अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप | फाइल फोटो
Trump Tariffs: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि रूस से कच्चा तेल खरीदने वाले देशों पर अतिरिक्त सेकेंडरी टैरिफ लगाने की योजना पर वह आगे नहीं बढ़ सकते। यह खबर भारत के लिए राहत की बात हो सकती है, क्योंकि पहले ऐसी आशंका थी कि वाशिंगटन रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर नए प्रतिबंध लगा सकता है।
ट्रंप ने शुक्रवार को कहा, “रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक तरह से भारत जैसे तेल खरीददार को खो दिया है, जो करीब 40 फीसदी तेल खरीद रहा था। चीन भी काफी तेल खरीद रहा है। अगर मुझे सेकेंडरी टैरिफ या प्रतिबंध लगाने पड़े, तो यह उनके लिए बहुत नुकसानदायक होगा। अगर जरूरत पड़ी तो मैं ऐसा करूंगा, शायद न भी करूं।”
अमेरिका ने भारत पर पहले ही कड़े टैरिफ लगा रखे हैं। 7 अगस्त से भारतीय सामानों पर 25 फीसदी टैरिफ लागू है। इसके बाद ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ की घोषणा की, जिससे भारतीय सामानों पर कुल टैरिफ 50 फीसदी हो गया है। यह दूसरा टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा। भारत ने इस फैसले को “अनुचित, अन्यायपूर्ण और बेबुनियाद” बताया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत का तेल आयात राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और यूरोपीय देश भी रूस से भारत से कहीं ज्यादा तेल खरीद रहे हैं। मंत्रालय ने बयान में कहा, “भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और अपनी राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा।”
भारत ने हमेशा से रूस के साथ अपने ऊर्जा संबंधों का बचाव किया है। रूस से सस्ता तेल खरीदना भारत के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद रहा है, खासकर तब जब 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए। भारत का कहना है कि यह आयात 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी है।
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अमेरिका का यह टैरिफ अभियान सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश “फदर मॉडिफाइंग द रेसिप्रोकल टैरिफ रेट्स” के तहत करीब 70 देशों पर नए टैरिफ लगाए हैं। इनमें लाओस और म्यांमार पर 40 फीसदी, पाकिस्तान पर 19 फीसदी, श्रीलंका पर 20 फीसदी, ब्रिटेन पर 10 फीसदी और जापान पर 15 फीसदी टैरिफ शामिल हैं। ये नए टैरिफ 7 अगस्त को न्यूयॉर्क में मध्यरात्रि के बाद लागू हो गए। ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर इस कदम की तारीफ की और लिखा, “मध्यरात्रि हो गई है! अब अरबों डॉलर के टैरिफ अमेरिका में आने शुरू हो गए हैं!”
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा, “ये टैरिफ उन देशों से वसूले जा रहे हैं, जो सालों से अमेरिका का फायदा उठाते रहे हैं।”
ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई हाई-प्रोफाइल मुलाकात बिना किसी नतीजे के खत्म हुई। इस मुलाकात का मकसद रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए कोई समझौता करना था। ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, “हमारी बैठक काफी सकारात्मक रही। कई मुद्दों पर सहमति बनी, लेकिन कुछ बड़े मुद्दों पर अभी बात नहीं बन पाई। कोई समझौता तभी होगा, जब सब कुछ फाइनल हो जाएगा।”
इस मुलाकात से पहले अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने चेतावनी दी थी कि अगर बातचीत नाकाम रही, तो भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए और सख्त प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में बेसेन्ट ने कहा, “हम सब पुतिन से निराश हैं। हम उम्मीद कर रहे थे कि वह और गंभीरता से बातचीत करेंगे। हमने भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए सेकेंडरी टैरिफ लगाए हैं। अगर बातचीत अच्छी नहीं रही, तो प्रतिबंध या टैरिफ और बढ़ सकते हैं।”
भारत के लिए यह स्थिति मुश्किल है, क्योंकि रूस उसका सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है। 2022 के बाद से भारत ने रूस से तेल आयात बढ़ाया है, जो अब उसके कुल तेल आयात का लगभग 35 से 40 फीसदी है। अमेरिका के इस दबाव से भारत के सामने आर्थिक और कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।