प्रतिशत गिर गया और यह मासिक आधार पर 23 प्रतिशत गिर गया। मैरीटाइम इंटेलिजेंस एजेंसी केप्लर ने बताया कि अगस्त और सितंबर में अमेरिका से कच्चे तेल की आपूर्ति औसतन 2.20 लाख बैरल प्रतिदिन रही जबकि यह जुलाई में 3.64 लाख बैरल प्रतिदिन थी। सितंबर में आयात सालाना आधार पर 30,000 बैरल प्रतिदिन कम था जबकि यह मासिक आधार पर 23,000 बैरल प्रति दिन था।

अमेरिका की आपूर्ति 45 से 60 दिन पहले अनुबंधित होती है। इसका अर्थ है कि जुलाई आमतौर पर मई / जून में अनुबंधित किया जाता है। अगस्त / सितंबर की आपूर्ति के ऑर्डर जुलाई / अगस्त में दिए जाते हैं। ट्रंप ने जुलाई में भारत पर द्वितीयक शुल्क लगाने की घोषणा की थी और ये अगस्त के अंत से लागू हो गए थे।

अमेरिका से भारत को एलएनजी की आपूर्ति में एक साल पहले के 4.6 लाख टन से घटकर बीते माह 2.7 लाख टन हो गई थी। हालांकि यह आपूर्ति अगस्त में 3.5 लाख टन थी। वर्ष 2025 के नौ महीनों में अमेरिका ने इस साल 20 लाख टन की खरीद की थी जो 2024 के 50 लाख टन से कहीं कम थी। उद्योग के अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी एलएनजी का सबसे बड़ा खरीदार गेल है। गेल ने एक दशक पहले 60 लाख टन से कुछ कम सावधि समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। गेल को अमेरिकी खेप को भारत लाने की जगह बदलना अधिक लाभ का सौदा लगता है।

भारत की रिफाइनरियां विश्व में सबसे सस्ते तेल की आपूर्ति तलाश रही थीं। इस क्रम में रूस को नहीं छोड़ा गया है। भारत ने फरवरी के बाद सितंबर में रूस से सबसे कम तेल की आपूर्ति 16 लाख बैरल प्रतिदिन की थी। भारत ने जून के 20 लाख बैरल प्रतिदिन से 25 प्रतिशत कम सिंतबर में आपूर्ति की थी।

सिंगापुर स्थित तेल विशेषज्ञ वंदना हरि ने कहा, ‘मैं भारतीय रिफाइनरों से भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी आयात को पहले से बढ़ावा देने की उम्मीद नहीं करूंगी।’ वंदा इनसाइट्स के संस्थापक हरि ने बताया, ‘ऐसा हो भी सकता है। अगर समझौते के कुछ हिस्से के रूप में चुनिंदा लक्ष्य की स्थिति में सरकार की ओर से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निर्देश दिया जाए। तब तक हर हाल में अर्थशास्त्र सभी चीजों पर हावी रहेगा।’

तेल मंत्री हरदीप पुरी ने कहा था कि जब तेल की आपूर्ति की बात आती है तो भारत अर्शशास्त्र के अनुरूप निर्णय लेता है। पुरी की इस टिप्पणी के अनुरूप ही सरकारी रिफाइनरियों के दो शीर्ष कारोबारियों ने अपनी राय व्यक्त की। हिंदुस्तान पेट्रोलियम के नए सीईओ विकास कौशल ने बताया कि सरकार तेल की आपूर्ति के फैसले के मामले में हस्तक्षेप नहीं करती है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बीते सप्ताह न्यूयॉर्क में कहा था कि सरकार आने वाले वर्षों में अमेरिका के साथ तेल उत्पादों के व्यापार का विस्तार करना चाहती है।

First Published : October 2, 2025 | 11:20 PM IST