मांग को बढ़ावा देने पर हो रहा विचार

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 7:54 PM IST

लॉकडाउन में ढील के बाद आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे से पटरी पर आ रही है। इस बीच केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा कर रही है। बिज़नेस स्टैंडर्ड का मानना है कि इसके तहत बुनियादी ढांचे पर जोर दिया जा सकता है जिससे सरकार 2020-21 के बजट में निर्धारित पूंजीगत व्यय से ज्यादा खर्च कर सकती है।
दो वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि जरूरतमंद लाभार्थियों को नकद अंतरण का दायरा बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है। एक अधिकारी ने कहा, ‘आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने के साथ अब मांग को बढ़ाना प्राथमिकता हो गई है। बुनियादी ढांचे को लेकर बातचीत चल रही है। इस क्षेत्र को बढ़ावा देने से रोजगार सृजन होगा जिसकी इस समय सख्त जरूरत है।’
सरकार ने वित्त वर्ष 2021 के बजट में 4.12 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय का अनुमान लगाया था। लेकिन अधिकारियों ने इससे इनकार नहीं किया कि सरकार इससे कहीं ज्यादा ,खर्च कर सकती है। इसके पीछे विचार यह है कि नरमी के दौर में केंद्र और सार्वजनिक उपक्रम पूंजीगत व्यय बढ़ाएंगे तो निजी क्षेत्र भी खर्च करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘बजट में बताए राजकोषीय आंकड़े पर टिका नहीं रहा जा सकता। राजस्व कम है और हम ज्यादा उधारी पर निर्भर हैं। अगर जरूरत पड़ी तो पूंजीगत व्यय बढ़ाया जाएगा।’
राष्ट्रीय इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन की अंतिम रिपोर्ट अप्रैल के अंत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंप दी गई थी। रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2020 से 2025 तक बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 111 लाख करोड़ रुपये निवेश का अनुमान लगाया गया था। इनमें से 40-40 फीसदी केंद्र और राज्यों द्वारा वहन किया जाएगा।
हालांकि अब कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण आई गंभीर नरमी से स्थिति की वास्तविकता को दर्शाने के लिए इस रिपोर्ट में थोड़ा बदलाव किया गया है। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘वित्त मंत्री ने कहा कि ज्यादातर निवेश पहले दो से तीन साल में किए जाएंगे। सरकार की प्रतिबद्घता में कोई बदलाव नहीं आया है।’ इस माह की शुरुआत में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में निवेश आकर्षित करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में ‘अधिकारप्राप्त सचिवों की समिति और परियोजना विकास प्रकोष्ठ’ गठित करने को मंजूरी दी थी। केंद्र ने कहा था, ‘यह भारत को ज्यादा निवेश अनुकूल गंतव्य बनाएगा और देश में सुगमता से निवेश किया जा सकेगा। इससे हमारे घरेलू उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा और विभिन्न क्षेेत्रों में प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर रोजगार के व्यापक अवसर पैदा होंगे।’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा जनधन खातों में प्रत्यक्ष नकद अंतरण बढ़ाकर भी मांग को बढ़ावा देने पर विचार किया जा रहा है। पीएम गरीब कल्याण और आत्मनिर्भर भारत पैकेजों के तहत वित्त मंत्री ने वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और दिव्यांगों को एकमुश्त नकद अंतरण की घोषणा की थी। इसके साथ ही मनरेगा के तहत भुगतान को बढ़ाया गया है और पीएम किसान के तहत किए जाने वाले भुगतान में भी तेजी लाई जा रही है। अधिकारी ने कहा कि नकद अंतरण को जून के बाद भी आगे बढ़ाया जा सकता है।

First Published : June 10, 2020 | 10:27 PM IST