प्रत्यक्ष कर संग्रह से भरा खजाना

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 8:42 PM IST

सरकार ने 2021-22 के बजट के संशोधित अनुमान में जितने प्रत्यक्ष कर संग्रह का अनुमान लगाया था, उससे करीब 1 लाख करोड़ रुपये ज्यादा राजस्व मिला है। हालांकि वित्त वर्ष पूरा होने में अभी करीब दो हफ्ते और बचे हैं। कर संग्रह में वृद्घि आर्थिक सुधार और बेहतर कर प्रशासन का संकेत है। विनिवेश की कम प्राप्ति और रूस-यूक्रेन संकट को देखते हुए सरकार को अनुमान से ज्यादा राजस्व संग्रह राहत दे सकता है।
चालू वित्त वर्ष में 16 मार्च तक रिफंड भुगतान के बाद सरकार को करीब 13.60 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर प्राप्त हुआ है, जबकि संशोधित अनुमान 12.50 लाख करोड़ रुपये का था। इस दौरान करदाताओं को 1.87 लाख करोड़ रुपये रिफंड भी किए गए हैं। प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 48.41 फीसदी बढ़कर 9.18 लाख करोड़ रुपये रहा। कोविड से पहले 2019-20 में 9.56 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर संग्रह हुआ था। 2018-19 में 10.09 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर मद में प्राप्त हुए थे।
कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में से 6.63 लाख करोड़ रुपये अग्रिम कर के रूप में आए, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 40.75 फीसदी अधिक हैं। कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में निगमित कर मद में 7.19 लाख करोड़ रुपये और व्यक्तिगत आयकर के रूप में 6.04 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार को 2021-22 के संशोधित अनुमान 6.35 लाख करोड़ रुपये से निगमित कर में करीब 84,000 करोड़ रुपये का ज्यादा राजस्व प्राप्त हुआ। इसी तरह व्यक्तिगत आयकर मद में सरकार को संशोधित अनुमान की तुलना में 25,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी हुई।
हालांकि व्यक्तिगत आयकर का ज्यादातर हिस्सा मार्च के अंतिम दिनों में प्राप्त होता है। ऐसे में प्रत्यक्ष कर संग्रह में अभी और इजाफा हो सकता है। इससे सरकार को विनिवेश मद में कम प्राप्तियों और खर्च में बढ़ोतरी के बावजूद राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 6.9 फीसदी पर रखने में मदद मिलेगी।
चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान के मुताबिक विनिवेश से 78,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद थी लेकिन वास्तविक प्राप्तियां 12,424 करोड़ रुपये रही। इसके अलावा सरकार को उर्वरक सब्सिडी बिल और अन्य मदों में संशोधित अनुमान से करीब 1 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़े हैं। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि प्रत्यक्ष कर संग्रह संशोधित अनुमान से करीब 50,000 करोड़ रुपये अधिक रहेगा। लेकिन ताजा आंकड़े इससे कहीं अधिक हैं। इससे सरकार को ज्यादा व्यय के लिए तीसरी अनुपूरक मांग वहन करने में मदद मिलेगी।’ कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह में 41 फीसदी (उपकर को छोड़कर) राज्यों के खजाने में जाएगा।

First Published : March 17, 2022 | 11:14 PM IST