मंगलवार को पेश किए गए बजट में सरकार द्वारा घोषित उधारी योजना में 63,500 करोड़ रुपये तक की कमी आ सकती है। इसकी वजह यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने शुरू में घोषणा की थी कि सरकार ने बाजार कारोबारियों के साथ प्रतिभूति परिवर्तन का निर्णय लिया था।
सरकार ने वित्त वर्ष 2023, वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 में परिपक्व हो रहीं प्रतिभूतियों को स्विच करने यानी बदलने और समान वैल्यू की ताजा प्रतिभूतियां जारी करने का निर्णय लिया। कुल स्विच राशि में से, 63,500 करोड़ रुपये के बॉन्ड अगले वित्त वर्ष में परिपक्व हो रहे थे।
मंगलवार को, सरकार ने बजट में वित्त वर्ष 2023 के लिए 14.95 लाख करोड़ रुपये की उधारी योजना की घोषणा की।
एमके ग्लोबल में मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2023 में सकल बाजार उधारी 14.9 लाख करोड़ रुपये पर अनुमानित है, जो हमारे 12.9 लाख करोड़ रुपये के अनुमान और 10.45 लाख करोड़ रुपये के वित्त वर्ष 2022 के संशोधित अनुमान के मुकाबले ज्यादा है।’
अरोड़ा ने कहा, ‘हालांकि बिकवाली 3.78 लाख करोड़ रुपये पर अभी भी काफी ज्यादा दिख रही है, जिससे पता चलता है कि बजट में हाल में 636.5 अरब रुपये के प्रतिभूति परिवर्तन को शामिल नहीं किया गया है।’
उधारी कार्यक्रम की घोषणा के बाद दो कारोबारी सत्रों में सरकारी बॉन्डों पर प्रतिफल 21 आधार अंक बढ़ गया। गुरुवार को, प्रतिफल पूर्ववर्ती सत्र के मुकाबले लगभग सपाट (6.89 प्रतिशत) बंद हुआ। शुद्घ उधारी आंकड़ा चालू वित्त वर्ष के 4 प्रतिशत के मुकाबले 4.3 प्रतिशत के बराबर (11.4 लाख करोड़ रुपये) है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज पीडी ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘कुछ कारणाों से बजट दस्तावेज में सकल उधारी के आंकड़ों को आरबीआई द्वारा बॉन्डों को बदलने की वजह से वित्त वर्ष 2023 में बिकवाली में कमी से नहीं जोड़ा गया है। इस वजह से हम सकल उधारी को 14.3 लाख करोड़ रुपये पर देख रहे हैं जबकि इसकी घोषणा 14.95 लाख करोड़ रुपये पर की गई।’
बॉन्ड बाजारों को वित्त मंत्री के बजट भाषण में वैश्विक बॉन्ड सूचकांक में भारत को शामिल नहीं करने के जिक्र से भी निराशा हाथ लगी थी। ऐसे कदम से करीब 30 अरब डॉलर का पूंजी प्रवाह दर्ज किया जा सकता है जिससे प्रतिफल पर दबाव कम हो सकता है।
गोल्डमैन सैक्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ‘बजट वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में भारत को शामिल करने का जिक्र नहीं होने से हम 2022 की चौथी तिमाही में घोषणा किए जाने की उम्मीद कर रहे हैं कि भारत को जीबीआई-ईएम ग्लोबल डाइवर्सिफाइड इंडेक्स में शामिल किया जाएगा, जबकि वास्तविक तौर पर उसे 2023 के शुरू से शामिल किया जाएगा।’
बार्कलेज के प्रबंध निदेशक एवं भारत में उसके मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बजोरिया का मानना है कि सतत वृद्घि में सुधार वैश्विक बॉन्ड सूचकांक में शामिल किए जाने के बजाय बड़े राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना ज्यादा महत्वपूर्ण है।