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Trump’s Reciprocal tariffs: अमेरिका (US) की ओर से पारस्परिक टैरिफ (Reciprocal Tariffs) लगाए जाने से भारत और थाईलैंड को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है। नोमुरा (Nomura) की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका टैरिफ गैप, वैट (VAT), और गैर-टैरिफ बाधाओं (Non-Tariff Barriers) जैसी फैक्टर्स के आधार पर इन देशों पर हाई टैरिफ लागू कर सकता है।
नोमुरा की चीफ इकोनॉमिस्ट सोनल वर्मा (Asia ex-Japan and Taiwan) और नोमुरा के इकोनॉमिस्ट सी यिंग टोह (Asia ex-Japan and Taiwan) ने रिपोर्ट में लिखा, “भारत और थाईलैंड जैसी इमर्जिंग एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में अमेरिकी निर्यात पर तुलनात्मक रूप से ज्यादा टैरिफ दरें हैं, जिससे वे जवाबी टैरिफ के सबसे ज्यादा जोखिम में हैं।”
उन्होंने कहा कि एशियाई देशों में कृषि उत्पादों और ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर पर हाई टैरिफ लागू हैं। कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करना राजनीतिक रूप से मुश्किल हो सकता है, लेकिन ऑटोमोबाइल्स समेत ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर में टैरिफ कम किया जा सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, जिन प्रोडक्ट या कैटेगरी पर सबसे ज्यादा हो सकता है, उनमें पशु उत्पाद (Animal Products), वनस्पति उत्पाद (Vegetable Products), खाद्य उत्पाद (Food Products), कपड़ा और परिधान (Textiles & Clothing), जूते-चप्पल (Footwear) और ट्रांसपोर्टेशन इक्विपमेंट (Transportation Equipment) शामिल है।
बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कांग्रेस को संबोधित करते हुए 2 अप्रैल 2025 से भारत सहित कई देशों पर पारस्परिक टैरिफ लागू करने के अपने रुख को दोहराया।
ट्रंप ने कहा,”अगर आप ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिका में अपना उत्पाद नहीं बनाते हैं, तो आपको टैरिफ देना होगा, और कुछ मामलों में यह टैरिफ काफी बड़ा होगा। दशकों से अन्य देशों ने हम पर टैरिफ लगाए हैं, लेकिन अब हमारी बारी है कि हम उनके खिलाफ टैरिफ लगाएं।”
नोमुरा के नोट के मुताबिक, नॉन-टैरिफ बाधाओं का अनुमान लगाना मुश्किल होता है क्योंकि इनमें आयात नीतियां (Import Policies), स्वच्छता और पौध-सुरक्षा मानक (Sanitary & Phytosanitary Measures), तकनीकी व्यापार बाधाएं (Technical Barriers to Trade), निर्यात सब्सिडी (Export Subsidies) और बौद्धिक संपदा सुरक्षा की कमी (Lack of Intellectual Property Protection) जैसे फैक्टर्स शामिल होते हैं।
2024 में USTR रिपोर्ट में चीन, भारत, इंडोनेशिया, फिलीपींस, ताइवान और थाईलैंड को हाई नॉन-टैरिफ बैरियर्स लगाने वाले देशों के रूप में लिस्ट किया गया था। नोमुरा का कहना है कि अगर अमेरिका नॉर-टैरिफ बैरियर्स को भी टैरिफ लगाने के मानदंड में शामिल करता है, तो यह कई इमर्जिंग और विकसित एशियाई अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर सकता है।
अगर ट्रंप प्रशासन थर्ड वर्ल्ड के देशों के निर्यात पर टैरिफ लगाता है जो चीन से जुड़े सप्लाई चेन (supply chains) का हिस्सा हैं, तो वियतनाम, मलेशिया और थाईलैंड सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।
नोमुरा ने WTO के Integrated Trade Intelligence Portal के डेटा का उपयोग करके पाया कि चीन और भारत में एशिया में सबसे ज्यादा नॉन-टैरिफ बैरियर्स हैं। दोनों देश एंटी-डंपिंग उपायों (Anti-Dumping Measures) को एक जवाबी टूल (Retaliatory Tool) के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
एशिया के अमेरिकी बाजार पर सीधे प्रभाव का अनुमान लगाने का सबसे अच्छा तरीका यह देखना है कि अमेरिका को एशियाई देशों का निर्यात उनकी जीडीपी (GDP) का कितना हिस्सा है।
एशिया के अमेरिकी बाजार पर डायरेक्ट इम्पैक्ट का अनुमान लगाने का सबसे अच्छा तरीका यह देखना है कि अमेरिका को एशियाई देशों का निर्यात उनकी जीडीपी (GDP) का कितना हिस्सा है। आंकड़ों के मुताबिक, वियतनाम जीडीपी का 25.1% अमेरिका को निर्यात करता है। यह अमेरिका पर सबसे ज्यादा निर्भर है। इसके अलावा, ताइवान 14%, थाईलैंड 10.4%, मलेशिया 10.3% और हांगकांग 9.5% निर्यात करते हैं।
भारत के संदर्भ में देखें तो अमेरिका को निर्यात इसकी GDP का 2.2% है। अगर अमेरिका यूनिवर्सल टैरिफ (Universal Tariffs) लागू करता है, तो भारतीय निर्यात पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।