भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के शीर्ष अधिकारियों ने मंगलवार को संसदीय समिति को डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए शुल्क के भारत पर पड़ने वाले आर्थिक असर के बारे में अपने विचार साझा किए और कहा कि भारत पर इसका असर बहुत अधिक नहीं होगा।
अधिकारियों ने समिति से कहा कि चीन और अमेरिका के बीच घटते कारोबारी संबंधों से भारत को दीर्घावधि के हिसाब से लाभ हो सकता है।
कांग्रेस के लोक सभा सांसद केसी वेणुगोपाल की अध्यक्षता में बनी लोक लेखा समिति (पीएसी) ने मंगलवार को दो बैठकें कीं। एक बैठक रिजर्व बैंक के शीर्ष अधिकारियों के साथ हुई जबकि एक बैठक वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) और कुछ सरकारी बैंकों के प्रबंध निदेशकों के साथ हुई। दोनों बैठकों का मुख्य विषय बैंकिंग में सुधार था।
रिजर्व बैंक के साथ हुई बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा और डिप्टी गवर्नर राजेश्वर राव मौजूद थे। वहीं दूसरी बैठक में डीएफएस सचिव और भारतीय स्टेट बैंक, इंडियन बैंक, केनरा बैंक, आईडीबीआई, पंजाब नैशनल बैंक के प्रबंध निदेशक मौजूद थे। शुल्क को लेकर रिजर्व बैंक के गवर्नर और डिप्टी गवर्नर ने बताया कि केंद्रीय बैंक अभी भी असर का विश्लेषण कर रहा है, लेकिन उसका दृष्टिकोण सकारात्मक है कि इसका कोई भीषण असर नहीं पड़ेगा। डीएफएस ने समिति को सूचित किया कि सरकार संसद के अगले सत्र में अनियमित ऋण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक ला सकती है।